दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऊपर दबाव बढ़ रहा है। उनके गिरफ्तार हुए एक हफ्ते हो गए हैं और इस बीच ईडी की हिरासत से ही उन्होंने अपनी सरकार के लिए दो निर्देश जारी किए हैं। अब इस बात की जांच शुरू हो गई है कि ईडी की हिरासत से वे कैसे और किस नियम के तहत निर्देश जारी कर रहे हैं। इस बीच भाजपा की ओर से प्रदर्शन तेज हो गया है।
मंगलवार को आम आदमी पार्टी के नेता प्रधानमंत्री निवास पर प्रदर्शन करने जा रहे थे तो भाजपा नेता दिल्ली सचिवालय का घेराव करने पहुंचे। भाजपा इस बात के लिए दबाव बना रही है कि केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए। कानूनी जानकारों और संविधान विशेषज्ञों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि जेल जाने पर मंत्री या मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन इसका भी कोई प्रावधान नहीं है कि मुख्यमंत्री जेल में रह कर कैबिनेट की बैठक करे।
कहा जा रहा है कि सरकार चलाने के लिए कैबिनेट की बैठक जरूरी शर्त है। बिना कैबिनेट की बैठक के कोई भी फैसला नहीं हो सकता है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा को जेल में बैठ कर अपनी कंपनी का काम करने की इजाजत मिली थी उसी तरह से केजरीवाल को सरकार चलाने की इजाजत मिल सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि उनको वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कैबिनेट बैठक की इजाजत मिल सकती है।
हालांकि सुब्रत रॉय को सुविधा इसलिए मिली थी ताकि वे कंपनी की संपत्ति बेच कर निवेशकों का पैसा लौटा सकें। बहरहाल, केजरीवाल को लेकर अगले कुछ दिन बहुत अहम हैं। अगर उनको इस्तीफा देना पड़ता है तो कौन मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेगा यह भी बड़ा सवाल है। उनकी पत्नी के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा है लेकिन वे विधायक नहीं हैं और अभी कोई सीट खाली भी कराई जाती है तो उस पर उपचुनाव होगा, इसकी गारंटी नहीं है क्योंकि दिल्ली में अगले साल जनवरी में विधानसभा का चुनाव होने वाला है।