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नेतन्याहू और हमास को लड़ते रहना है!

यह समझने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन होना ज़रूरी नहीं है कि कोई भी चीज़ तभी संभव हो सकती है जब हम माने कि वह संभव है। जाहिर है किसी भी युद्ध की समाप्ति तभी संभव हो सकती है जब यह यकीन हो कि युद्ध खत्म हो सकता है। लेकिन यदि दोनों युद्धरत पक्ष युद्ध जारी रखने पर आमादा हों तब क्या होगा? युद्ध की समाप्ति कैसे संभव होगी जब दोनों पक्षों के सहयोगियों ने यह तय कर रखा हो कि वे युद्ध की समाप्ति के लिए कुछ नहीं करेंगे?

एंटोनी ब्लिंकन 7 अक्टूबर – जिस तारीख से बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पर कहर ढाने की शुरूआत की थी – के बाद से नौवीं बार इजराइल पहुंचे हुए हैं। वे एक बार फिर बीबी से चर्चा कर, उन पर दबाव डालकर, उन्हें इस बात के लिए राजी करने का प्रयास कर रहे हैं कि वे खलनायक की तरह की हरकतें करने से बाज आएं। यह यात्रा उस समय हो रही है जब एक लम्बी अवधि का युद्धविराम होने की ‘ठोस संभावनाएं’ नजर आ रही हैं। दोहा में वार्ताएं दुबारा प्रारंभ होने के बाद अमेरिका को उम्मीद थी कि समझौता हो जायेगा। हालाँकि हमास व इजराइल इस संबंध में आशान्वित नहीं थे।

लेकिन उम्मीदें तो उम्मीदें ही होती हैं। उनका पूरा होना ज़रूरी तो नहीं। और यही हुआ। सोमवार की सुबह हमास ने युद्धविराम समझौते को अस्वीकार कर दिया।  युद्ध प्रारंभ होने के बाद से ही युद्धविराम की संभावनाएं बार-बार बलवती होती रही हैं। युद्धविराम की आशा जागती है और फिर उसे बेदर्दी से कुचल दिया जाता है। यहाँ तक कि युद्धविराम अब अप्राप्य और असंभव लगने लगा है। वजह यह कि इजराइल और हमास दोनों चाहते हैं कि युद्ध जारी रहे।

ऐसा क्यों?

पहली बात यह है कि बेंजामिन नेतन्याहू की सत्ता पर पकड़ कमजोर है और वे सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। उन्होंने अपने सत्ताधारी गठबंधन के अतिवादियों से निकटता बढ़ा ली है और उनके स्वर में स्वर मिला रहे हैं। दूसरी बात यह है कि नेतन्याहू लंबे समय से दुनिया को दिखाते आ रहे हैं कि उन्हें नागरिकों की मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ता। और उनके लिए अब पीछे हटना संभव नहीं है। यहूदी अभिमान उन्हें अपने कदम पीछे खींचने से रोक रहा है। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि युद्ध खत्म होता है, यानि यदि इजराइल बमबारी बंद करता है, तो उसके बाद क्या किया जाना है, इस संबंध में बीबी के पास कोई योजना नहीं है। युद्ध ख़त्म होने के बाद या तो गाजा में अराजकता फैल जाएगी या उस पर इजराइल का कब्जा हो जायेगा। दोनों ही स्थितियों में और अधिक रक्तपात होगा और यहूदियों के प्रति और नफरत उत्पन्न होगी।

इसके अलावा, 7 अक्टूबर के हमले की मुख्य साजिशकर्ता याह्या सिनवार को 6 अगस्त को हमास का सर्वोच्च नेता घोषित किए जाने के बाद से युद्धविराम की राह में एक और बड़ा रोड़ा खड़ा हो गया है। सिनवार किसी भी अन्य आतंकवादी जितने ही क्रूर हैं और इजराइल को खत्म करना उनका लक्ष्य है। इस्माइल हनीया के विपरीत, जो युद्धविराम के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करते थे, सिनवार चाहते हैं कि युद्ध जारी रहे। कतर द्वारा हमास के नेताओं को यह धमकी दिए जाने के बावजूद कि यदि उन्होंने युद्धविराम संबंधी वार्ताओं में अधिक लचीलापन नहीं दिखाया तो उन्हें दोहा से निष्कासित कर दिया जाएगा, सिनवार अविचलित हैं। ठीक उसी तरह जैसे बिग ब्रदर अमरीका की सलाह की बीबी बिल्कुल परवाह नहीं कर रहे हैं। इस्माइल हनीया के विपरीत सिनवार ईरान के नजदीक हैं। बीबी के पास भी अमरीका को छोड़कर चीन का हाथ थामने का विकल्प है। पिछले साल जब बाइडन ने बीबी को नीचा दिखाने के लिए उन्हें अमरीका यात्रा का निमंत्रण नहीं दिया था, तब बीबी ने तुरंत एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसका उद्धेश्य वाशिंगटन को यह चेतावनी देना था कि उनके पास अन्य कूटनीतिक विकल्प मौजूद हैं।

दोनों को डराया जा रहा है मगर भय के बावजूद प्रीति उत्पन्न नहीं हो रही है। दोनों न तो पीछे हटते नजर आ रहे हैं और न ही ऐसा लग रहा है कि वे भविष्य में पीछे हटेंगे। इजराइल, और खास तौर पर हमास, ऐसी कोई बात स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ या अमरीका द्वारा प्रस्तावित की गई हो। बीबी के लिए तो यह विचार करने योग्य विकल्प तक नहीं है। वे कोई भी दीर्घावधि का वायदा करने के पहले चाहते हैं कि 120 बंधकों में से कुछ और (जिनमें से कम से कम 43 के बारे में अनुमान है कि उनकी मौत हो चुकी है) वापिस आ जाएं। लेकिन हमास युद्धविराम या बंधकों की रिहाई केवल इजरायली सेनाओं के पूरी तरह से गाजा पट्टी से हटने के बाद ही किए जाने के पक्ष में है।

इस बीच अटकलों का बाजार गर्म है। अमेरिका उम्मीदों का अगुआ बना हुआ है। उसे उम्मीद है कि समझौता हो जायेगा। गाजा में खूनखराबा जारी है। 10 माह से जारी इस युद्ध में 40,000 लोग जान गँवा चुके हैं। पिछले 24 घंटों में ही 25 मौतें हुई हैं। गाजा पट्टी में घायल हुए 92,609 लोगों की सूची भी तैयार है। इस इलाके में पोलियो का प्रकोप होने का खतरा भी मंडरा रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूनिसेफ ने सात दिनों तक युद्ध रोकने का आव्हान किया है ताकि बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया जा सके। इस बीच शनिवार को दक्षिण लेबनान पर हुए इजरायली हमले में 10 लोगों के मारे जाने के बाद हिज्जबुल्लाह और इजराइल के बीच तनाव बढ़ा है। यह 8 अक्टूबर से हिज्जबुल्लाह और इजराइल के बीच सीमा पर शुरू हुई गोलीबारी के बाद से लेबनान पर हुआ सर्वाधिक भीषण हमला था। ईरान और इजराइल के बीच लंबे समय से जारी छद्म युद्ध भी अब साफ नजर आने वाले टकराव में बदल गया है। हिज्बुल्लाह और ईरान के अन्य साथियों जैसे सीरिया, ईराक और यमन ने कहा है कि वे इजराइल पर हमले करना गाजा में युद्ध खत्म होने के बाद ही बंद करेंगे।

कुल मिलकर, युद्ध खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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