यह कमाल की बात है कि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी की दरों पर विचार के लिए GST council meeting होती है। हर बैठक से पहले कहा जाता है कि इस बार कौंसिल में जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाया जाएगा। यह भी कहा जाता है कि अमुक सेवाओं और वस्तुओं पर जीएसटी कम कर दी जाएगी। लेकिन बैठक खत्म होती है तो ऐलान होता है कि किन किन चीजों पर जीएसटी बढ़ा दी गई या लगा दी गई।
मिसाल के तौर पर इस बार राजस्थान के जैसलमेर में जीएसटी कौंसिल की 55वीं बैठक होने वाली थी तो उससे पहले कहा जा रहा था कि इस बार जीवन व स्वास्थ्य बीमा की किश्तों पर लगने वाली जीएसटी की दर घटाई जाएगी या खत्म कर दी जाएगी। इससे पहले वाली बैठक में कहा गया था कि और उससे पहले तो इस पर विचार के लिए एक कमेटी बनी थी।
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लेकिन जैसलमेर में जब बैठक खत्म हुई तो बताया गया कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी पर फैसला नहीं हुआ है। उसे टाल दिया गया है क्योंकि कई राज्यों ने इसका विरोध किया। यह नहीं बताया गया कि किन राज्यों ने विरोध किया। बताया जाना चाहिए था ताकि लोग भी जानते। बहरहाल, इसके साथ ही यह ऐलान किया गया कि अब पुरानी कार बेचने पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगी। सोचें, कैसे मध्य वर्ग को लूटने का उपाय है।
पहले नियम बना कि डीजल कार 10 साल और पेट्रोल कार 15 साल से ज्यादा नहीं चला सकते और उसके बाद कहा गया कि पुरानी कार बेचेंगे तो 18 फीसदी जीएसटी देना होगा। इसी तरह पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दी गई है। इतना ही नहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति से निपटने के लिए जीएसटी के ऊपर एक फीसदी लेवी लगाना चाहिए। तत्काल सभी राज्यों ने इसका समर्थन किया और इस पर विचार के लिए एक कमेटी बना दी गई है। अगली बैठक में हो सकता है कि एक फीसदी लेवी लगाने का फैसला हो जाए।