डोनाल्ड ट्रंप बेतुकी बातों के बादशाह हैं। वे उतावले भी हैं। बोलते पहले हैं और सोचते बाद में हैं। और ना ही वे इस बात की चिंता करते हैं कि उनकी बेसिरपैर की बातों से उनकी इमेज कैसी बन रही है। उन्होने मंगलवार को फिर दिखा दिया कि वे नहीं सुधरेंगे। नहीं बदलेंगे।
उन्होंने गजब बात कहीं। उन्होने कहा वे गाजा लेंगे। उन्होने वहां से सभी फिलिस्तीनियों को हटाकर, उसे पूर्णतः अमेरिकी नियंत्रण में लेकर ‘मध्यपूर्व के रिवेरा’ बनाने का इरादा भी जताया। ट्रंप के मुताबिक वे ऐसा फिलिस्तीनयों की भलाई के लिए करना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह एक ‘मानवीय’ कार्य होगा क्योंकि इससे, उनके शब्दों में, ‘नरक में जी रहे लोगों’ को अंततः कहीं और शांति से रहने का मौका मिलेगा।
मंगलवार को हुई अजीबोगरीब प्रेस कांफ्रेंस से लगा कि ट्रंप मध्यपूर्व के भाग्यविधाता बनना चाहते हैं। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि वे ये बातें पूरी गंभीरता से कर रहे हैं। “यह कोई हल्के-फुल्के ढंग से लिया गया फैसला नहीं था। मैंने इसके बारे में जिससे भी बात की, उसे अमेरिका के उस इलाके का मालिक बनने, उसे विकसित करने और वहां हजारों रोजगार पैदा करने का विचार पसंद आया। यह बहुत शानदार और भव्य स्थान बनेगा”। पुनःनिर्माण के बाद ‘सारी दुनिया के लोग’ गाजा में रहेंगे, जिनमें कुछ फिलिस्तीनी भी होंगे। उन्होंने कहा कि वे वहां अमरीकी सैनिकों को तैनात करने के लिए भी तैयार हैं ताकि वहां अमेरिका का ‘दीर्घकालीन कब्ज़ा’ सुनिश्चित किया जा सके।
यह सब सुन बाकी सारी दुनिया को बहुत धक्का लगा। अरबी राजनीतिज्ञों ने इसे खतरे की घंटी बताया। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों को गाजा से खदेड़ने से क्षेत्र में तनाव, टकराव और अस्थिरता में इजाफा होगा। अमेरिका और इजराइल के अति दक्षिणपंथियां ने इस पर खुशियां मनाईं वहीं सामान्य इजरायली इससे चिंतित और भ्रमित हुए। अमरीकी विदेशमंत्री मार्को रूबियो ने ट्वीट किया: “अमेरिका गाजा को एक बार फिर खूबसूरत बनाने के अभियान से जुड़ने और उसका नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार है”।
जब ट्रंप अपनी योजना के बारे में बता रहे थे उस समय इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू मुस्कुरा रहे थे। और वे क्यों न मुस्कुराएं?। ट्रंप का यह बेतुका अरमान, नेतन्याहू को घरेलू राजनैतिक दबावों से मुक्ति दिलाने वाला है। यह भी साफ है कि ट्रंप ने जो कहा वह उनकी योजना का केवल एक हिस्सा है। इसके दूसरे हिस्से के रूप में संभवतः ट्रंप इजराइल को पश्चिमी इलाके का ज्यादातर हिस्सा हड़पने की इजाजत दे सकते हैं। फिलिस्तीनियों का स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का अरमान भी इसके चलते दफन हो जाएगा क्योंकि गाजा के फिलिस्तीनियों को वहां से हटाकर किसी ‘सुंदर स्थान’ पर बसा दिया जाएगा। जाहिर है कि नेतन्याहू के लिए इससे अच्छी खबर कोई हो नहीं सकती। उन्होंने ट्रंप की चापलूसी करते हुए उनकी तारीफों के पुल बांधे। “मैं यह पहले भी कह चुका हूं, और दुबारा कहूंगा कि आप व्हाईट हाऊस में इजराइल के अब तक के सबसे बड़े मित्र हैं”।
नेतन्याहू निरंकुश सत्ता हासिल करने का सपना देखने लगे हैं।
सन् 1947 में वर्षों चली हिंसा के बाद से फिलिस्तीन को पश्चिमी उपनिवेश बनाने का इरादा त्याग दिया गया था और ब्रिटेन ने इस भूभाग का कब्जा छोड़ दिया था। अमेरिका ने प्रथम विश्वयुद्ध में उस्मानी साम्राज्य के पतन के बाद उन प्रस्तावों को खारिज कर दिया था जिनमें उससे मध्यपूर्व को संभालने का अनुरोध किया गया था।
लेकिन ट्रंप की ग्रीनलैंड को खरीदने, पनामा नहर पर दुबारा कब्जा करने और अब गाजा पर काबिज होने की भड़काऊ बातें एक शाही सनक जैसी नजर आती हैं। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रंप की इन अगंभीर और पागलपन भरी बातों से पुतिन के लिए यूक्रेन के जीते हुए इलाकों पर कब्जा बनाए रखने पर सहमति हासिल करना ज्यादा आसान हो जाएगा। और शी अब ज्यादा हिम्मत के साथ ताईवान पर हमले की तैयारी के रूप में उसकी घेराबंदी कर सकते हैं।
हालांकि ट्रंप की बेतुकी और लापरवाही भरी बातों से सभी हैरान हैं, लेकिन इतिहास हमें कुछ और ही बताता है। रिचर्ड निक्सन स्वयं को वैश्विक रणनीति का प्रगाढ़ विद्वान और विचारक समझते थे। और उन्हें इस बात का भरोसा था कि उनके कदमों से उत्तरी वियतनाम के नेता झुकने को मजबूर हो जाएंगे, लेकिन इन गलत अनुमानों पर आधारित युद्ध का अंत अमरीका की हार के साथ हुआ। यदि हम अपेक्षाकृत हालिया इतिहास पर नजर डालें तो अमेरिका द्वारा ईराक और अफगानिस्तान में किए गए खून-भरे हस्तक्षेप याद आते हैं, जिनकी ट्रंप हमेशा निंदा की है। और अब ट्रंप द्वारा दी जा रही ‘आयात शुल्क लगाने की धमकियों’ को देखते हुए कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप एक कुशल रणनीतिकार हैं जो पहले दहशत और अनिश्चितता के हालात बनाकर विरोधियों में घबराहट पैदा करते हैं, और अंत में अपेक्षाकृत संयमित समझौता कर लेते हैं।
फिलहाल ट्रंप की बातों ने सभी को चिंता में डाल दिया है। मैं सोच रही हूं कि मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) के पैरोकार इस खबर को किस तरह ले रहे होंगे क्या वे एमएजीए को एमजीजीए – मेक गाजा ग्रेट अगेन की खातिर कुर्बान करने को तैयार हैं? (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)