दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी तोड़ने की कोशिश के आरोपों को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लेकिन अब एक बार फिर उन आरोपों को उन्होंने झाड़-पोंछ कर ठंडे बस्ते से निकाला है और आरोप लगाया है कि उनके विधायकों को भाजपा की ओर से 25-25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के एक नेता ने आप के सात विधायकों से संपर्क किया और कहा कि शराब नीति से जुड़े घोटाले में अरविंद केजरीवाल और दूसरे नेता गिरफ्तार कर लिए जाएंगे और उसके बाद भाजपा आप की सरकार को गिरा देगी। केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि भाजपा के नेता ने 21 विधायकों से संपर्क होने की बात कही। हालांकि साथ ही केजरीवाल ने दावा किया कि भाजपा के नेता ने सिर्फ सात विधायकों से संपर्क किया है।
अब सवाल है कि सात विधायकों से संपर्क करके भाजपा क्या हासिल कर लेगी? अगर 21 विधायकों से भी संपर्क करने की बात है तो उससे भी क्या हो जाएगा? भाजपा के पास सिर्फ आठ विधायक हैं और आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं। इसका मतलब है कि नियम सम्मत तरीके से पार्टी तोड़ने के लिए कम से कम 42 विधायकों की जरुरत है। अगर 21 विधायक टूटते हैं तब भी केजरीवाल के पास 41 विधायक बचेंगे और भाजपा की संख्या 29 पहुंचेगी। तब भी इस पूरी कवायद का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इसलिए जाहिर है कि यह पहले की तरह ही एक बिना मतलब का आरोप है। पहले भी जब आरोप लगाया था तो केजरीवाल ने पुलिस में किसी की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी और न कोई सबूत पेश किया था। अब वे फिर से वही आरोप लगा रहे हैं लेकिन कोई सबूत नहीं पेश कर रहे हैं और न किसी की शिकायत दर्ज करा रहे हैं। जाहिर है दिल्ली के लोगों का ध्यान भटकाने और अपने मुकदमे में सहानुभूति हासिल करने के लिए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।