क्या इस देश में कोई और नेता है, जो पदयात्रा करे या जुलूस निकाले तो उसके ऊपर हमला हो जाए? शायद ही कोई नेता होगा। राहुल गांधी ने दो साल में दो बार भारत जोड़ो यात्रा की। इस बार तो वे हजारों किलोमीटर पैदल चले। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा की। विपक्षी शासन वाले अनेक राज्यों से गुजरे। फिर इस साल उन्होंने दूसरी यात्रा की। बिहार में प्रशांत किशोर दो साल से पदयात्रा कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश में पहले वाईएसआर रेड्डी ने और फिर उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने लंबी पदयात्राएं कीं। जुलूस और रोडशो तो सारे नेता करते हैं। लेकिन किसी के ऊपर हमले की खबर नहीं आती है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इकलौते नेता हैं, जो जैसे ही पदयात्रा पर निकलते हैं वैसे ही उन पर हमले होने लगते हैं।
पता नहीं इस बात पर वे और उनकी पार्टी कभी सोचते हैं या नहीं कि ऐसा क्यों होता है कि पूरे देश में सिर्फ उन्हीं के ऊपर हमले होते हैं? उनके ऊपर इतनी बार स्याही फेंकी जा चुकी है, थप्पड़ मारा जा चुका है या दूसरी तरह से हमला हो चुका है कि लोग गिनती भूल गए हैं। अब लोग इस तरह की बातों को गंभीरता से लेना भी बंद कर चुके हैं। असल में कई बार नेताओं की यात्रा के दौरान विपक्षी पार्टियों के लोग नारेबाजी करते हैं या विरोध जताते हैं, जैसा राहुल गांधी के साथ भी हुआ लेकिन उन्होंने मुस्कुरा कर भाजपा समर्थकों की नारेबाजी का स्वागत किया। परंतु जब केजरीवाल के साथ ऐसा होता है तो उनकी पार्टी उसको हमला बता देती है। न सिर्फ हमला बताया जाता है, बल्कि कहा जाता है कि ‘घातक जानलेवा हमला’ हुआ। केजरीवाल और उनकी सरकार जब इतने जन कल्याण के काम कर रही है और दिल्ली के लोग खुश हैं तो इस तरह की नौटंकियों से बचना चाहिए। उनको भेड़िया आया की कहानी भी पढ़नी चाहिए।