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आधार फिर किस काम का है

केंद्र सरकार एक नई अधिसूचना जारी करने जा रही है, जिसमें आधिकारिक रूप से बताया जाएगा कि आधार का इस्तेमाल जन्मतिथि के सत्यापन के लिए नहीं हो सकता है। सरकार यह बात वैसे पहले ही बता चुकी है। अब इसे नोटिफाई किया जाएगा। इसी तरह सरकार बता चुकी है कि आधार नागरिकता प्रमाणित करने का दस्तावेज नहीं है। सोचें, पिछले एक दशक में आधार को लेकर जैसा अभियान चला और आधार को जैसे हर व्यक्ति के जीवन का एकमात्र आधार बताया गया उसके बाद उसकी उपयोगिता को लेकर ऐसी बातें हैं! तभी सवाल है कि आधार आखिर किस काम है?

कुछ समय पहले तक हर जगह आधार की जरुरत होती है। यहां तक कि मोबाइल का सिम लेने के लिए भी आधार की अनिवार्यता थी। अब उसे खत्म कर दिया गया है। मनरेगा में मजदूरी के लिए या किसी तरह का सरकारी लाभ लेने के लिए जरूर आधार को अब भी अनिवार्य माना जा रहा है लेकिन मजदूरों और गरीबों के लिए काम करने वाली संस्थाएं इसे नुकसानदेह मान रही हैं और इसे बदलने की मांग कर रही हैं। अगर उस उपयोग को मान भी लें तो बाकी लोगों के लिए आधार की क्या जरुरत थी, जो इतने बड़े पैमाने पर अभियान चला कर हर व्यक्ति को आधार बनवाने के लिए बाध्य किया गया। अगर वह सिर्फ आवासीय पते के सत्यापन के लिए है तो उसके लिए मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और यहां तक कि बैंक का पासबुक भी पर्याप्त है। फिर अलग से इतना अभियान चलाने और पूरे देश को कतार में खड़ा करने की कोई जरुरत नहीं थी।

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By NI Political Desk

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