भारतीय जनता पार्टी ने अब थोड़े दिन तक सारे मुद्दे ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं। अपने सारे एजेंडे को किनारे कर दिया है और डॉक्टर भीमराव Ambedkar को केंद्र में ले आई है। अब हर चीज में अंबेडकर का नाम लिया जाएगा। हर बात का श्रेय उनको दिया जाएगा। मिसाल के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में दो नदियों को जोड़ने वाली केन बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया तो इसका भी श्रेय भीमराव अंबेडकर को दिया। यह अलग बात है की नदी जोड़ परियोजना पर अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते काम शुरू हुआ था और केन बेतवा परियोजना भी उसी समय की है लेकिन किसी न किसी बहाने प्रधानमंत्री इसमें भी अंबेडकर के नाम का जिक्र ले आए।
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प्रधानमंत्री ने जल निकाय की संकल्पना भीमराव अंबेडकर की थी। इसी बहाने उन्होंने बिना नाम लिए पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर भी निशाना साधा और कहा कि एक ही व्यक्ति को हर चीज का श्रेय देने वाले परिवारवादियों ने अंबेडकर को श्रेय नहीं दिया। अब तक संविधान लिखने या दलितों, पिछड़ों, वंचितों, आदिवासियों को अधिकार दिलाने का श्रेय अंबेडकर को दिया जाता था। अब जल प्रबंधन का श्रेय भी उनके खाते में डाला जा रहा है।
आने वाले दिनों में सड़कों का जाल बिछाने से लेकर बुनियादी ढांचे की तमाम परियोजनाओं के पीछे उनकी सोच का जिक्र किया जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि अपने को अंबेडकर का अनुयायी साबित करने में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी में से कौन ज्यादा आगे निकलता है। मायावती, चंद्रशेखर आजाद और प्रकाश अंबेडकर तो किनारे खड़े होकर इन पार्टियों की राजनीति देख रहे हैं और हैरान हो रहे हैं।