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हेमंत और केजरीवाल में फर्क क्यों?

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पांच समन जारी किया और वे हाजिर नहीं हुए तो एजेंसी कोर्ट में पहुंच गई। दूसरी ओर ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री को 10 समन जारी किए। आठ समन पर जब हेमंत सोरेन हाजिर नहीं हुए तो उनके भेजे गए नौवें समन में उनसे कहा गया कि वे खुद बताएं कि कब और कहां उनसे पूछताछ हो सकती है। इस पर उनकी ओर से बताया गया कि 20 जनवरी को ईडी की टीम उनके आधिकारिक आवास पर पूछताछ के लिए आ सकती है। इसके बाद ईडी की टीम ने उनके आवास पर जाकर पूछताछ की। दसवें समन में भी कहा गया कि वे 29 से 31 जनवरी को बीच का समय दें। यह अलग बात है कि ईडी 29 जनवरी को ही उनको दिल्ली स्थित आवास पर उनको तलाशने चली गई थी। लेकिन बाद में उनके हिसाब से 31 जनवरी को उनके आधिकारिक आवास पर एक बजे दिन के बाद ईडी पूछताछ हुई और उसके बाद एजेंसी ने उनको गिरफ्तार किया।

इसके उलट केजरीवाल को पांच समन भेजा गया और उसके बाद एजेंसी दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पहुंच गई। एजेंसी ने पीएमएलए की विशेष अदालत से कहा कि केजरीवाल जान बूझकर समन की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ रही है। सात फरवरी के विशेष अदालत में सुनवाई होगी। सवाल है कि एजेंसी उनसे क्या पूछताछ करना चाहती है, जो मनीष सिसोदिया और संजय सिंह से नहीं हुई है या दूसरे दर्जनों लोग जो पकड़े गए हैं उनसे नहीं हो गई है? क्या एजेंसी उनको गिरफ्तार करना चाहती है? यह भी सवाल बड़ा है कि क्या कोर्ट आदेश दे सकती है कि वे एजेंसी के सामने हाजिर हों? अगर ऐसा आदेश दिया जाता है तो केजरीवाल उसे ऊपर की अदालत में अपील करेंगे। इस बीच केजरीवाल विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगा कर भी फंस गए हैं। उन्हें बताना होगा कि किस व्यक्ति ने उनके किस विधायक को 25 करोड़ रुपए की ऑफर दी थी।

By NI Political Desk

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