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क्या कयामत के कगार पर?

Israel Red Heifer cows

इजराइल खांटी खलनायक की भूमिका में है।तभी तय सा हैजो हालात आगे और खराब हो। रिपोर्ट है कि इजराइल न केवल ईरान पर और हमला करने, जंग बढाने की और है बल्कि वहां कुछ ज्यादाबड़ा करने का तानाबाना बना है। एक दुस्साहसी जुनून में ऐसा कुछ होगा जोपूरी दुनिया को कयामत, सर्वनाश की और ले जाए। Israel Red Heifer cows

हां, कल्पना ही दहलाने वाली है। कहते है इजराइल की नेतन्याहू सरकार के मौन समर्थन से कट्टरपंथी यहूदी चुपचाप ‘रेड हेफ़र्स(red heifers)अनुष्ठान की तैयारी में है। मतलब यरूशलेम में तीसरे मंदिर के पुनर्निर्माण, याकि मौजूदा अल अक्सा मस्जिद के स्थान पर नए मंदिर के निर्माण का इरादा बना है। अर्थात इस्लाम के तीसरे पवित्र स्थान अल अक्सा मस्जिद को नष्ट करने की बनती भूमिका। इसके लिए यहूदी टेम्पल इंस्टीट्यूट को वह पवित्र लाल बछिया प्राप्त हो गई है जो अनुष्ठान की कसौटियों में उपयुक्त है। इनकी कुर्बानी व अनुष्ठान की तारीख में इस 22 अप्रैल का कयास है या मई के मध्य तक के पेंटाकास्ट के दौरान में कभी भी इसके होने की चर्चा है। Israel Red Heifer cows

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पहले यह जान लिया जाए कि लाल बछिया (red heifers)है क्या?ये लाल रंग की निर्मल गाय हैं। निर्मल का अर्थ यह है कि वे कभी गर्भवती नहीं हुईं, उन्होंने कभी दूध नहीं दिया, उन्हें कभी जोता नहीं गया और उनके शरीर पर कोई दाग-धब्बा नहीं है। यहूदी परंपरा में उनकी राख का इस्तेमाल उन लोगों के शुद्धिकरण के लिए किया जाता था जो किसी लाश के संपर्क में आने के कारण दूषित हो गए हों।

ध्यान रहे यहूदी कोई1,900 सालों तक अपनी पुण्यभूमि से निर्वासित रहे। इस पूरे दौर में उनका यह अरमान रहा है कि वे इजराइल वापस लौटें, यरूशलम में तीसरे मंदिर का निर्माण करें और वहां प्रार्थना करें। ओल्ड टेस्टामेंट के मुताबिक जहाँ अभी अल अक्सा मस्जिद है वहां पहले दो यहूदी मंदिर हुआ करते थे। पहला 1000 ईसा पूर्व से 586 ईसा पूर्व तक वहां था और दूसरा 515 ईसा पूर्व से 70 ईस्वी तक। अतिराष्ट्रवादी यहूदी संगठन दशकों से तीसरा मंदिर खड़ा करने का सपना लगातार देखते रहे हैं।

टेम्पल इंस्टीट्यूट जैसे कट्टरपंथी यहूदी संगठनों का कहना है कि तीसरा मंदिर तब तक नहीं बन सकता जब तक मौजूदा अल अक्सा मसजिद को नेस्तनाबूद कर परिसर का शुद्धिकरण न कर दिया जाए। इस मंदिर के लिए वस्त्रों, बर्तनों और एक विशिष्ट वंश के सैकड़ों लोगों की भी जरूरत होगी, जो पुरोहिताई में प्रशिक्षित हों और जो मंदिर में सेवा करने को राजी हों। Israel Red Heifer cows

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इसके अनुष्ठान की पहली जरूरत लाल बछिया गायों की है। टेम्पल इंस्टीट्यूटइनकी दशकों से तलाश में था। पवित्र लाल बछिया की आवश्यकता में बहुत कुछ हुआ। अंततः कहते है अमेरिका के टेक्सास में ये मिली और उन्हे वहा से लिवा या गया। अब उनकी बलि की तैयारी है ताकि अल अक्सा मस्जिद की जगह तीसरा यहूदी मंदिर बनाया जा सके।

शुद्धिकरण के लिए बलि की गई लाल बछिया गाय, लाल कपडे, देवदार की लकड़ी और हाईसोप (एक पेड़ जिसका ज़िक्र बाइबिल में है) की राख का मिश्रण चाहिए होता है। साथ ही चाहिए होता है झरने का ताज़ा पानी, जिसे ‘पवित्र’ बच्चे इकठ्ठा करते हैं। पवित्र बच्चों का लालन-पालन एक विशिष्ट तरीके से होता है। ऐसा माना जाता है कि राख का यह मिश्रण 100 साल तक किसी स्थल को शुद्ध बनाए रखता है। बीच-बीच में उसमें ज़रुरत के मुताबिक झरने का जल मिलाया जा सकता है।

समस्या यह थी कि लाल बछिया मिल नहीं रही थी। वे दुर्लभ हैं, लगभग विलुप्त हो चुकी हैं। लेकिन इजरायली तय कर चुके थे कि या तो वे लाल बछिया बनाएंगे या उसे ढूंढ निकालेंगे। सन् 1987 में मंदिर ट्रस्ट की स्थापना के बाद से ये प्रयास किये जा रहे थे कि या तो कृत्रिम गर्भाधान से ऐसे बछिया पैदा कर ली जाए या  दुनिया के कोने-कोने में उसे ढूँढा जाए। इस अभियान के लिए भारी धनराशि इकट्ठा की गई। यह अभियान सन 2022 में तब फलीभूत हुआ जब टेक्सास, अमेरिका के एक ईसाई धर्मप्रचारक किसान ने पांच लाल बछिया, जिनकी उम्र एक साल थी, इजराइल को दान दे दीं। इन्हें हवाईजहाज से इजराइल लाया गया और मवेशियों के आयात पर प्रतिबन्ध के कानून को धता बताने के लिए उन्हें ‘पालतू पशु’ का दर्जा दिया गया।

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शुद्ध लाल बछड़े को पैदा करने या खोज निकालने के अभियान के साथ-साथ अल अक्सा के ठीक सामने स्थित माउंट आफ ओलिव्स पर ज़मीन का एक टुकड़ा हासिल किया गया है। इस प्लाट से पुरोहित बछड़े की बलि चढ़ाने के बाद बाईबल में बताई गयी विधि के मुताबिक उसका खून अल-अक्सा की ओर छिड़क सकेंगे। Israel Red Heifer cows

यह सब अभी अवास्तविक सा लगता है। एकदम रहस्यपूर्ण। मगर यह सच है।

यह सारा विवरण अल जजीरा ने दिया है और वैश्विक मीडिया में दबे-छुपे अंदाज में है। मैंने इसके बारे में अपने कश्मीरी परिचितों से जाना। उनमें से कई यह मानते हैं कि यह एकदम सही है और ऐसा ही होगा। और इसके लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की गई है जो डे ऑफ पासओवर (यहूदियों की मिस्रवासियों से गुलामी का मुक्ति का उत्सव) है। इजरायली एनजीओ इर अमीम के अनुसार टेम्पल मूवमेंट उस दिन इजरायली सरकार के सहयोग से एक लाल बछड़े की कुर्बानी की तैयारियां कर रहा है।

इसका अर्थ यह है कि 22 अप्रैल (या मई मध्य के पेंटाकास्ट की अवधि में कभी ) को मानव जाति सर्वनाश के दलदल में धंस सकती है।कल्पना कर सकते है कि दुनिया भर के मुसलमानों पर इसका कैसा असर होगा? तब सभ्यताओं का टकराव रियलिटी बनेगा।सभ्यताओं में टकराव की बात 1990 में सेम्युअल हटिंगटन ने 9/11 की त्रासदी और उसके बाद आतंकवाद के सफाये के लिए छेड़े गए युद्ध के संदर्भ में कही थी।  हटिंगटन का मानना है कि अगला वैश्विक संघर्ष पश्चिमी (यहूदी/ईसाई; यूनानी/रोमन) सभ्यता और कट्टरपंथी इस्लाम के बीच होगा।

कह सकते है हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को किया गया हमला – जिसे “आपरेशन अल-अक्सा फ्लड” का नाम दिया गया था – इजराइल द्वारा बार-बार और लगातार येरुशलम के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने और मुस्लिमों की पवित्र मस्जिद अल अक्सा के यहूदीकरण के प्रयासों की प्रतिक्रिया में बताया गया। साफ है इस हमले को यह स्वरुप इसलिए दिया गया ताकि अरब देशों और मुसलमानों का समर्थन हासिल किया जा सके। इस हमले के जवाब में हमास की तर्ज पर नेतन्याहू ने भी गाजा में नरसंहार को धार्मिक जामा पहनाया। अमेरिका (यहूदी/ईसाई) के समर्थन के सहारे इजराइल ने गाजा पर बार-बार हमले किए जिनमें अब तक 33,970 लोग मारे जा चुके हैं। इजराइल की कोशिश इलाके से फिलिस्तीनियों कोबाहर करने कीहै।

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कल सुबह इजराइल ने पिछले सप्ताहांत ईरान द्वारा किए गए मिसाईल और ड्रोन हमलों का जवाब देते हुए उस पर हमला कियाहै। ईरान की कार्यवाही, इजराइल द्वारा दमिश्क में एक ईरानी कूटनीतिक दफ्तर पर हमले में मारे गए दो ईरानी जनरलों की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए के नाम पर थी। ईरान ने इजराइल के दूसरे हमले पर त्वरित प्रतिक्रिया की। इससे यह पूरा इलाका युद्धभूमि बनने की और बढ़ता लग रहा है। Israel Red Heifer cows

ऐसे में लाल बछड़े की कुर्बानी इस आग में घी का काम करेगी।

माईकल सेम्युअल स्मिथ नामक एक ईसाई धर्मप्रचारक, जो तीसरे मंदिर की परिकल्पना को साकार करने में जुटे हुए हैं, ने बोनेह इजरायल वेबसाईट पर जनवरी में लिखा “लगभग 2000 सालों में यह पहला मौका है जब एक लाल बछिया हमारे पास है” स्मिथ ने वीडियो में कहा “हमारी अभी भी यह राय है कि 2024 के बसंत में, पासओवर और पेंटेकास्ट के बीच, लाल बछड़े की सफल कुर्बानी होगी।”

हालांकि व्यक्तिगत तौर पर मुझे भरोसा है कि कुर्बानी या मंदिर का निर्माण नहीं होगा, निकट भविष्य में तो बिल्कुल नहीं। न 22 अप्रैल को और ना ही पेंटाकास्ट के दौरान, जो मई के मध्य तक है। बावजूद इसके यह भी लगता है कि बेंजामिन नेतन्याहू अति दक्षिणपंथी और अति रूढिवादी नेताओं के दबाव में हैं। वे उनसे पार पाने में असमर्थ हैं। और ऐसे में यदि वास्तव में कुर्बानी की तैयारियां की जा रही होंगी तो उनका घटनाक्रम पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।

नेतन्याहू और उनकी सरकार पर दुनिया की टेढ़ी नज़र थी। मगर युद्ध ने उन्हें अभयदान दे दिया है। अति दक्षिणपंथी और अति रूढिवादी यह अच्छी तरह जानते हैं कि सत्ता में उनके दिन गिनती के हैं और इसलिए वे समय रहते अधिकतम संभव जमीनी बदलाव कर देना चाहते हैं। लेकिन यदि उन्हें पर्याप्त समय मिलता है – और नेतन्याहू के लिए उन्हें यह वक्त मुहैया कराने के अपने कारण है – तो संभव है कि वे इजराइल और दुनिया का चेहरा अपरिवर्तनीय हद तक बदल दें। क्योंकि वे जितने ज्यादा समय तक अब सत्ता में रहेंगे, युद्ध अधिकाधिक हिंसक होता जाएगा और लाल बछड़े की कुर्बानी बड़ा, और बड़ा मुद्दा बनती जाएगी। और अंत में शायद वह हकीकत भी बन जाए।

इसे सभ्यताओं का टकराव कहें, कलयुग कहें, या कयामत कहें। आने वाला समय अत्यंत रक्तरंजित, दहलाने वाला हो सकता है।

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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