नई दिल्ली। दिल्ली में मंगलवार को नतीजों के बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों के मुख्यालयों में जीत का जश्न मनाया गया।आखिरचुनावल नतीजा ही ऐसा है जिसमें लगभग हर पार्टी अपने आपको विजेता बता सकती है और उसे आप गलत भी नहीं कह अकते।
सबसे पहले बीजेपी। करीब 8 बजे ट्विटर पर ऐसे वीडियों की बहार आ गई जिनमें भाजपा कार्यकर्ताओं को हलुआ-पूरी तैयार करते दिखाया गया था। मगर करीब 10 बजे तक हलुआ-पूरी की कढाईयां चूल्हे से उतार दी गईं। पत्रकार भाजपा मुख्यालय से एक-एक कर बाहर निकलने लगे। सूरज ढलते भाजपा की सीटों की संख्या 240 पर अटक गई थी। इसके बाद जश्न बंद हो गया।
करीब 4 बजे मैं एआईसीसी मुख्यालय की ओर जाने के लिए निकली। पिछले करीब 10 सालों से सूनी पड़ी रहने वाली सड़क पर खूब शोर-शराबा और उत्सवी माहौल था। अकबर रोड पर इतनी कारें और लोग थे कि पुलिस को एआईसीसी मुख्यालय की ओर जाने वाली सड़क को आधा बंद करना पड़ा। माहौल आनंद का था और मुख्यालय भी कुछ नया-नया सा लग रहा था। मीडिया के लोगों ने भी भाजपा को छोड़ कांग्रेस पर अपना ध्यान केन्द्रित करना शुरू कर दिया। एक प्रमुख पत्रिका के पत्रकार, जिससे कल ही कहा गया था कि वे अलसुबह भाजपा मुख्यालय के बाहर पहुंच जाएं, अपने आफिस से निर्देश मिलने के बाद कांग्रेस मुख्यालय की ओर कूच कर गया।
परंतु शाम तक भी दोनों पार्टियों के समर्थकों को पक्का पता नहीं था कि आखिर जीता कौन है। और इसलिए वे जश्न मनाने में थोड़ी सावधानी रख रहे थे। करीब 5 बजे तक कांग्रेस मुख्यालय के परिसर में कुछ ढोल-नगाड़ों के अलावा बहुत उत्सवी माहौल नहीं था। परंतु फिर राहुल और प्रियंका वहां पहुंचे। प्रियंका पार्टी के मूड के अनुरूप पीली साड़ी पहने हुए थीं। करीब 5.30 बजे तक भाजपा की सीटें 241 और कांग्रेस की 99 बताई गईं। परंतु इस अंतर के बाद भी कांग्रेसी पीछे रहने में भी अपनी जीत देख रहे थे। आतिशबाजी हुई, पटाखे छोड़े गए और कार्यकर्ता झूमकर नाचे। विदेशी पत्रकार, देसी पत्रकार, बल्कि दिल्ली का हर पत्रकार वहां मौजूद था। सब देख रहे थे कि 2014 में भाजपा के भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने के संकल्प का क्या अंजाम हुआ है।
फिर भाजपा मुख्यालय में खबर आई कि नरेन्द्र मोदी वहां पहुंच रहे हैं। इससे वहां फिर उत्साह का संचार हो गया। उम्मीदें जाग उठीं और उदासी गायब हो गई। यह असमंजस अमझा जा सकता है। आखिर पार्टी पूरे 10 साल बाद ऐसी स्थिति का सामना कर रही थी जब उसकी जीत उसकी अपेक्षाओं से बहुत कम थी, बल्कि यह भी साफ़ नहीं था कि नतीजों को उसकी जीत बताया भी जा सकता है या नहीं।
कुल मिलाकर 2024 का चुनाव सभी को विजेता कहलाने का गौरव दे रहा है। भाजपा भले ही सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में उभरी हो मगर अब विपक्ष, क्षेत्रीय पार्टियां और भाजपा के गठबंधन साथी भी पहले से कहीं अधिक ताकतवर हैं। सचमुच यह चुनाव जनता के लिए, जनता की और जनता द्वारा जीत है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)