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ट्रंप जैसा ही सतही, ओछा विवेक रामास्वामी

रिपब्लिकन पार्टी की राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए पहली प्राईमरी बहस पिछले सप्ताह हुई। मंच पर आठ उम्मीदवार थे, जिनमें डोनाल्ड ट्रम्प शामिल नहीं थे। सबके भाषणों में ढेर सारी कटुता थी। दो घंटे तक सब ने एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले किए। कुछ का व्यवहार ऐसा था मानों उन्हें दूसरों को घाव देने में मज़ा आ रहा हो तो कुछ अपने-आप को सबसे पाक साफ साबित करने में जुटे हुए थे। और यह सब एक ऐसे तमाशे के लिए जिसे कोई याद नहीं रखेगा। 

लेकिन उनमें से एक सबसे हटकर थे – 38 साल के उद्यमी, नौसिखिया राजनीतिज्ञ और ट्रंप जैसे रंग-ढ़ंग वाले विवेक रामास्वामी। वे अन्य सभी उम्मीदवारों के निशाने पर थे और उन्होंने हमलों का सामना पूरे जोशोखरोश और आत्मविश्वास से किया। वे दूसरों की बातों को बीच में काट रहे थे। उन मुद्दों पर भी अपनी राय दे रहे थे जिनकी उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने अन्य उम्मीदवारों को मिल रहे फायदों, उनकी ईमानदारी और उम्र को लेकर कटाक्ष किए। ट्रम्प भी डिबेट्स में यही करते थे – दूसरों पर बढ़त हासिल करने का भोंडा प्रयास। रामास्वामी इस डिबेट के स्टार बनकर उभरे और इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने डिबेट के एक घंटे के अंदर अपने चुनाव अभियान के लिए 38 डालर प्रति दानदाता के औसत से 4,50,000 डालर हासिल कर लिए। 

वाशिंगटन पोस्ट / आईपीएसओएस द्वारा करवाए गए पोल के अनुसार विवेक रामास्वामी, रॉन डिसांटिस और निकी हैली का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा वहीं फाक्स न्यूज की खबर के मुताबिक रामास्वामी का नाम रिपब्लिकन पार्टी (जिसे ग्रैंड ओल्ड पार्टी – जीओपी भी कहा जाता है) के उम्मीदवारों में से गूगल सर्च पर सबसे ज्यादा खोजा गया। अचानक विवेक रामास्वामी की चर्चा घर-घर में होने लगी। ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से उनकी तारीफ की। और मुख्यधारा की मीडिया में से कई ने उन्हें जीता हुआ घोषित कर दिया। न्यूयार्क टाईम्स की सुर्खी थी: ‘‘हाउ विवेक ब्रोक थ्रू: बिग स्विंग्स विथ ए स्माइल”। अखबार ने उनकी स्टाइल को ‘बेकाबू आत्मविश्वास और दूसरों का अपमानित करने वाला बताया’। लेकिन सभी ने उनकी तारीफ नहीं की। दक्षिणपंथी झुकाव वाली ट्रंप-विरोधी वेबसाईट बुलवर्क ने रामास्वामी को ‘सतही बातें करने वाला, मसखरा, बेशर्म, ओछा, और खुशामदखोर’  बताया और कहा कि जीओपी के समर्थक इन दिनों ऐसा ही उम्मीदवार चाहते हैं।

अब रिपब्लिकन डिबेट पर वापस लौटते हैं। जहां रामास्वामी सबसे आगे थे वहीं दक्षिण केरोलिना की पूर्व गवर्नर और ट्रंप प्रशासन के दौरान संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमेरिका की प्रतिनिधि रहीं रिपब्लिकन पार्टी की एकमात्र महिला उम्मीदवार निकी हैली बहुत पीछे नहीं थीं। हैली ने अपने आप को एक तार्किक नेता के रूप में प्रस्तुत किया और अपनी पार्टी से अनुरोध किया कि वह अतिवादी नीतियां छोड़कर यथार्थवादी रवैया अपनाए। उन्होंने रूस के यूक्रेन पर हमले के मामले में अमरीका द्वारा यूक्रेन का समर्थन करने की नीति के बारे में कहा कि यह व्यापक भूराजनैतिक रणनीति का हिस्सा है जो तृतीय विश्वयुद्ध को टालने के लिए जरूरी है। 

उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को एक ‘खतरा’ बताते हुए जो खरी-खरी बातें कहीं, वे पहले किसी रिपब्लिकन नेता ने नहीं कहीं। ‘‘हमें इस हकीकत का सामना करना पड़ रहा है कि ट्रंप अमेरिका के सबसे ज्यादा नापसंद किए जाने वाले राजनीतिज्ञ हैं,” हैली ने कहा और यह भी कि ‘‘हम इस तरह से चुनाव नहीं जीत सकते”। परन्तु इसके लिए उन्हें वहां मौजूद लोगों की हूटिंग का सामना करना पड़ा। ट्रम्प अपनी गैर-मौजूदगी के बावजूद डिबेट में मौजूद थे। रामास्वामी ने ट्रंप को “21वीं सदी का महानतम राष्ट्रपति” बताया, वहीं माईक पेंस ने कहा कि उन्हें ट्रंप-पेन्स प्रशासन की उपलब्धियों पर गर्व है”।  ट्रंप की अनुपस्थिति का बहस की रेटिंग पर प्रभाव पड़ा। वाशिगंटन पोस्ट / आईपीएसओएस द्वारा डिबेट के बाद कराई गई रायशुमारी में पता लगा कि रिपब्लिकन समर्थक बहुत से लोगों ने बहस नहीं देखी।

कुल मिलाकर, पहले प्रायमरी डिबेट से यह साफ़ हो गया है कि रिपब्लिकन बंटे हुए हैं, गुस्से में हैं और उनके रवैये अतिवादी और अलोकप्रिय हैं। इन उम्मीदवारों में से किसी के भी अगला राष्ट्रपति बन पाने की संभावना शून्य है। क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी और उसके समर्थक अभी भी उस ठग के चंगुल में हैं जो 91 आरोप झेल रहा है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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