दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का राज चलाने के लिए नया नेता चुनना होगा। उनके ऊपर इसका दबाव बढ़ रहा है। वे थोड़े दिन और इसे टाल सकते हैं लेकिन अदालत से राहत मिलने की संभावनाएं खत्म होने के बाद उनके लिए इसे टालना संभव नहीं होगा।
दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कह दिया है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि जेल से सरकार नहीं चले। अपनी गिरफ्तारी के बाद से अरविंद केजरीवाल ने जो दिल्ली के मंत्रियों के लिए जो दो निर्देश जारी किए हैं उनकी भी पुलिस जांच होने वाली है। इससे एक अलग विवाद खड़ा हो सकता है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से तत्काल राहत नहीं मिली है। उन्होंने गिरफ्तारी और ईडी की रिमांड को चुनौती दी है, जिस पर कोई आदेश पारित करने से पहले अदालत ने ईडी को उसका पक्ष रखने का मौका दिया है और तीन अप्रैल को इस मसले पर अगली सुनवाई होगी। इस बीच दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी हिरासत की अवधि बढ़ा दी है।
अगर तीन अप्रैल की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वह आखिरी विकल्प होगा। अगर सुप्रीम कोर्ट ने उनको राहत नहीं दी तो उनके सामने इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। क्योंकि गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने की उनकी याचिका खारिज होती है तो फिर निचली अदालत से जमानत की प्रक्रिया शुरू होगी और सबको पता है कि उसमें कितना समय लगता है।
सो, जब तक केजरीवाल कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं और उनके पास विकल्प उपलब्ध हैं तब तक हो सकता है कि उनका इस्तीफा नहीं हो। लेकिन उसके बाद उनको इस्तीफा देना होगा। लेकिन उनके सामने असली चुनौती यह है कि वे किस पर भरोसा करके उसे नेता बनाएं? केजरीवाल की अब तक की राजनीति किसी पर भरोसा नहीं करने वाली रही है।
उन्होंने तमाम ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है, जिनका अपना आधार था और अस्तित्व था। उनके पास सिर्फ निराकार नेता बचे हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि किसी निराकार नेता को भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाता है तो वह मनमानी करने लगता है।
जब केजरीवाल गिरफ्तार हुए थे तो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से बात की थी। दोनों के बीच क्या बात हुई यह किसी को पता नहीं है लेकिन हो सकता है कि कल्पना सोरेन ने उनको नसीहत दी हो कि वे खुद मुख्यमंत्री बने क्योंकि राजनीति के मौजूदा दौर में किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले चम्पई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन एक हफ्ते में ही वे रंग दिखाने लगे और हेमंत सोरेन के सबसे करीबी अधिकारी को हटा दिया। बहरहाल, अरविंद केजरीवाल खुद बहुत होशियार और सावधान नेता हैं। तभी अब उनको उत्तराधिकारी के तौर पर सिर्फ सुनीता केजरीवाल की चर्चा हो रही है। इसकी घोषणा में अरविंद केजरीवाल थोड़ा समय ले रहे हैं तो उसका मकसद सिर्फ इतना है कि इस अवधि में सुनीता केजरीवाल की स्वीकार्यता थोड़ी और बढ़ जाए।