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हमले से ट्रम्प की हकीकत नहीं बदली है

ट्रम्प के साथ जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है, गलत है और उसकी जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है। उनसे हम सबको सहानुभूति है। मगर क्या इससे वे राष्ट्रपति पद के सर्वोत्तम उम्मीदवार बन जाते हैं?

इस प्रश्न का जो उत्तर आपका होगा, वही मेरा भी है।

ट्रम्प पर कातिलाना हमले के पहले वे दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण मकान- व्हाइट हाउस– का किरायेदार बनने के लिए जितने अनुपयुक्त थे, हमले के बाद भी उतने ही अनुपयुक्त हैं।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि राष्ट्रपति बनने पर वे क्या कहर बरपा करेंगे तो पिछले 24 घंटे के घटनाक्रम पर ध्यान दें और आपको पता चल जाएगा कि उन्होंने कैसे पहले से अफरातफरी भरे माहौल को और गंभीर बना दिया है।

सबसे पहले बात तस्वीरों की। ट्रम्प का खून से सना चेहरा, सुरक्षाकर्मियों से घिरे हुए ट्रम्प, जो संभवतः अंर तक हिल गए थे, किंतु फिर भी अपनी बंधी हुई मुट्ठी हवा में लहरा रहे थे, और जब उन्हें सभास्थल से ले जाया जा रहा था तब उन्होंने चिल्लाकर कहा ‘फाइट’। हर कदम चलने के बाद उनका चेहरे पर दृढ़ता का भाव और गहरा होता जा रहा था। उनकी आंखों में डर नहीं था। उनकी आंखों में थी जीत की चमक।

ट्रम्प हमेशा से एक मंझे हुए कलाकार रहे हैं। और उन्होंने शनिवार को अपनी अदाकारी का शानदार प्रदर्शन किया। इस बात की सराहना तो करनी ही होगी कि आशंकाओं, अफरातफरी और खौफ से भरे उस मौके पर भी उनका दिमाग शांत था। जैसा कि नीत्शे ने कहा है, ‘व्हाट डजन्ट किल यू मेक्स यू स्ट्रॉन्गर’ (हर आपदा आपको और मजबूत बनाती है)।

इन दृश्यों ने डोनाल्ड ट्रम्प को अजेय बना दिया है। वे इतिहास के पन्नों में एक मसीहा और शहीद दोनों के रूप में दर्ज हो गए हैं। ‘फॉक्स न्यूज’ का मानना है ट्रम्प ने जैसी प्रतिक्रिया की, उससे वे एक हीरो के रूप में उभरे हैं। अमेरिका की ताकत और हिम्मत के प्रतीक के रूप में। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनकी एप्रूवल रेटिंग में बड़ी बढ़ोतरी होने के अनुमान सही साबित होंगे। पिछले महीने हुए डिबेट में राष्ट्रपति बाइडेन के निराशाजनक प्रदर्शन के पहले से ही ट्रम्प मजबूत स्थिति में थे और एक शक्तिशाली राजनेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। वे एक कमजोर, थके और बूढ़े राष्ट्रपति के बरक्स एक पहलवान नजर आ रहे थे। अब चर्चाओं के केंद्र में जो बाइडेन और उनकी बुजुर्गियत नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी हत्या का प्रयास है।

चुनावों के दौरान धारणाओं को सच बनते देर नहीं लगती और प्रतीकात्मकता अक्सर वास्तविकता से अधिक अहम बन जाती है। लाइव टेलीविजन और सोशल मीडिया के इस दौर में यह घटना बहुत जल्दी चुनावी अभियान के केंद्र में आ गई है। और ट्रम्प ने सुनिश्चित किया कि ऐसा हो। इसकी खासी सम्भावना है कि जनता का आह्वान करते ट्रम्प की तस्वीरें और वीडियो इस चुनाव की और संभवतः उनके पूरे राजनीतिक करियर की स्थायी और प्रतिनिधि प्रतीक बन जाएंगी।

लेकिन इससे अधिक चिंताजनक यह है कि अमेरिका का पहले से ही ध्रुवीकृत समाज में और तनाव और उत्तेजना घुल जाएगी। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) के उग्र समर्थकों के लिए ट्रम्प का नारा था ‘फाइट’।

ट्रम्प ने राजनीतिक विमर्श के स्तर को बहुत गिरा दिया है। विमर्श की शब्दावली अधिकाधिक हिंसक और विभाजक होती जा रही है। ट्रम्प ने राजनीतिक हिंसा की शुरुआत की और शनिवार के घटनाक्रम के बाद वे उसी नैरेटिव को और मजबूत कर रहे हैं।

राष्ट्रपति बाइडेन और प्रमुख डेमोक्रेट नेताओं ने ट्रम्प पर हमले की बिना किंतु-परंतु के कड़ी निंदा की है। यह इस तथ्य के बावजूद कि पूर्व राष्ट्रपति से उनके मूलभूत मतभेद हैं। दूसरी ओर रिपब्लिकन खुलेआम इस घटना के लिए अपने राजनीतिक विरोधियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

जेडी वेन्स, जिन्हें उप राष्ट्रपति पद के लिए ट्रम्प द्वारा नामांकित किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, ने इस घटना के कुछ ही समय बाद इसके लिए बाइडेन द्वारा ट्रम्प की आलोचना को जिम्मेदार बताया। एमएजीए उग्रपंथियों ने भी जबरदस्त आक्रोश व्यक्त किया। उनकी लम्बे समय से यह धारणा रही है कि सरकार ट्रम्प के पीछे तरह इस तरह पड़ी हुई है मानो वे एक निर्वासित विपक्षी नेता हों। अब वेन्स ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अमेरिका में उसी तरह की चालबाजियों की जा रही हैं जैसी तीसरी दुनिया के देशों में की जाती हैं। हालांकि यह सच नहीं है क्योंकि बाइडेन प्रशासन ने पूर्व राष्ट्रपति पर लगे आरोपों के मामले में न्यायिक कार्यवाही करने का निर्णय काफी झिझक के बाद किया था। मगर दक्षिणपंथी अमेरिकियों के दिलों में गहरे तक यह बात बैठ गई है कि ट्रम्प को प्रताड़ित किया जा रहा है।

मैं दुहराना चाहूंगी कि गोलियां चलाना गलत है। किसी नेता के प्रति आपकी नापसंदगी का इजहार आपको बुलेट से नहीं, बल्कि बैलेट से करना चाहिए।

मुझे उम्मीद है कि ट्रम्प की हत्या के प्रयास से जनता उस ट्रम्प को नहीं भूलेगी, जिसे हम सबने देखा, अनुभव किया और अस्वीकार किया है। इसी में लोकतंत्र का हित है। भविष्य में भी उनका व्यवहार, उनका चरित्र और उनका एजेंडा ही उनके बारे में राय बनाने के आधार होने चाहिए, न कि उन पर हुआ हमला। उम्मीद है कि उनके प्रति व्यक्तिगत सहानुभूति, मतदान में उनके पक्ष में सहानुभूति की लहर में तब्दील नहीं होगी। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने में जो खतरे निहित थे, शनिवार की गोलीबारी के बाद भी वे बने हुए हैं और बने रहेंगे। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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