deepseek china: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई) वह दिमाग, वह औजार है, जो हमें जल्दी ही बेरोजगार बना देगा।
संभवतः वही तय करेगा कि हमें कैसे जीना है और कैसी जीवनशैली हो। इसलिए फिलहाल अमेरिका और चीन में मुकाबला है कि कौनसा देश जल्दी ही पूर्णतः कार्यकुशल एआई मॉडल, प्रॉडक्ट बनाता है।
बेशर्ते सौ टका पूर्ण कार्यकुशल एआई बनाना मुमकिन हो तो! आठ साल पहले, व्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि जो देश एआई का गुरू होगा वह ‘पूरी दुनिया पर राज करेगा’।(deepseek china)
लेकिन उसके बाद पुतिन दूसरे देशों की ज़मीन कब्जाने में मसरूफ हो गए। वहीं चीन – जिसकी नजर भी कई देशों की ज़मीन पर है – ने पहले सोचने-विचारने में एक्सपर्ट दिमागी मशीन, प्रणाली विकसित करने की और फोकस बनाया।
also read: मौनी अमावस्या पर बिहार के गंगा घाटों पर उमड़े श्रद्धालु
शुरूआत में अमेरिका के चैटजीपीटी से सब जुड़े। उसका उपयोग भी बढ़ता हुआ था। मगर कल एक झटके में चीन के डीपसीक ने चेटजीपीटी की जगह ले ली।(deepseek china)
यह नया ‘रीजनिंग मॉडल’ इतना शानदार और बेहतर है कि उसने अमेरिका के टेक इंडेक्स के एक हजार अरब डालर की वैल्यू हवा कर दी।
अमेरिका और ब्रिटेन में एपल एप स्टोर से इसके डाउनलोड़ ने ओपनआई के चैटजीपीटी को पछाड़ दिया। इसे एआई के क्षेत्र का ‘स्पूतनिक क्षण’ बताया जा रहा है।
ध्यान रहे 1957 में जब सोवियत संघ ने स्पूतनिक-1 नामक उपग्रह अंतरक्षि में छोड़ा तो अमेरिका चौंकते हुए जागा।(deepseek china)
विश्लेषकों के मुताबिक, डीपसीक का आर1, ओपनएआई के सबसे प्रमुख रीजनिंग मॉडल ओ1 को कड़ी चुनौती देता है।
खबरों के मुताबिक हालांकि वह ओ1 की तुलना में बहुत कम कम्प्यूटर संसाधनों का उपयोग करता है लेकिन इसके बावजूद वह उसके जितना ही सक्षम है – और इसकी लागत उसके दसवें हिस्से के बराबर है।
लेकिन चीनी होने के कारण इसकी कुछ सीमाएं हैं। यह चीन के इंटरनेट नियामक के नियंत्रण में रहेगा। आर1 ‘मूलभूत समाजवादी मूल्यों’ के प्रति वफादार है।(deepseek china)
इसलिए यदि आप उसमें बीजिंग में ताईनामैन चौक के राजनैतिक प्रर्दशन या ताईवान को ले कर टाईप करेंगे, पूछेंगे तो वह आपसे बातचीत बंद कर देगा।
डीपसीक आर1 की धमाकेदार शुरूआत
फिलहाल डीपसीक आर1 की धमाकेदार शुरूआत से अफरातफरी है। ओपनएआई, इस डीपीसीक की मालिक कंपनी हाई फ्लायर कैपिटल को एबड़ा खतरा मान रही है, जबकि चीन की कम से कम तीन अन्य प्रयोगशालाओं ने ओपनएआई के मुकाबले का या उससे बेहतर उत्पाद बनाने का दावा किया है।
यह कोई संयोग नहीं है कि आर1 को डोनाल्ड ट्रंप-समर्थित ओपनएआई की 500 अरब डालर की स्टारगेट योजना की घोषणा के ठीक बाद मैदान में उतारा है, वह सभी प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ने का मकसद लिए हुए है।(deepseek china)
डोनाल्ड ट्रंप ने डीपसीक की कामयाबी की खबर के तुरंत बाद चौकस रहने की सलाह देते हुए कहा कि ‘‘हमारे उद्योग जगत के लिए इसका सबक यह है कि हम जाग जाएं और जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर मुकाबले के लिए कमर कस लें।”
अमेरिका के मुकाबिल कोई नहीं
चीन की इस कामयाबी से साफ है कि कोई इस मुगालते में नहीं रहे कि अमेरिका के मुकाबिल कोई नहीं है।(deepseek china)
चीन द्वारा एक सस्ता एआई विकसित करने से जाहिर है कि चीन सर्वोत्तम चिपों को न दिए जाने जैसी बाधाओं का मुकाबला करने के लिए नए रास्ते निकाल लेगा।
वह ऐसा कार्यकुशलता में वृद्धि करके कर सकता है तो उच्च-स्तर के हार्डवेयर की कमी की पूर्ति संख्या बढ़ाकर भी कर सकता है। चीन की स्वदेश निर्मित चिप्स बेहतर होती जा रही हैं।
इनमें हुवावे द्वारा डिजाइन की गई चिप्स भी शामिल हैं। और हालांकृ आर1 पर चीन का नियंत्रण रहेगा, लेकिन इसका सोर्स कोड सभी को उपलब्ध है। कोई भी जानकार इसमें बदलाव कर सकता है।(deepseek china)
संदेह नहीं है कि चीनी उत्पाद बिकते हैं। चीनी उन्हें बेचने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। चाहे वह प्लास्टिक से बनी सस्ती चीजें हों या टिकटाक जैसा सोशल मीडिया प्लेटफार्म, चीन का पूरी दुनिया में दबदबा है।
और अब इतने सस्ते और ओपन एआई से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का वैश्विक सियासी प्रभाव जबरदस्त बढ़ना है। यह सब चिंताजनक है, खासकर ओपन सोर्स एआई, जिसका दुरूपयोग हो सकता है।
आखिरकार दुनिया में महामूखों की कमी नहीं(deepseek china)
आखिरकार दुनिया में महामूखों की कमी नहीं है। एआई तकनीकों से विकास से मानव कल्याण मुमकिन है, लेकिन उससे ज्यादा बड़ा खतरा उसके जरिए संभव विनाश है।(deepseek china)
अभी भी उनका उपयोग गलत जानकारियां फैलाने, डीपफेक और चुनावों में हेराफेरी के लिए हो रहा है। इसके अलावा, इससे तकनीकी क्षेत्रों में बेरोजगारी होने और दुनिया में और अधिक गहरी असमानता कायम होना तय है।
यह वह तकनीक है जो बुद्धिमान हथियार बना सकती है, साइबर युद्ध में कारगर सिद्ध हो सकती है, लोगों के दिमाग और गतिविधियों को कंट्रोल कर सकती है।
सभी एआई की चकाचौंध में अंधे हो रहे है। एआई के क्षेत्र में सबसे आगे निकलने की दौड़ की वजह तकनीकी के क्षेत्र में बोलबाला कायम करना है तो दुनिया पर दबदबा कायम करने की आकांक्षा भी है।
यह वैसी ही दौड़ है जैसी किसी समय अपने-अपने परमाणु अस्त्र बनाने की थी। लेकिन मेरा मानना है कि एआई के कारण इससे बड़ी आपदा आएगी।(deepseek china)
क्योंकि जब मुकाबला ‘दुनिया का शासक’ बनने का हो, तब सबसे बड़ा खतरा पिछड़ने का नहीं होता है, बल्कि सब कुछ मनुष्य, देश, कौम के अपने नियंत्रण से बाहर निकलने का होता है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)