राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

युद्ध अब नाजुक मोड़ पर!

रूस अब पूरी तरह से मनमानी पर उतर आया है। सर्दी के मौसम की शुरूआत के साथ ही रूस ने एक बार फिर यूक्रेन की बिजली उत्पादन संरचना को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सोमवार को रूस ने युद्ध प्रारंभ होने के बाद से सबसे बड़े हवाई हवाई में ड्रोनों और मिसाईलों के जरिए यूक्रेन के बिजली घरों पर हमले किए। रूस पहले भी यूक्रेन के प़ॉवर इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनता रहा है, जिसका लक्ष्य उसके नागरिकों को अंधेरे में जीने पर मजबूर करना और हाड़ जमाने वाली सर्दी का हथियार के रूप में इस्तेमाल करना है।

ये हमले तब हुए जब युद्ध एक नाजुक दौर में है। इस दौर में यूक्रेन ने सीमा पार दक्षिणी रूस में घुसपैठ की है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह रूसी भूभाग पर हुआ पहला हमला है। सोमवार को यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने रूस के और भीतरी इलाकों में घुसने का प्रयास किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने साथी देशों से अनुरोध किया है कि वे रूस की सीमा के अन्दर, भीतरी इलाकों पर आक्रमण के लिए उनके द्वारा दिए गए हथियारों के इस्तेमाल पर लगी पाबंदी हटा लें।

इस बीच पूर्वी यूक्रेन के माइंस शहर पोकरोवस्क के निवासी जल्दी से जल्दी वहां से भागने की तैयारी कर रहे हैं। रूसी सेना इस शहर से केवल 11 किमी की दूरी पर हैं। यूक्रेन को उम्मीद थी कि क्रूस्क पर उसके अचानक किए गए हमले के नतीजे में इस मोर्चे पर रूस धीमा पड़ेगा। मगर ऐसा नहीं हुआ और रूसी सेनाएं और तेजी से आगे बढ़ी हैं। रूस के लिए इस शहर पर कब्ज़ा एक रणनीतिक लक्ष्य है, जो दिनप्रो और जेपोरिसिया जैसे बड़े शहरों की ओर बढ़ने का रास्ता खोल देगा।

यूक्रेन के शीर्ष सैन्य अधिकारी रूस के आगे बढ़ने की कुछ और ही वजहें बता रहे हैं। कुछ का कहना है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में गोला-बारूद नहीं है और दुश्मन उनसे दस गुने तक अधिक असलहे का इस्तेमाल कर रहा है। कुछ अन्य रूस की रणनीति की चर्चा करते हैं –  छोटे-छोटे समूहों में पैदल सेना द्वारा हमले, ग्लाईड बम और नए प्रकार के इलेक्ट्रानिक युद्ध। लेकिन लंबे समय से जारी युद्ध के कारण आई थकावट और पर्याप्त संख्या में सैनिक उपलब्ध न हो पाना यूक्रेन की इस विफलता के सबसे बड़े कारण हैं। जनता डर के माहौल में जीते-जीते और अनिश्चित परिस्थितियों से तंग आ चुकी है। सैनिकों को अपनी शारीरिक क्षमता से बहुत अधिक काम करना पड़ रहा है और जो सैनिक तेज लड़ाई वाले मोर्चों पर तैनात हैं, उनका कहना है कि वहां हथियारों और सैन्य बल दोनों की संख्या दुश्मन की तुलना में बहुत कम है। रूस की लगातार बड़े हवाई हमले करने की क्षमता कायम है और इसके कारण यूक्रेन को कई ऐसे जगहों से पीछे हटना पड़ रहा है जहां उसकी जबरदस्त किलेबंदी है। इस स्थिति से निपटने का कोई उपाय ढूंढना उसकी प्रमुख सैन्य एवं कूटनीतिक प्राथमिकताओं में से एक है। कीव लगातार प्रयास कर रहा है कि युद्ध का रूख बदलने के लिए वह सीमा पार रूस के क्रूसक इलाके पर अधिकाधिक तीव्र हमले करे।

युद्ध शुरू हुए दो साल हो चुके हैं और वह लगातार जारी है। पुतिन अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और पूरी निर्ममता से हमले कर रहे हैं। जेलेंस्की पूरी दृढ़ता से उनका मुकाबला कर रहे हैं। पश्चिम ने ठान रखा है कि वह पुतिन को सत्ता से बेदखल करके रहेगा। बड़े पैमाने पर पश्चिम की सैन्य सहायता के चलते ही यूक्रेन अब तक न तो पराजित हुआ है ना ही आत्मसमर्पण को बाध्य हुआ है। क्रेमलिन का इरादा उत्तरी यूक्रेन पर किए जा रहे हमलों को जारी रखने का नजर आता है, और वह पहले की तरह बेरहमी से टोरेस्क और अन्य शहरों में हवाई हमले जारी रखे हुए है। ऐसी खबरें हैं कि दो हफ्ते पहले यूक्रेनी सैनिकों के रूसी भूभाग में घुस आने के बाद से रूस में राष्ट्रपति पुतिन की छवि को धक्का पहुंचा है। यह भी पिछले कुछ दिनों में रूसी हमलों के अधिक तीव्र होने का एक कारण है। पोकरोवस्क पर कब्जे और डोनेस्क इलाके की प्रशासनिक सीमा की ओर आगे बढ़ जाना, पुतिन के लिए देश अन्दर यह दावा करने के लिए पर्याप्त होगा कि वे जीत रहे हैं।

रूस एवं यूक्रेन दोनों ने रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक-दूसरे के शहरों में घुसपैठ करने में सफलता हासिल कर ली है जिसका उपयोग युद्ध की समाप्ति के लिए होने वाली समझौता वार्ताओं में किया जा सकता है। लेकिन क्या यूक्रेन ने समझौता वार्ताओं में अपनी स्थिति मज़बूत बनाने के लिए जिस रूसी भूभाग पर कब्जा किया है, वह उसे बनाए रखने में सफल होगा? इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब तक तानाशाह पुतिन सत्ता पर काबिज है तब तक क्या युद्ध की समाप्ति संभव भी है? (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *