दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल ने जो बंगला अपने लिए तैयार कराया था वह बंगला दो दिन लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्लुडी के पास रहा और उसके ऐसे ऐसे किस्से आ रहे हैं, जिनको सुन कर देश के तमाम मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री हैरान होंगे। वे सोच रहे होंगे कि जब नगर निगम जैसी हैसियत वाले राज्य का मुख्यमंत्री इतनी विलासिता से रह सकता है तो उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? वैसे इस तरह के किस्से पहले भी सामने आए थे, जब पता चला था कि बंगले के रेनोवेशन पर 50 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन जब केजरीवाल के बंगला खाली करने और आतिशी के उसमें शिफ्ट करने के बाद पीडब्लुडी ने उसे टेकओवर किया तो और डिटेल सामने आई।
पांच से छह करोड़ के परदे और 15 लाख की टायलेट सीट के किस्से लोगों ने पढ़े। मसाज चेयर और कई कई लाख के टेलीविजन सेट व साउंड सिस्टम के बारे में भी जानकारी मिली है। अब मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा है कि सरकार को बंगला लेना है तो ले ले और जिसको देना है उसको अलॉट कर दे। उन्होंने कहा है कि हम बंगले या गाड़ी के लिए राजनीति में नहीं आए हैं। अगर ऐसा है तो वे बंगला छोड़ दें। आवंटित होने के बाद भी वे उसमें रहने से इनकार कर सकती हैं, जैसे राहुल गांधी ने तुगलक लेन का बंगला दोबारा आवंटित होने पर किया था। इसी तरह राजनिवास के आसपास मंत्रियों को जो बड़े बड़े बंगले, सुरक्षा और गाड़ियां मिली हैं वे भी दिखावे के लिए ही सही लेकिन छोड़ सकते हैं। परंतु ऐसा लग नहीं रहा है कि आप का कोई नेता गाड़ी, बंगला, सुरक्षा छोड़ने वाला है।