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घड़ी की सूईयां थम रही, जंग आ रही?

ईरान के सरकारी टीवी चैनल पर एक उद्घोषक ने शुक्रवार को एक डरावनी चेतावनी दी। उसने कहा,  “दुनिया असाधारण दृश्य देखेगी”। जो होना ही था, वह हो गया है। इस समय ईरान का रवैया उतना ही अड़ियल है जितना इजराइल का लम्बे समय से रहता आया है। ईरान ने इस्माइल हनीयेह की हत्या का बदला लेने की कसम उठाई है और वह बदला लेने पर आमादा है। जो देखा जाना बाकी है वह यह है कि ईरान का हमला किस पैमाने का होगा, बदले में इजराइल का जवाब किस स्तर का होगा और इससे पूरे पश्चिम एशिया में किस हद तक तबाही और बर्बादी होगी।

ईरान की सरजमीं पर इस्माइल हनीयेह की हत्या के बाद से ईरान गुस्से से उबल रहा है। कूटनीतिक चर्चाओें और मीठी-मीठी बातों का उस पर रत्ती भर भी असर नहीं हो रहा है। रविवार को जोर्डन के विदेशमंत्री अयमान सफादी पिछले दस वर्षों में अपनी पहली ईरान यात्रा पर तेहरान पहुंचे। इस यात्रा की ज़रुरत क्यों आ पड़ी? फिलिस्तीनियों की बड़ी आबादी वाला जोर्डन पश्चिम का पुराना दोस्त है। मगर इस साल के शुरू में इजराइल को निशाना बनाकर छोड़ी गईं ईरानी मिसाइलों को गिराने के बाद से उस पर इजराइल से संबंध तोड़ने और उसका बचाव न करने का जबरदस्त दबाव है। जैसे-जैसे ईरान की तैयारियां तेज हो रही हैं, जोर्डन का डर बढ़ता जा रहा है। उसे लग रहा कि वह भी इस क्षेत्रीय युद्ध में उलझ जाएगा। उसकी चिंता यह है कि यदि वह इजराइल का बचाव करता नजर आया तो ईरान उस पर भी हमला कर सकता है।

ईरान-समर्थित लेबनानी सैन्य एवं राजनैतिक संगठन हिजबुल्लाह की भी ईरान की बदले की कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। रविवार को हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजराइल के शहर बीट हिलेल को निशाना बनाकर दर्जनों राकेट छोड़े। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में नजर आ रहा है कि इजराइल की आयरन डोम रक्षा प्रणाली ने इन राकेटों को हवा में ही थाम लिया और नतीजतन कोई जनहानि नहीं हुई। फिर भी इजरायली वायुसेना ने जवाबी कार्यवाही करते हुए दक्षिणी लेबनान के कुछ ठिकानों पर हमला किया।

इन हालातों के चलते तेहरान में पूर्व कूटनीतिज्ञों और राजनीतिज्ञों में यह बहस सरगर्म है कि ईरानी प्रतिक्रिया किस प्रकार ऐसी हो जो नेतन्याहू को अपने मनमाफिक कार्यवाही करने का बहाना न दे। अंतिम फैसला सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली खामेनाई, क्रांतिकारी गार्ड कोर (आईआरजीसी) की सलाह पर लेंगे।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी ईराक के प्रधानमंत्री मोहमम्द शिया अल-सुदानी से बात की है और विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जोर देकर कहा है कि “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सभी पक्ष क्षेत्र में तनाव में कमी लाने और स्थिरता बढ़ाने के लिए कदम उठाएं और ऐसा कुछ न करें जिससे हालात और बिगड़ें”। क्षेत्र में तनाव कम करने के अमेरिकी और अन्य पश्चिमी देशों के कूटनीतिक प्रयास जारी हैं। इस बीच एक अगस्त को जो बाइडन ने बेंजामिन नेतन्याहू से बात की और सख्त लहजे में अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने युद्धविराम समझौते को लेकर बीबी के संजीदा न होने की बात कही और इजराइल के चैनल 12 की खबर के मुताबिक उनसे कहा कि “मुझसे बकवास न करें”।

इससे साफ है कि चर्चाएं असफल हो गई हैं और युद्धविराम की संभावना बहुत कम है। नेतन्याहू मुकम्मल जीत चाहते हैं और उनका इजराइल किसी भी स्थिति के लिए तैयार है – अपना बचाव करने और हमला करने दोनों के लिए। हमास ने अपना नया अंतरिम मुखिया चुन लिया है मगर नया मुखिया गाजा में हमास के नेता याह्या सिनवार पर हावी नहीं हो पाएगा, जो ईरान और उसकी प्रतिशोधात्मक कार्यवाही का जोरदार समर्थन करेंगे।

घड़ी की सूईयां थम गई हैं। अमेरिका ने जंग की चेतावनी जारी कर दी है। पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों को जल्दी से जल्दी लेबनान छोड़ने की सलाह दी है। इस बीच भारत ने भी पिछले चार दिनों में तीन एडवाइजरी जारी की हैं, जिनमें से अंतिम में भारतीयों को लेबनान न जाने की सलाह दी गई है। विमानन कंपनियों ने पश्चिम एशिया में अपनी उड़ानों के मार्गों में बदलाव किया है और इजराइल व लेबनान के लिए विमान सेवाए रद्द कर दी हैं। जो होना ही था, वह होने वाला है। इस सप्ताह के अंत तक दुनिया एक और भयावह युद्ध की पीड़ा झेलने को बाध्य हो सकती है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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