राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

ट्रंप पर भारी पड़ रही कमला हैरिस!

कमला हैरिस के उम्मीदवार बनने से डेमोक्रेटिक पार्टी के कोर वोटरों में जोश लौट आया हैं। मगर इससे आगे भी बहुत कुछ हुआ है। उनकी उम्मीदवारी ने दो बुजुर्गों के बीच चल रहे जहर-बुझे मुकाबले में नई ऊर्जा और उमंग का संचार कर दिया है। सर्वेक्षणों में पहले डोनाल्ड ट्रंप काफी आगे थे। मगर अब हैरिस उनके बहुत नजदीक पहुंच गई हैं।

संदेह नहीं है कि कमला हैरिस अमेरिकी राजनीति के मौजूदा दौर मेंनएपन का, ताजगी का प्रतीक बनी हैं। वे लगातार आगे बढ़ती जा रही हैं। अटलांटा में उनकी रैली में जितने लोग मौजूद थे, उतने इस चुनाव अभियान की किसी भी अन्य रैली में नहीं आये थे। पिछले हफ्ते जार्जिया स्टेट कन्वोकेशन सेंटर में करीब 10,000 की उत्साहित और उत्तेजित भीड़ ने उनकी सभा में हिस्सा लिया। लोगों में हैरिस को लेकर काफी जोश और उम्मीद दिखलाई दे रही थी।

उन्हें लेकर यह उत्साह 2019 में नहीं था, जब उन्होंने राष्ट्रपति बनने का प्रयास किया था। मगर इस बार उन्होंने दोनों राजनैतिक विचारधाराओं के लोगों को चकित कर दिया है। डेमोक्रेटस खुश हैं कि उन्हें ऐसा उम्मीदवार मिल गया है जो चलते हुए लड़खड़ाता नहीं है, जो न तथ्यों को भूलता है और न अपने विचारों में डूबता है। साथ ही, वे काफी हद तक हैरिस की पृष्ठभूमि को लेकर भी उल्लासित हैं। हैरिस के लिए यह चुनाव वैसा ही है जैसा कि 2009 का बराक ओबामा के लिए राष्ट्रपति चुनाव था। पहली बार एक महिला उम्मीदवार को इतना व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। और इस बात की संभावना है कि एक अश्वेत महिला ट्रंप को हरा देगी, जो 2016 के चुनाव में महिलाओं की हार (उस चुनाव में हिलेरी क्लिंटन पराजित हुईं थीं) का ईश्वरीय प्रतिशोध होगा।

चार साल पहले हैरिस इतनी प्रभावशाली नहीं थीं कि वे चुनावी माहौल को अपने पक्ष में कर पातीं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनका अपेक्षाकृत युवा होना, ऊर्जा से भरा होना और उनके विचारों की स्पष्टता लोगों के दिल जीतने के लिए काफी है।59 वर्षीय कमला अचानक डोनाल्ड ट्रंप से लड़ने और उन्हें हराने के लिए सर्वोत्तम उम्मीदवार लगने लगीं हैं।

यह सब ट्रंप की टीम को भी महसूस हो रहा है। उन्हें हैरिस को लेकर मतदाताओं का उत्साह और जोश दिख रहा है और वे इसका मुकाबला करने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। मगर उनके पास करने और कहने के लिए कुछ विशेष है नहीं। हैरिस के मैदान में उतरने के कुछ ही दिनों बाद ट्रंप ने उन्हें सनकी, पागल और बेवकूफ कहा था, उनकी नस्ल पर सवाल उठाए थे और नाटकीयता से उनके नाम का गलत उच्चारण किया था। इन सबका उल्टा प्रभाव हुआ। रिपब्लिकन प्रचार तंत्र उन्हें नीचा दिखाने का कोई असरदार तरीका खोज रहा है। जे. डी. वेंस को हैरिस के संतानहीन होने को लेकर कई साल पहले की गई अपनी टिप्पणियों को लेकर सफाई देनी पड़ रही है।

आने वाले दिनों में उपराष्ट्रपति पद के उनके कार्यकाल को लेकर उन पर हमले होंगे और सवाल किए जाएंगे। लेकिन अपनी सहज बुद्धि से हैरिस भी एक बात अच्छे से जानती हैं – ट्रंप का मुकाबला कैसे किया जाए। उनकी एक मुस्कान का असर हिलेरी क्लिंटन के ट्रंप से डिबेट करने की सारी संजीदा कोशिशों से ज्यादा होता है। हैरिस आम लोगों की भाषा में बात करती हैं और वह कहतीं हैं जो लोगों को साफ़ समझ आ रहा है। वे कहतीं हैं “ये लोग कुछ अजीबोगरीब से हैं,” और फिर दिल खोलकर हंसती हैं। और हम सब जानते हैं कि ट्रम्प को किसी का उन पर हँसना कितना बुरा लगता है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें