जम्मू कश्मीर में निर्दलीय उम्मीदवारों की बहार आई है। लगभग हर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पहले और दूसरे चरण में 44 फीसदी उम्मीदवार निर्दलीय हैं। इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की चिंता बढ़ी है।
इन तीनों पार्टियों के नेता निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ साथ सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी और इंजीनियर राशिद के उम्मीदवारों को भाजपा के प्रॉक्सी उम्मीदवार बता रहे हैं। उनका कहना है कि इनकी पीछे भाजपा की ताकत है। उसने घाटी में अपने कम उम्मीदवार उतार कर इन निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवारों के पीछे अपनी ताकत लगाई है।
दूसरी ओर छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों का कहना है कि राज्य के मतदाताओं का सभी पार्टियों से मोहभंग हो गया है। तभी लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हरा दिया। जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने उनको हराया।
इससे उत्साहित निर्दलीय उम्मीदवार अपने लिए अच्छा मौका देख रहे हैं। इस बीच पुरानी जमात ए इस्लामी के नेता भी उनके समर्थन में उतर गए हैं। पिछले दिनों जमात के पुराने लोगों ने दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में जुलूस निकाला और रैली की, जिसे आम लोगों का बड़ा समर्थन मिला।
इससे राज्य की राजनीति में एक नई परिघटना के तौर पर देखा जा रहा है। अगर कश्मीर घाटी में वोट बंटते हैं तो सीटें कई पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों में बंट जाएंगी और अगर जम्मू में वोट बंटे तो उसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।