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मोदी के यहां अरुण गोयल का गजब जलवा

पिछले दिनों पांच साल तक कैबिनेट सचिव रहने के बाद राजीव गौबा और पांच साल तक गृह सचिव रहने के बाद अजय भल्ला रिटायर हुए तो लगा कि इनके जैसा अफसर नहीं है। उससे पहले करीब चार साल तक ईडी के निदेशक रहने के बाद संजय मिश्रा रिटायर हुए तब भी लगा था कि कितने काबिल अफसर हैं, जिनको सरकार ने इतने दिनों तक इतने अहम पद पर बनाए रखा। ऐसे और भी अधिकारी होंगे लेकिन ऐसा लग रहा है कि अरुण गोयल सबसे ऊपर हैं। उनके जैसा कोई नहीं है। उनमें कुछ न कुछ तो ऐसा है कि वे बार बार सरकारी सेवा छोड़ रहे हैं और सरकार उनको किसी न किसी बड़े पद पर नियुक्त कर रही है।

वे भारत सरकार में भारी उद्योग सचिव थे और 18 नवंबर 2022 को उन्होंने अचानक सेवा छोड़ दी। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस ले ली। लेकिन इसके अगले ही दिन भारत सरकार ने उनको देश का चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया। बिजली की रफ्तार से हुई इस नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाया था। बहरहाल, उनका कार्यकाल 2027 तक रहने वाला था और मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद वे मुख्य चुनाव आयुक्त बनते। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इस साल 16 मार्च को सरकार की ओर से बताया गया कि अरुण गोयल ने नौ मार्च को चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया है। उस समय पंजाब सरकार में उनके कार्यकाल को लेकर कई तरह की सच्ची झूठी कहानियां चर्चा में आईं और कहा गया कि इसी वजह से उनको हटना पड़ा था। तब लगा था कि अरुण गोयल का चैप्टर बंद हुआ। लेकिन अब भारत सरकार ने उनको क्रोएशिया का राजदूत नियुक्त कर दिया है। जाहिर है सरकार उनके अंदर छिपी किसी अद्भुत प्रतिभा को पहचान गई लेकिन सही तरह से उसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है तभी उनको बार बार मौका दिया जा रहा है।

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