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कैदी ट्रंप अपने मगशॉट को भुनाते हुए

क्या किसी कैदी का मगशॉट वायरल हो सकता है? क्या कभी किसी ने अपने मगशॉट को भुनाने की कोशिश की है? मगशॉट का अर्थ है अमेरिका में गिरफ़्तारी के बाद आरोपी के चेहरे का लिया गया फोटो। मगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोई मामूली मुलजिम नहीं हैं। कैदी नंबर पी01135809, संयुक्त राज्य अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति हैं। जाहिर है अमेरिका के सिस्टम में किसी के लिए रियायत नहीं है। और ट्रंप के दौर में तो वाकई सब कुछ मुमकिन है। एक पूर्व राष्ट्रपति जेल जा सकता है। मगर साथ ही वह दुबारा राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल भी रह सकता है और यही नहीं, वह जेल में ली गई अपनी फोटो का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए कर सकता है! 

कोई भी सामान्य व्यक्ति अपना मगशॉट लिए जाने से अपमानित महसूस करेगा। अपना मुंह छुपाता फिरेगा। फिर ट्रम्प तो ऐसे पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन पर चार आपराधिक मामलों में 91 आरोप लगाए गए और जिनका जेल में एक कैदी के तौर पर फोटो लिया गया। लेकिन ट्रंप सबसे अलग हैं। वे खुले आम और बड़े चाव न गर्व से अपनी बेशर्मी का प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपनी इस तस्वीर के साथ ट्विटर (जो अब एक्स है) पर दुबारा आ गए हैं। इस फोटो का उपयोग वे अपने चुनाव अभियान के लिए चंदा उगाही के लिए कर रहे हैं और उसे कपड़ों, मगों वगैरह  पर छपवा रहे हैं। उनके लिए मगशॉट एक मैडल है, जिसे शान से सब को दिखाया जा सकता है और दिखाया जाना चाहिए।  

हम चाहे इसे कितना ही नापंसद क्यों न करें पर ट्रंप और उनकी टीम मानते हैं कि बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हुआ। वे नकारात्मक प्रचार को भी सकारात्मक मानते हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने इतना शोर मचाया कि 91 आरोपों के बावजूद ट्रम्प राष्ट्रपति बनने की दौड़ में एक बार फिर सबसे आगे निकल गए। ट्रंप जेल में अपना मगशॉट लिए जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और उसके लिए तैयार थे। फोटो खींचे जाते समय चेहरे पर कैसे भाव होने चाहिए, इस पर पर्याप्त चिंतन-मनन हो चुका था। हम जानते हैं कि सही कपड़ों और चेहरे पर सही भावों की प्रचार में कितनी अहम भूमिका होती है। अप्रैल में ट्रम्प के नकली मगशॉट छपी एक टीशर्ट बाज़ार में उतारी गयी ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि लोगों कि इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है। अंततः जब 24 अगस्त को ट्रंप ने जार्जिया की फुल्टन काउंटी में आत्मसमर्पण किया और पुलिस ने उनकी फोटो खींची तब उनके हाव-भाव बिल्कुल वैसे ही थे जिनके लिए वे जाने जाते हैं – गुस्से से फूला चेहरा, तिरछी भौंहें और एकटक कैमरे की ओर देखते हुई आंखें।

 

ट्रंप ने मगशॉट के आसपास ऐसा नरेटिव बुना जिससे उन्हें खूब फायदा हुआ। फुल्टन काउंटी के जेल में गुरूवार की रात आत्मसमर्पण के लिए ऐसा समय चुना गया जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा मीडिया कवरेज मिले। उन्होंने टीवी चैनलों पर प्राईमटाईम ख़बरों के प्रसारण के ठीक पहले आत्मसमर्पण किया। उनके समर्थक वहां मौजूद थे और दुनिया भर का मीडिया उनकी गिरफ़्तारी का छोटे से छोटा विवरण दे रहा था। माहौल जुनून भरा था और ट्रंप को इससे कितना फायदा हुआ इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फोटो लिए जाने के बाद से ट्रंप को चुनाव अभियान के लिए 71 लाख डालर मिल चुके हैं। पोलिटिको के अनुसार अकेले शुक्रवार को उनकी झोली में 41।80 लाख डालर आए जो उनके चुनाव अभियान के दौरान 24 घंटे में मिली सबसे बड़ी रकम है। 

ट्रंप की कोशिश यह है कि उनके समर्थकों को यह यकीन हो जाए कि उन्हें फंसाया जा रहा है। वे अपने नजदीकी लोगों से बातचीत के दौरान यह स्वीकार भी करते हैं कि इन कानूनी पचड़ों से उन्हें सियासी फायदा मिल रहा है। उन्होंने अलबामा में एक डिनर में कहा, ‘‘जैसे ही मेरे खिलाफ कोई नया अभियोग दाखिल होता है, चुनाव में हमारी स्थिति और बेहतर हो जाती है। बस एक अभियोग और और हमारा काम बन जायेगा, हम चुनाव जीत जाएंगे।।।किसी और के लिए कोई चांस ही नहीं है”। इसमें कोई संदेह नहीं कि ट्रंप का मगशॉट लिए जाने और उन पर मुकदमे का जिक्र इतिहास की किताबों में होगा। बड़ा सवाल यह है कि इसके विवरण में क्या लिखा होगा – इससे ट्रम्प के राजनैतिक जीवन के अंत की शुरुआत हुई या इसने उनकी राजनीति में नयी जान फूंकी। क्या यह फोटो 2024 में उनके चुनाव जीतने में मददगार होगी? ऐसा लग रहा है कि ट्रंप जीत सकते हैं और अगर ऐसा होता है तो वे वह कर दिखाएंगे जो आज तक किसी ने नहीं किया। अमरीका में सब कुछ और कुछ भी मुमकिन है! (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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