सात अक्टूबर को यहूदियों की छुट्टी का दिन था।और उसी दिन इजराइल थर्राया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यहूदियों को संबोधित करते हुए कहा वे जंग के अधबीच हैं।तुरंत एक बंटा और बिखरा हुआ देशएकजुट हो गया।और योम किपुर युद्ध के ठिक 50 साल बाद इतिहास अपने को दोहराता हुआ। और दुनिया फिर एक और जंग की और।
हमास के इजराइल पर इस अचानक हमले से सभी चकित रह गए। इजराइल का मज़बूत आतंकवाद निरोधक ढांचा हकबका गया। सवाल है उसका रक्षा तंत्र इतनी बुरी तरह से असफल क्यों हुआ? एक ऐसे देश जिसने पैगासिस के जरिए सभी के जीवन में घुसपैठ की हुई है उसे अपनी बाड़ के पार मौजूद आंतकवादियों के इरादों और तैयारियों की हवा तक क्यों नहीं लगी? इजराइल बहुत ही होशियारी से फिलिस्तीनी समुदाय की निगरानी, उनके बीच में घुस कर करता रहा है। और हमास की गतिविधियों पर नजर रखना तो उसके सुरक्षा ढांचे के सबसे प्रमुख कार्यों में एक है। लेकिन 7 अक्टूबर की सुबह इजराइल हैरान रह गया।तभी यह न केवल इंटेलिजेंस की नाकामी है बल्कि इजराइल के पूरे तंत्र की नाकामी है।
हमास ने पिछले 50 साल में इस यहूदी राष्ट्र पर सबसे बड़ा और बर्बर हमला किया है।इस हमले को उसने इजराइल द्वारा येरूशलम की टेम्पल माउंट पहाड़ी पर स्थित अल-अक्सा के परिसर पर किए गए ‘हमले’ का जवाब बताया है।इन पंक्तियों को लिखे जाने तक लड़ाई और बमबारी चरम पर थी। इजरायली अधिकारियों के अनुसार हमास के हमले में कम से कम 300 इजराइलियों की मौत हो चुकी है और 1,590 घायल हैं। गाजा में इजराइल की जवाबी कार्यवाही में भी 300 से ज्यादा फिलिस्तीनी जान गंवा चुके हैं और 1,610 घायल हैं।हमास ने दर्जनों इजरायली फौजियों और नागरिकों का अपहरण किया है।उधर इजराइल ने गाजा की बिजली-पानी-राशन सबकी सप्लाई काट दी है। लोग अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं। इजराइल में पूरी तरह तालाबन्दी है और लोगों को भूमिगत रहने को कहा गया है।
हमास हमेशा से लंबी अवधि की योजनाएं बनाता रहा है। सैन्य चुनौतियों का सामना करने की उसकी क्षमता बेहतर हुई है और इजराइल की कमजोरियों की पहचान करने और उसके अनुरूप योजना बनाने में वह सिद्धस्त है। और इस सच्चाई को इजराइल के सुरक्षा बल भलीभांति जानते हैं। इसलिए हमले के असरकारकल होने से हमास की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है।हमास के प्रवक्ता गाजी हमद ने कहा है,‘‘हमने यह साबित कर दिया है कि…इजराइल एक ताकतवर देश नहीं है, हम उसे हरा सकते हैं, हम छोटे–छोटे समूहों के जरिए उसे रोक सकते हैं, इसके लिए हमें बड़ी सेना की जरूरत नहीं है,”
यह हमला और इजराइल की अपेक्षित जवाबी कार्यवाही – दोनों पिछले कुछ सालों में सबसे बड़े पैमाने पर होंगी। मई 2021 में 11 दिन तक चले इजराइल-गाजा युद्ध को इजराइल ने हमास की ताकत के बारे गलतफहमी का नतीजा माना था। हाल के सालों में इजराइल और गाजा के बीच हुए अन्य तीन टकरावों में फिलिस्तीनी इस्लामिक जेहाद शामिल था, जो अपेक्षाकृत छोटा संगठन है।पर पिछले टकराव कुछ ही दिनों में खत्म हो गए थे। इजराइल की नीति आहिस्ता-आहिस्ता गाजा पर लगाई पाबंदियों को हटाने की रही है। वह दिन में काम करने के लिए 20,000 लोगों को इजराइल आने की अनुमति देता है जो गाजा के लिए बहुत ज़रूरी धन वहां पहुंचाते हैं।इसलिए इजरायली अधिकारियों ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि इस हमले का नतीजा यह होगा कि गाजा के लोगों का जीवनस्तर बेहतर करने के उद्देश्य से लागू की जा रही नीतियां लंबे समय तक ठंडे बस्ते में रहेंगीं। निःसंदेह गाजा कई दशक पीछे चला जायेगा। इजराइल की भी यही स्थिति होगी। इजराइल भी पस्त है। उसके किबुतसीमों और सेडार्ट शहर में बेरोकटोक घूमते फिलिस्तीनी लड़ाकों की फोटो और वीडियो, उसकी सैनिक ताकत की प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला रहे हैं। इससे क्षेत्र में सक्रिय हिज़बुल्लाह जैसे अन्य संगठनों की हिम्मत बढ़ जाएगी। हिज़बुल्लाह, लेबनान स्थित ईरान-समर्थित शिया आंदोलन है, जो हमास के उन नेताओं की मेजबानी कर रहा है जो गाजा या बेरूत के वेस्ट बैंक में नहीं रहते और जिनका इस हमले की योजना बनाने में भी हाथ हो सकता है।
इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि युद्ध समाप्त होने के बाद नेतन्याहू के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। पिछले नौ महीनों से इजराइल अपने आंतरिक मसलों से जूझ रहा है। उसकी अति-दक्षिणपंथी सरकार अत्यंत विवादग्रस्त संवैधानिक सुधारों को लागू करने का प्रयास कर रही है। कई रिज़र्व सैनिक, जो इन सुधारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सक्रियता से भाग ले रहे थे, लड़ाई में शामिल होने के लिए आ गए हैं लेकिन वे बीबी पर ऊंगली उठाएंगे। इसी तरह नेतन्याहू के विरोधी, जो अभी उनकी आलोचना करने से परहेज कर रहे हैं, भी चुप नहीं रहेंगे। आज युद्ध का दूसरा दिन है। नेतन्याहू के अति दक्षिणपंथी साथी उन पर गाजा पर निर्णायक हमला करने और शायद दुबारा उस पर पूरी तरह से कब्जा करने का दबाव डालेंगे।
इजराइल पर हमास के इस हमले ने मध्यपूर्व क्षेत्र में चल रही शांतिवार्ताओं पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। कई हफ़्तों से दुनिया इजराइल और सऊदी अरब के कूटनीतिक रिश्ते कायम होने के ऐतिहासिक समझौते की प्रतीक्षा कर रही थी। किंतु अब इसमें एक बड़ा ‘अगर’ बाधा बनकर खड़ा हो गया है। अमेरिका के पूर्व सैन्य एवं गुप्तचर अधिकारियों का मानना है कि हमास के इस समय हमला करने का मुख्य उद्देश्य इजराइल और सऊदी अरब के बीच चल रही वार्ताओं में बाधा डालना है क्योंकि ऐसा लग रहा था कि रियाद, इजराइल के साथ संबंध सामान्य करने के मुहाने पर था। आखिरकार सऊदी हमास को पसंद नहीं करते लेकिन उनके वक्तव्य से यह साफ है कि सऊदी अरब को लग रहा था कि इजराइल में कुछ होने वाला है।
इस क्षेत्र की शांति भंग हो गई है और जंग जारी है। आगे घटनाक्रम क्या स्वरूप लेगा और इसका विश्व राजनीति पर क्या प्रभाव होगा, यह साफ नहीं है। लेकिन अभी इस प्रश्न पर सोचनावाजिब है कि प्रभाव सकारात्मक तो कतई नहीं होगा।इजराइल, हमास और दुनिया के हम सब पीछे जा रहे हैं, उस अतीत की और जाते हुए जब खून बहता हुआ होगा और लोग बेघर और बेजमीन होंगे। पिछले दो विश्व युद्ध से कई गुना अधिक खूनखराबे वाला वक्त! (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)