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तो पुतिन जीत रहे हैं?

Russia Ukraine WarImage Source: ANI

Russia Ukraine War, आज यूक्रेन-रूस युद्ध का 998वां दिन है। और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया है कि युद्ध का अंत निकट है! वह जल्दी ही समाप्त हो जाएगा।

यदि जेलेंस्की और उनके पश्चिमी दोस्त पहले मान लेते कि वे एक हारा हुआ युद्ध लड़ रहे हैं, तो अब तक तो युद्ध कभी का ख़त्म हो गया होता। और यदि ऐसा पहले हुआ होता तो जेलेंस्की और उनके मित्रों की नाक कटने से बचती।

यूक्रेन, रूस को आगे बढ़ने से रोकने में नाकामयाब रहा है। और रूस धीरे-धीरे यूक्रेन की ज़मीन पर काबिज़ होता जा रहा है। यूक्रेन ने इस साल के शुरू में रूस के क्रूस्क क्षेत्र के जितने इलाके पर कब्जा किया था, उसमें से करीब आधा वह गंवा चुका है। ज़मीन के अलावा यूक्रेन हथियार और सैनिक भी खो रहा है। यूक्रेन की सैनिक टुकड़ियां तुलनात्मक रूप से कमज़ोर हैं, थकी हुई हैं और बड़ी संख्या में अपने साथियों को खो चुकी हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध: आर्थिक दबाव और सैनिकों की थकान के बीच जेलेंस्की का भविष्यवाणी

नौजवान सेना में शामिल होकर सीमाओें पर लड़ने से हिचकिचा रहे हैं। अपने देश पर गर्व और राष्ट्रवाद का भाव काफूर हो चला है। आम जनता, नेताओं और मित्र राष्ट्रों का मनोबल और उत्साह भी बहुत कम हो गया है। हथियारों और गोला-बारूद के स्टॉक घटते जा रहे हैं। जाहिर है लड़ाई जारी रखना महंगा, और महंगा होता जा रहा है।

रूस भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहा है, और शायद इस मामले में उसके हालात बदतर हैं। अगले साल वह अपने कुल बजट का एक-तिहाई रक्षा पर खर्च करेगा। जाहिर है इसकी कीमत जनता को चुकानी पड़ेगी। मुद्रास्फीति की दर 10 प्रतिशत से ज्यादा हो जाने की आशंका है। सन् 2025 में संभवतः पहली बार आम रूसी परिवार आर्थिक दबाव महसूस करेंगे। युद्ध के मोर्चे पर हजारों उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात किए जाने से यह साफ़ है कि रूसी सैनिक लड़ते-लड़ते थक चुके हैं।

फिर भी जेलेंस्की ने रूस से पहले यह स्वीकार किया है कि युद्ध शीघ्र ही समाप्त हो सकता है। शनिवार को रेडियो पर प्रसारित अपने एक साक्षात्कार में यूक्रेन के राष्ट्रपति ने यह माना कि पूर्वी यूक्रेन के मोर्चे पर हालात ठीक नहीं हैं और रूसी सेना आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शांति समझौता करने में कोई रूचि नहीं है।

यह सब होना ही था। जानकारों को पता था कि रूस से पहले यूक्रेन दबाव महसूस करेगा। बीते समय में कई बार जेलेंस्की की पीठ में छुरा भोंका गया है। इस छोटे से देश, जो सोवियत काल की अक्षम शासन व्यवस्था के असर से मुक्ति पाने के संघर्ष कर रहा था, को पश्चिमी नेताओं, विशेषकर अमेरिका और जो बाइडन से बहुत उम्मीदें थीं।

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मगर वे उम्मीदें, उम्मीदें ही रह गईं। अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तो दी मगर उनका इस्तेमाल रूस के भीतरी इलाकों पर हमला के लिए करने की इजाजत नहीं दी। सैन्य सहायता के पैकेज मंज़ूर होने के बावजूद सहायता पहुँचाने में बहुत देरी हुई। अमरीका ने यूक्रेन की सुरक्षा की ठोस गारंटी देने में हीला-हवाला किया, जिसे अब बाइडन की कमजोरी और पाखंड बताया जा रहा है। पश्चिमी देशों के समर्थन के बावजूद यूक्रेन नाटो का सदस्य नहीं बन सका।

अब डोनाल्ड ट्रंप के दुबारा व्हाइट हाउस में प्रवेश करने से यूक्रेन के लिए हालात का मुकाबला करना और युद्ध जारी रखना और मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा, नाटो से ट्रंप की नाराजगी का मुद्दा भी है। इस बात की खासी संभावना है कि ट्रंप अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक लगा देंगे और पूतिन से हाथ मिलाकर कीव पर युद्धबंदी के बदले अपना भूभाग छोड़ने की शर्त लादने का प्रयास करेंगे।

यूक्रेन संकट: ट्रंप की वापसी और पुतिन के साथ शांति समझौते की संभावना

यही कारण है कि जेंलेंस्की, जो पश्चिमी समर्थन के बगैर युद्ध में जीत की कल्पना तक नहीं कर सकते, झुकते हुए नजर आ रहे हैं और युद्ध के खात्मे की बात कर रहे हैं। जो हो रहा है वह आश्चर्यजनक नहीं है।

हाल में जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ – जो शायद जल्दी ही अपना पद छोड़ देंगे – ने बीते दो सालों में पहली बार फोन पर पुतिन से एक घंटे तक बात की। इस फोन काल ने सभी को चिंता में डाल दिया है, विशेषकर जेलेंस्की को, जिन्होंने कहा कि इससे समस्याओं का नया पिटारा खुल सकता है। क्या यह आशंका सही है?  क्या पुतिन को अलग-थलग करने का दौर खत्म हो रहा है?

Russia Ukraine War किसी भी ऐसे युद्ध, जिसमें दोनों पक्षों में से किसी की भी निर्णायक जीत की उम्मीद बहुत कम हो, का ख़त्म होना तय माना जाता है। मगर फिर भी तानाशाह पुतिन, जिनकी सेना आगे बढ़ती जा  रही है और यूक्रेन की ज़मीन को निगलती जा रही जल्दी ही यूक्रेन के कुछ हिस्से पर काबिज़ हो सकते हैं। ऐसे में पुतिन, जो अब भी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं, को एक आसान जीत हासिल हो सकती है।

युद्ध का ऐसा अंत अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा- न केवल यूक्रेन व यूरोप के लिए, बल्कि हम सबके लिए भी, क्योंकि इसका अर्थ होगा कि दुनिया ने एक बर्बर शासक को जीतने दिया, अपनी ताकत को बढ़ाने दिए और अपने राज को मजबूत करने दिया। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)Russia Ukraine War

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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