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नमस्कार, मैं हरिशंकर व्यास, भारत में पिछले दस वर्षों से गजब हो रहा है। संविधान को बाकायदा माथे से लगाकर कहा जाता है कि देश संविधान से चलेगा यानी धर्मनिरपेक्षता के आधार पर। लेकिन दूसरी तरफ बार-बार हिंदू राष्ट्र का ह्ल्ला। जय श्रीराम से लेकर वंदे मातरम् कहलवाने की जिद्द और मस्जिद-मस्जिद मंदिर खोजने की जद्दोजहद। और तो और यहूदी इस्लाम के दुश्मन हैं तो वो उसे अपना रोल मॉडल मानते हैं लेकिन उनमें न यहूदियों जैसी स्पष्टता है न सच्ची राष्ट्रीयता और न ही धर्म के प्रति उनकी तरह प्रतिबद्दता।क्योंकि हमारे हुक्मकरान झांसे, फरेब और दोहरेपन की सोच लिए हुए हैं। इसलिए कॉलम अपन तो कहेंगे में हम हिंदू चाहते क्या हैं? सीरीज के तीसरे भाग का शीर्षक है।
संविधान में ‘सेकुलर’ और बगल में बुलडोजर!
बेईमानी, झूठ, दोहरेपन से मिलेगी सिद्धि?