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अहंकारी ट्रम्प और अवसरवादी वेंस की जोड़ी

आठ साल पहले तक जेडी वेंस को डोनाल्ड ट्रम्प जरा भी नहीं भाते थे। वेंस ने सार्वजनिक मंच से ट्रम्प को ‘इडियट’ बताया था और कहा था कि वे एक ‘कलंक’ हैं। निजी चर्चाओं में वे ट्रम्प की तुलना हिटलर से करते थे। और आज ट्रम्प ने उन्हें रिपब्लिकन पार्टी का उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। वे ट्रम्प के ‘रनिंग मेट’ होंगे।

सन् 2016 में एक इंटरव्यू में वेंस ने कहा था, “मैं कभी ट्रम्प समर्थक नहीं रहा हूं। मुझे वे कभी पसंद नहीं आए”। उस समय, वेंस की निगाहों में ट्रम्प राष्ट्रपति पद के बहुत घटिया उम्मीदवार थे।

मगर आज वे ट्रम्प के कट्टर समर्थकों में शुमार हैं। ट्रम्प पर जानलेवा हमले के बाद वेंस रिपब्लिकन पार्टी के उन प्रमुख नेताओं में से पहले थे, जिसने इसके लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव अभियान को दोषी ठहराया।

उनके नजरिए में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है, 360 डिग्री का। ट्रम्प के सख्त आलोचक से उनका कट्टर समर्थक बन जाना वाकई हैरान करने वाला है। जिन वेंस ने ट्रम्प को ‘अमेरिका का हिटलर’ बताया था, वे अब मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) अभियान के अग्रणी नेता हैं, पूर्व राष्ट्रपति के निकट सहयोगी हैं एवं उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। मगर एक बात तो है। वेंस बड़े नेता भले ही बन गए हों लेकिन वे अनुभवी राजनीतिज्ञ नहीं हैं।

सन 2016 में प्रकाशित उनके संस्मरण ‘हिलबिली’ की जबरदस्त बिक्री ने 39 वर्षीय वेंस को देश भर में मशहूर कर दिया था। इस किताब पर बाद में नेटफ्लिक्स ने एक फिल्म भी बनाई थी। वेंस एक श्रमजीवी परिवार में पले बढ़े। उनका परिवार, सुखी परिवार नहीं था। लेकिन अपनी साधारण पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने तेजी से तरक्की की। उन्होंने मरीन कोर में काम किया, येल लॉ स्कूल से स्नातक की डिग्री हासिल की, और अंततः पेपाल के संस्थापकों में से एक पीटर थियल की वेंचर केपिटल फर्म मिथरिल कैपिटल से जुड़ गए। उनका विवाह ऊषा चिलकुरी से हुआ, जो भारतीय आप्रवासियों की संतान हैं। उनके तीन बच्चे हैं।

वेंस के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 2022 में ओहायो से हुई। वहां के रिपब्लिकन सीनेटर रॉब पोर्टमेन ने अगला चुनाव न लड़ने का फैसला किया। वेंस को इसमें अपने लिए एक मौका नजर आया। उनके पूर्व बॉस और सिलिकन वैली के पावर ब्रोकर पीटर थियल ने उन्हें आर्थिक सहयोग दिया। लेकिन अपने ट्रम्प विरोधी रिकॉर्ड के चलते वेंस के लिए केवल पैसे के बल पर रिपब्लिकन समर्थक बनते जा रहे ओहायो में जीतना मुश्किल था।

इसलिए उन्होंने अपने पुराने कथनों के लिए खेद व्यक्त किया और एमएजीए आंदोलन से जुड़ गए। इस प्रकार ट्रम्प से उनकी दूरियां खत्म हुईं और वे ट्रम्प का समर्थन हासिल कर सके, रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में शामिल हो पाए और सीनेट के सदस्य बन सके। आज वे ट्रम्प के जबरदस्त समर्थक हैं। ट्रम्प के एजेंडे के हर प्वांइट के पक्षधर हैं और एमएजीए आंदोलन में भी अधिकाधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इस हद तक कि ‘द इकोनॉमिस्ट’ को लगता है कि जेडी वेंस आगे चलकर एमएजीए आंदोलन का नेतृत्व करेंगे।

हालांकि ट्रम्प ने वेंस को चुनने का निर्णय अचानक नहीं लिया है। यह महीनों चले विचार विमर्श का नतीजा था और उन्होंने अंतिम निर्णय अपनी हत्या के प्रयास के 48 घंटे से भी कम पहले लिया था। खबरों के मुताबिक ट्रम्प ने यह फैसला सिर्फ आगामी नवंबर माह में होने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर किया है और इसके पीछे कोई दूरगामी सोच नहीं है।

लेकिन बहुत से रिपब्लिकनों के लिए वेंस का चयन नई पीढ़ी की नई पारी की शुरुआत का संकेत है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार वेंस की तुलना बराक ओबामा से की जाने लगी है। रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में ओहायो के रिपब्लिकन यह कहते हुए सुने गए, “वे हमारे बराक ओबामा हैं। वे बुद्धिमान हैं, बिना लाग लपेट के अपनी बात कहते हैं, युवा हैं और जरा सा भी दिखावा नहीं करते”।

तो आखिरकार असली जेडी कैसा है?

यह तो साफ है कि वे दूसरे ओबामा नहीं हैं। बराक उम्मीद और बदलाव का प्रतीक थे। वेंस तो ट्रम्पवाद का प्रतीक हैं। वे ट्रम्प के विरोधी थे, अब उन्होंने ट्रम्प से हाथ मिला लिया है, वे एमएजीए के आलोचक थे मगर अब एमएजीए की वकालत करते हैं। वे लोक लुभावन दक्षिणपंथ से जुड़ गए हैं.। वे दूसरे देशों में लड़ाइयों में अमेरिका की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हैं और देश में दक्षिणपंथी कानूनों का समर्थन करते हैं।

एक शब्द में कहें तो वेंस अवसरवादी हैं। वे मिलेनियल्स की उस पहली पीढ़ी से हैं, जो अवसरवादी है, सत्ता की भूखी है और जिसे विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है। मजे की बात है यह कि इन्हीं कारणों से कई लोग ट्रम्प की पसंद से खुश हैं। उन्हें लग रहा है कि पेंस के जरिए ट्रम्प की सोच, रिपब्लिकन पार्टी की अगली पीढ़ी में जड़ें जमा लेगी।

और यदि ये दोनों सज्जन जीत जाते हैं तो नजारा क्या होगा? 81 साल के अहंकारी और 39 साल के अवसरवादी की जोड़ी अमेरिका की नाव की खेवनहार होगी। जाहिर है कि सफर उथलपुथल भरा होगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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