दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को 12 साल बाद फिर से निर्भया केस की याद आई है। पिछले 12 साल में से 10 साल के करीब वे मुख्यमंत्री रहे। लेकिन एक बार भी उन्होंने न इस केस को याद किया और न निर्भया के परिजनों की किसी तरह की मदद की। उन्होंने पहली बार 2013 में अन्ना हजारे के आंदोलन से ज्यादा निर्भया मामले पर चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी। तब उन्होंने दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के कई उपायों के वादे किए थे। सही है कि पुलिस उनके हाथ में नहीं है लेकिन बसों में मार्शल नियुक्त करने से लेकर लाखों की संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगवाने और सुनसान सड़कों या अंधेरे इलाकों में लाइट की व्यवस्था करने के वादे वे पूरे कर सकते थे। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।
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अब 10 साल तक शासन करने के बाद उनके सामने मुश्किलें दिख रही हैं तो उन्होंने कानून और व्यवस्था को इस बार सबसे बड़ा मुद्दा बनाया है। वे बार बार दिल्ली को गैंगेस्टर कैपिटल कह रहे हैं और महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठा कर भाजपा व केंद्र सरकार को घेर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी भी लिखी है। इसके बाद उन्होंने निर्भया की याद में त्यागराज स्टेडियम में एक कार्यक्रम रखा और महिलाओं के प्रति हमदर्दी दिखाई।
हकीकत यह है कि पिछले 10 साल में अकेले राहुल गांधी ने निर्भया के परिवार की मदद की। निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या की घटना के बाद राहुल ने उसके भाई को पढ़ाया, पायलट की ट्रेनिंग और लाइसेंस दिलवाए और काम भी दिलवाया। इस दौरान केजरीवाल भाजपा से लड़ कर राष्ट्रीय पार्टी बनने की राजनीति करते रहे। अब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लड़ना है तो निर्भया की याद आ गई।