जो होना ही था वह हो गया है। जो अपरिहार्य था, उसे निक्की हैली ने मान लिया है। वे राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गई हैं। सुपर ट्यूसडे (अर्थात राष्ट्रपति चुनाव के वर्ष का वह दिन जब सबसे बड़ी संख्या में राज्यों में प्राइमरीज होते हैं) उनके लिए कतई सुपर साबित नहीं हुआ। अब यह तय हो गया कि अमेरिका में पिछले चुनाव में जिन दो बुजुर्गों का मुकाबला हुआ था, वे इस बार भी आमने-सामने होंगे।
यह भी तय हो गया है कि रिपब्लिकन मतदाताओं में डोनाल्ड ट्रंप के प्रति जबरदस्त समर्थन है और उनके मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) मार्का समर्थकों का पार्टी में बोलबाला है।ये पूरी तरह उनके साथ हैं और उनकी बचकानी बातों के बावजूद उनके कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं।
हालांकि राष्ट्रपति चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है, लेकिन अब भी कई सवाल हवा में तैर रहे हैं। खासकर डोनाल्ड ट्रंप के बारे में। क्या एमएजीए समर्थकों के अलावा अन्य मतदाताओं में भी उनकी स्वीकार्यता है? इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या हैली व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप का समर्थन करेंगीं?
क्या इस बात की कोई संभावना है कि कानूनी पचड़ों के चलते ट्रंप व्हाईट हाऊस तक का सफर पूरा न कर पाएं? इनमें से अंतिम संभावना के केवल संभावना ही बने रहने की ज्यादा है क्योंकि अमरीकी न्याय प्रणाली भी भारतीय न्याय प्रणाली की कछुए की गति से काम करती नजर आ रही है।
पहले चर्चा निक्की हैली और उनके समर्थकों पर। सुपर टयूजडे को हैली ने वरमाउंट के प्रायमरी में जीत हासिल की।वे इसके पहले वाशिंगटन डीसी में विजयश्री हासिल कर चुकी थीं। मंगलवार को जिन राज्यों में मतदान हुआ उन सभी में उन्हें अपेक्षा से अधिक वोट प्राप्त हुए और ट्रंप और उनके बीच वोटों का अंतर जनमत संग्रहों के अनुमानों से काफी कम रहा। नमूना सर्वेक्षणों के अनुसार 25 से 40 प्रतिशत के बीच रिपब्लिकन मतदाता और कंजरवेटिव इंडिपेंडेंट, ट्रंप के खिलाफ हैं और हैली लगभग इन सभी के वोट हासिल करने में कामयाब रहीं।
इससे ट्रम्प की जीतने की उम्मीदों पर सवालिया निशान लग सकता है, खासकर इसलिए क्योंकि निक्की हैली (कम से कम अब तक) ट्रंप का समर्थन करने के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई हैं। हालांकि पहले के प्रायमरियों के दौरान वे कह चुकी हैं कि ट्रंप और बाईडन में से उनकी पसंद ट्रंप होंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि वे राष्ट्रपति चुनी गईं और यदि ट्रंप को उन पर लगाए गए 91 आपराधिक आरोपों में से किसी में भी सजा हुई तो वे उन्हें क्षमादान दे देंगीं। इसलिए हैली के समर्थक और ट्रंप के विरोधी सांस रोककर उनका रूख साफ होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
फिलहाल वे रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप के बाद दूसरी शक्तिशाली हस्ती बनकर उभरी हैं। एक श्वेत पुरूष के बोलबाले वाली प्रायमरी में एक अश्वेत रिपब्लिकन महिला का अनुमान से बेहतर प्रदर्शन मामूली बात नहीं है। उन्होंने मूक, हताश, खांटी कंजरवेटिव रिपब्लिकन महिलाओं और पुरूषों को दुबारा महत्व और आवाज़ दी है, जो ट्रंप के चीखते-चिल्लाते एमएजीए समर्थकों के बीच नक्कारखाने में तूती बन कर रह गए थे।
इस बीच सुपर टयूजडे की सुपर जीत के बाद ट्रम्प बदले-बदले दिखे। वे हमेशा की तरह बड़ी-बड़ी बातें करने वाले आत्ममुग्ध अहंकारी नहीं दिखे। सबका मानना था कि वे अपने भाषण में कहेंगे कि “देखो, जो मैंने कहा था वही हुआ” और यह भी कि प्रायमरीज केवल समय की बर्बादी हैं। वे निक्की हैली पर ताबड़तोड़ हमले करेंगे और मीडिया और बाइडन को दानव बताएँगे। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
बल्कि उनका 19 मिनट का छोटा सा भाषण देश के निराशाजनक माहौल पर केन्द्रित रहा। उनका भाषण इतना निराशा भरा था कि कई गेस्ट उसके पूरा होने के पहले ही हॉल से बाहर निकल गए। उन्होंने कहा, “दसियों लाख लोगों ने हमारे देश पर हमला कर दिया है। और शायद यह हम पर सबसे बड़ा हमला है”।इसके बाद उन्होंने ऐसी बात कही जिसके सही या गलत होने का पता लगाना असंभव है।“आज ऐसे लोगों की संख्या डेढ़ करोड़ हो सकती है। और ये लोग दुनिया के सबसे खतरनाक और सबसे असभ्य इलाकों से आ रहे हैं”।जाहिर कि उनका मतलब प्रवासियों से था।
लेकिन यह सब सुनकर भी उनके एमएजीए समर्थकों ने भड़ककर चीखना-चिल्लाना शुरू नहीं किया बल्कि बहुत शालीनता से केवल तालियाँ बजायीं। ऐसा लगा मानों वे सदमे में थे। ट्रंप अपनी जीत के बाद अमरीका की बदहाली पर दुःख व्यक्त करेंगे, ऐसी उम्मीद उन्हें नहीं थी। शायद ट्रम्प अब भी खुश नहीं है। शायद उन्हें लग रहा है कि इस जीत के बावजूद हैली उनकी राह का कांटा बनी हुई हैं।
यह कहना मुनासिब होगा कि हैली ने ट्रंप के नियंत्रण वाली पार्टी में अपने लिए एक मुकाम हासिल कर लिया है। आने वाले दिनों में हमें उनका रूख पता चलेगा। क्या वे भी ट्रम्प के आगे दंडवत हो जाएँगी और सीनेटर मिच मॅककॉनल की तरह ट्रंप का समर्थन करना शुरू कर देंगीं? इन सीनेटर महोदय ने तीन साल पहले, 6 जनवरी की हिंसा के बाद ट्रंप की तीखी आलोचना की थी मगर अब वे उनके साथ हैं। या फिर हैली अपना राजनैतिक करियर रिपब्लिकन पार्टी के सिद्धांतों के अनुरूप बनाएंगीं और पार्टी को ट्रंप के पंजों से मुक्त करवाएंगी?
जो भी हो, ट्रम्प अब पक्के तौर पर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बन गए हैं। लेकिन इस बार उन्हें पूरी रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन हासिल नहीं है। जो बाइडन के साथ संग्राम शुरू करने के पहले ट्रंप को अपनी पार्टी को व्यवस्थित करना होगा और उसे अपने पक्ष में करना होगा। जो वे तय मान रहे हैं, उसे रिपब्लिकन भी तय मानें, यह चुनौती अब उनके सामने है (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)