दिल्ली में प्रशासनिक अराजकता है। कौन सरकार चला रहा है यह किसी को पता नहीं है। तभी दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा कि कैबिनेट की बैठक नहीं हो रही है या स्टैंडिंग कमेटी की बैठक नहीं हो रही है तो बजट कैसे मंजूर होगा। सोचें, यह कितना बड़ा सवाल है? राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं इसलिए कैबिनेट की बैठक हो ही नहीं सकती है। जो फैसला करना है वह केजरीवाल को जेल में रह कर करना है और उनके मंत्रियों को उस पर अमल करना है। अगर कैबिनेट की बैठक नहीं होगी तो जाहिर है कि नीतिगत कोई भी फैसला नहीं हो पाएगा। इसी तरह दिल्ली नगर निगम चुनाव के एक साल नौ महीने हो गए हैं और अभी तक नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हुआ है। अदालत के आदेश के बाद अब स्टैंडिंग कमेटी की बैठक का रास्ता साफ हुआ है।
दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी बिना स्टैंडिंग कमेटी के है, जिससे सैकड़ों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स अटके हैं। इस बीच बरसात में दिल्ली में त्राहिमाम की स्थिति हो गई। एक घटना में मां और बेटी की नाले में डूबने से मौत हो गई। इसी मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फटकार लगाई तो एमसीडी ने कहा कि नाला डीडीए का है और डीडीए केंद्र सरकार के अधीन है, जिसका प्रशासन उप राज्यपाल देखते हैं। ऐसे ही एक कोचिंग इंस्टीच्यूट के बेसमेंट में पानी भर गया, जिसमें तीन छात्र डूब कर मर गए। एक छात्र की मौत बिजली का करंट लगने से हो गई। इस पर भी एमसीडी और डीडीए जैसी दलीलों से दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच झगड़ा हुआ। दोनों में से कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। अपने को दिल्ली के घरों का बड़ा बेटा बताने वाले केजरीवाल जेल में हैं और उनकी पार्टी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर डाल रही है। सवाल है कि ऐसी अराजकता में आगे क्या होगा? ऐसा लग रहा है कि सारी अराजकता छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के निमित्त है। उसमें अगर भाजपा जीतती है तो ठीक नहीं तो अराजकता जारी रहेगी और फिर दिल्ली का राज्य का दर्जा समाप्त हो जाएगा।