बेंजामिन नेतन्याहू को देश और विदेश दोनों में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध शुरू हुए 70 दिन बीत चुके हैं, मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है, इजराइल से अगवा किए गए बहुत से लोग अभी भी गाजा में बंधक हैं लेकिन इजराइल के प्रमुख पश्चिमी मित्र राष्ट्र समर्थन देते-देते थक गए है। इनकी आलोचना तीखी होती जा रही है।और विकल्प की तलाश भी हो रही है।
कुछ दिन पहले इजरायली सैनिकों द्वारा बंधकों को मुक्त कराने की बजाए उन्हें मार डालने की घटना से उन लोगों को बल मिला है जिनका तर्क है कि सैन्य अभियान, जिसमें बमबारी और सड़कों पर आमने-सामने की लड़ाई शामिल है, से उन लोगों के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है जो अभी भी अपहरणकर्ताओं के कब्जे में हैं। कुल मिलाकर इजराइल की बदनामी है और हमास की सैन्य ताकत को नष्ट करने का मुख्य लक्ष्य बहुत दूर नजर आता है। गाजा में हमास के प्रमुख याह्या सिनवर और मोहम्मद डिएफ व मरवान इस्सा, जो उसके सैन्य बल के कमांडर हैं, अब भी जिंदा हैं। इसका आंशिक कारण है हमास का सैकड़ों मील लंबी सुरंगों का नेटवर्क, जिसे इजराइल अपनी सैन्य शक्ति और ड्रोन सर्विलांस क्षमताओं के बावजूद तहस-नहस करने में असफल रहा है।
उधर नेतन्याहू की सत्ता पर पकड़ कमजोर हुई है। लेकिन उनका रवैया जस का तस है।वे इजरायली सेना से अपना अभियान तेज करने को कह रहे हैं। इन्होंने आईडीएफ की एक पूरी एयरबोर्न डिवीजन दक्षिणी शहर खान युनुस के अंदर और उसके आसपास तैनात कर दी है, जहां उनके अनुमान के अनुसार हमास के वरिष्ठ नेता छिपे हुए हैं। तीन बख्तरबंद डिवीजनें अभी भी तहस-नहस हो चुके गाजा शहर में सक्रिय हैं। शहर के शुजाहिया और जबालिया इलाकों में भीषण लड़ाई जारी है। आईडीएफ उन सुरंगों को नष्ट कर रहा है, जिनमें हमास के लड़ाके शरण लेते हैं और शहर के अंदर व उसके बाहरी क्षेत्र की सैन्य व नागरिक अधोसंरचना को भी। आईडीएफ ने गाजा शहर के पेलिस्टाइन स्क्वेयर में इजरायली झंडा फहराया और कई ऐसे स्थानों पर हनुक्का मोमबत्तियां जलाईं है जहां लड़ाई हुई थी। लेकिन अभी भी बात बनी नहीं है। वह जीत अब तक हासिल नहीं हो सकी है, जिसकी मांग इजरायली नागरिक अपने नेताओं से कर रहे हैं।
चार बंधकों की मौत के कारण इजरायइल की सरकार पर शेष बंधकों की रिहाई के लिए नए सिरे से बातचीत करने का दबाव बढ़ा है। बंधकों के परिवारजनों के प्रदर्शन बढ़ रहे है और यह माना जा रहा है कि बंधकों की सही-सलामत रिहाई के सम्भावना कम होती जा रही है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि बंधकों में से अधिकांश की या तो मौत हो चुकी है या उनकी हत्या कर दी गई है। वाकई उनके लिए समय बीतता जा रहा है। नागरिकों की बढ़ती मौतों से इजरायली आक्रमण के प्रति अंतर्राष्ट्रीय समर्थन पहले से ही घट चुका है। और अब अमरीका, जिसका समर्थन इजराइल के लिए अपरिहार्य है, का रवैया भी ढुलमुल हो रहा है।
ऐसी कई खबरें हैं कि अपनी हालिया यात्रा के दौरान अमरीकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने इजरायलियों से कहा कि उन्हें इस साल के अंत तक अपनी कार्यवाही पूर्ण करनी होगी। इस बीच अमरीकी प्रशासन यह मांग भी कर रहा है कि इजराइल, फिलिस्तीनियों की तकलीफें दूर करने की दिशा में और अधिक कार्य करे, विशेषकर दक्षिणी गाजा में। करीब 20 लाख लोग, जो युद्ध के कारण अपने घरों से विस्थापित लोगों के तीन-चौथाई से भी अधिक है, भीड़ भरी जगहों पर समूहों में रह रहे हैं। उन्हें रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें बहुत कम मात्रा में उपलब्ध हो पा रही हैं और स्वच्छता की कमी के चलते बीमारियों का प्रकोप होने का खतरा है।
इसके अलावा जनाक्रोश भी बढ़ रहा है। बंधकों की हत्या के बाद कई लोग कह रहे हैं कि अब उन्हें न तो नेतन्याहू पर भरोसा है और ना ही उनसे कोई उम्मीद है। एक नेता के रूप में उनकी भूमिका को लेकर गुस्सा है, विशेषकर उनके जिम्मेदारी स्वीकार न करने के रवैये और मृतकों के परिवारों से नहीं मिलने को लेकर। यद्यपि हमास सार्वजनिक रूप से कह चुका है कि बंधकों को लेकर तब तक आगे कोई बातचीत नहीं होगी जब तक इजराइल गाजा पर आक्रमण नहीं रोकता मगर असल में कतर और मिस्र की सहायता से बातचीत जारी है और यह उम्मीद है कि एक बड़ा समझौता हो सकेगा, जिसके जरिए इजराइल महत्वपूर्ण फिलिस्तीनी कैदियों, जिनमें इजराइली नागरिकों की हत्या के सजायाफ्ता भी शामिल हैं, को रिहा करेगा और इसके बदले में बड़ी संख्या में बंधकों को भी मुक्त किया जाएगा।
जैसे-जैसे साल का अंत निकट आ रहा है, नेतन्याहू पर आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। लेकिन वे युद्धविराम के आव्हानों का प्रतिरोध कर रहे हैं। और यदि अमरीका नए साल की शुरूआत में लड़ाई बंद करने की मांग करता है, तो इजराइल एवं गाजा दोनों में न तो शांति रहेगी और ना ही रहने लायक परिस्थितियां। बल्कि पूरे मध्यपूर्व क्षेत्र में शांति कायम नहीं हो सकेगी। क्योंकि भले ही बमबारी रूक जाए, आईडीएफ छोटे पैमाने पर जमीनी सैन्य कार्यवाहियां जारी रखेगा। ऐसे परिदृश्य में गाजा के कुछ हिस्सों पर हमास का कब्जा बरकरार रहेगा और नेतन्याहू का इजराइल, सात अक्टूबर के नरसंहार के दोषियों को खत्म करने के अपने मुख्य लक्ष्य को हासिल करने में असफल रहेगा। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)