कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील अभिषेक सिंघवी को राज्यसभा में जाने के लिए इंतजार करना होगा। अरविंद केजरीवाल का स्वाति मालीवाल से इस्तीफा लेकर सिंघवी को राज्यसभा भेजने का दांव फेल हो गया है। बताया जा रहा है कि स्वाति मालीवाल ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया और मौजूदा घटनाक्रम उसी का नतीजा है। राज्यसभा की शपथ लेने के बाद से ही मालीवाल अमेरिका जाकर बैठी थीं। जानकार सूत्रों के मुताबिक वे अमेरिका में थीं तभी उनको कहा गया कि वे आकर इस्तीफा दे दें। उनको फिर से महिला आयोग का अध्यक्ष बनाने का भी प्रस्ताव था। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। दिल्ली में उनके अलावा संजय सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता राज्यसभा के सांसद हैं और इन दोनों की सीट नहीं खाली कराई जा सकती है।
पंजाब से आम आदमी पार्टी के सात राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन उनमें से भी किसी से इस्तीफा नहीं लिया जा सकता है। असल में किसी ने सोचा नहीं था कि सिंघवी हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा का चुनाव हार जाएंगे। उनको एक सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन कांग्रेस के छह विधायक टूट गए, जिससे वोट बराबर हो गए और जब लॉटरी निकली तब भी किस्मत ने सिंघवी का साथ नहीं दिया। पिछली बार वे ममता बनर्जी के समर्थन से पश्चिम बंगाल से राज्यसभा पहुंच गए थे। लेकिन अब उनको लंबा इंतजार करना होगा। इस साल यानी 2024 में मनोनीत श्रेणी की चार और केरल की तीन सीटें खाली हो रही हैं।
इनमें से एक सीट कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को मिलेगी। वह सीट कांग्रेस लेगी या मुस्लिम लीग को सीट जाएगी यह तय नहीं है लेकिन यह तय है कि कोई बाहरी व्यक्ति राज्यसभा नहीं जाएगा। इसी तरह अगले साल यानी 2025 में आठ सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें छह तमिलनाडु की और एक असम की है। तमिलनाडु में कांग्रेस को एक सीट मिलेगी लेकिन वह सीट भी वहीं के किसी नेता को दी जाएगी क्योंकि उसके अगले साल राज्य में विधानसभा के चुनाव हैं। आम आदमी पार्टी की सभी सीटें 2029 और 2030 में खाली होने वाली हैं। सो, सिंघवी को कांग्रेस राज्यसभा में भेज सकती है लेकिन वह भी 2026 के बाद। कांग्रेस के कई राज्यसभा सांसद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वे जीत गए तो उनकी खाली हुई सीट कांग्रेस को नहीं मिलेगी क्योंकि उन राज्यों में भाजपा की सरकार है।