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सनकी हाथों में अमेरिका!

donald trumpImage Source: ANI

donald trump : हाल में मेरे पड़ोसी की नौकरी छूट गई। उनके साथ, दुनिया में 4,000 लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी।

बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के अन्य भागों में जो परियोजनाएं ये लोग चला रहे थे, उनमें रातों-रात कटौती कर दी गई।

मेरी पड़ोसी डोनाल्ड ट्रंप व एलन मस्क के सुधारों के अंतर्गत अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय अनुदान संस्था, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएड) और विदेश मंत्रालय के विलय का नतीजा भुगतने वाले शुरूआती व्यक्तियों में से एक हैं। (donald trump)

यूएसएड की स्थापना सन् 1961 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जान एफ. कैनेडी ने की थी। उस समय शीत युद्ध अपने चरम पर था और इसे स्थापित करने का घोषित उद्देश्य अन्य देशों को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता का बेहतर समन्वय करना था।

ताकि सोवियत संघ का प्रभाव कम करने की अमेरिकी विदेश नीति का लक्ष्य पूरा हो सके। कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) के अनुसार यूएसएड से “रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों और आपसी टकराव में उलझे देशों की मदद की जाती है।

अमेरिका के गरीबी और बीमारियों में कमी लाने और मानवीय मदद करने की कोशिशों में सहायता मिलती है। विकासशील देशों का आर्थिक विकास होता है, वैश्विक बाज़ार में प्रवेश करने की उनकी क्षमता बढ़ती और अमेरिका के व्यापारिक सधते हैं”। (donald trump)

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यूएसएड और अमरीकी में तालमेल नहीं(donald trump)

इस संस्था को अमरीकी कांग्रेस धन मुहैया करवाती थी और इसमें करीब 10,000 लोग काम करते थे। इनमें से दो-तिहाई 130 अलग-अलग देशों में तैनात थे।

सन् 2023 में यूएसएड से मदद पाने वाले देशों में में यूक्रेन, ईथोपिया, जोर्डन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, सोमालिया, यमन, अफगानिस्तान, नाईजीरिया, दक्षिणी सूडान और सीरिया थे। (donald trump)

लेकिन ट्रंप का मानना है कि यूएसएड और अमरीकी हितों में तालमेल नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार, यूएसएड का संचालन ‘उन्मादी उग्रपंथियों’ के हाथों में है और वे उन लोगों को निकाल बाहर कर रहे हैं।

इसके लिए उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) बनाया। उसके संचालन की पूरी आजादी अरबपति मस्क को दी।

मस्क का भी मानना है कि यूएसएड एक ऐसा औजार है जो अमेरिकी करदाताओं का धन छीनकर उसे मार्क्सवादियों और अपराधियों तक पहुंचाता है। तीन फरवरी को उन्होंने एक्स पर पर लिखा कि उन्होंने वीकेंड में यूएसएड की चीरफाड़ की। (donald trump)

चार फरवरी तक यूएसएड की वेबसाईट से सारा विवरण हटा लिया गया। वहां दो वाक्य दिखाई देने लगी जिनमें कहा गया था कि हफ्ते के अंत तक सभी स्थायी कर्मचारियों को एडमिनिस्ट्रेटिव लीव पर भेज दिया जाएगा और यह कि विदेशों में कार्यरत कर्मचारियों से उम्मीद की जाती है कि वे एक महीने के अंदर अमेरिका वापिस आ जाएं।

दुनिया के विकास पर गंभीर असर (donald trump)

यूएसएड को बंद किया जाने को विदेश नीति की एक बड़ी भूल माना जा रहा है। मदद करने वाली संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि इसका पूरी दुनिया के विकास पर गंभीर असर होगा और बीमारियों, अकाल और टकरावों के बढ़ने का खतरा है

क्योंकि दुनिया भर में मानवीय सहायता के रूप में व्यय किए जाने वाले हर 10 डालर में से 4 अमरीका द्वारा दिए जाते हैं। यह अनुमान भी भय और घबराहट पैदा कर रहा है कि चीन इस कदम का फायदा उठा सकता है।

इस बीच मस्क जिस अंदाज में डीओजीई चला रहे हैं, वह उनके ट्विटर खरीदने के अंदाज से मिलता-जुलता है। उस कंपनी को खरीदने के कुछ ही महीनों के अंदर उन्होंने उसके लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारियों की छुट्टी कर दी थी। (donald trump)

एक-तिहाई कर्मचारियों को उन्होने हटा दिया।  बाकी को बर्खास्त कर दिया गया। इनमें वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे जिन्हें आनन-फानन में चलता कर दिया गया ताकि वे अपने शेयरों संबंधी विकल्प का प्रयोग न कर सकें।

हर फैसला – जिसमें किसके ट्विटर एकाउंट पर बंदिश लगाई जाना है शामिल है – लेने का अधिकार सीधे मस्क ने अपने हाथ में ले लिया।

डीओजीई के माध्यम से वे केन्द्रीय बजट के करीब 1000 अरब डालर बचाने के लिए 20 लाख से अधिक केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मामले में भी यही करना चाहते हैं। (donald trump)

डीओजीई के ज्यादातर कर्मचारी नौसीखिए हैं जो इससे पहले निजी संस्थानों में काम करते थे और मस्क ने हाल ही में उन्हें इस विभाग में नियुक्त किया है।

डीओजीई इंजीनियरों की पहुंच 

वायर्ड पत्रिका ने डीओजीई में कार्यरत ऐसे छह इंजीनियरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला है। गेविन क्लिंजर, जिन्होंने यूएसएड को बंद किए जाने का ईमेल भेजा, ने हाईस्कूल की परीक्षा 2017 में उत्तीर्ण की।

इन छह में सबसे कम उम्र के हैं एडवर्ड कोरिस्टाइन। उनके अनुभव में न्यूरालिंक, जो मस्क की दिमाग के प्रत्यारोपण के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी है, में इंटर्न के रूप में कुछ महीने काम करना शामिल है।

इन इंजीनियरों को – और यह साफ नहीं है कि ऐसे कितने और हैं – सभी गैर-गोपनीय दस्तावेजों, साफ्टवेयर सिस्टम और उनकी पूर्ण कार्यप्रणाली तक तुरंत व पूरी पहुंच हासिल होगी। (donald trump)

चूंकि वे गोपनीय आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसका आशय यह है कि उन्हें वक्ती तौर पर ‘अति गोपनीय’ दस्तावेजों को देखने का अधिकार भी हासिल हो चुका है, जिसे ट्रंप ने एक अन्य एग्जीक्यूटिव आर्डर के जरिए उन्हें दिया है।

मस्क और ट्रंप जिस तरह से अमेरिकी सरकार चला रहे हैं, उससे सभी ओर चिंता की लहर है। एक समय रिचर्ड निक्सन को ऐसा राष्ट्रपति माना जाता था, जो इस तरह शासन करते थे जैसे देश के कानून-कायदे उन पर लागू ही न होते हों।

लोकलुभावन शासन और बढ़ता संकट (donald trump)

लेकिन जो अब हो रहा है यह उससे भी बहुत आगे है। क्योंकि कुछ भी कानून-सम्मत तरीके से नहीं हो रहा है। मुकदमे दायर किए जा रहे हैं और विरोध बढ़ता जा रहा है। (donald trump)

कुछ डेमोक्रेटस ने यूएसएड को बंद किए जाने के विरोध स्वरूप सीनेट में ट्रंप द्वारा की गई नियुक्तियों को निरस्त करने की धमकी दी है।

लेकिन डीओजीई के निशाने पर अब अन्य संस्थान हैं। क्या इस पागलपन से अमेरिका अधिक सुरक्षित, अधिक समृद्ध बन सकेगा? (donald trump)

जो लोग चीज़ों को जानते-समझते हैं उन्हें नहीं लगता कि यह सिलसिला रुकेगा। मेरा अनुमान है कि जैसे कई लोकलुभावन अंदाज से शासित देशों में आम नागरिकों को यदाकदा ही कुछ फायदा मिलता है, वैसे ही यूएसएड के मामले में, एक झटके में कई जिंदगियों को खतरे में डाल दिया गया है।

मेरी पड़ोसी को इस बात की फिक्र है कि अब नेपाल के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले छोटे बच्चे शिक्षा से महरूम हो जाएंगे। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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