भोपालI मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती के श्यामला हिल्स स्थित सरकारी आवास पर बुधवार की रात पहुंचना.. फिर ऑफिस ऑफ शिवराज ने ट्वीट कर जानकारी दी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री सुउमा भारती जी के निवास पर पहुंचकर सौजन्य भेंट की एवं उनका कुचलछेम जाना.. साध्वी और शिवराज के बीच एक नहीं कई मुलाकाते हो चुकी.. .. चाहे फिर लाडली बहना की लांचिंग से पहले .. जब प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी वहां मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे..या फिर उससे पहले गुलाब की पंखुड़ियों से स्वागत की वो चर्चित तस्वीरें जो रविंद्र भवन से ले कर उमा के आवास से अभिनंदन और आभार से आगे आत्मीय रिश्तो को रेखांकित करती रहीं..
इस सौजन्य मुलाकात का महत्व और जिज्ञासा इसलिए और बढ़ जाती है.. क्योंकि कुछ घंटे पहले ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी उमा से मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे.. जब शिवराज और साध्वी के बीच यह नई सौजन्य मुलाकात हुई तब दिल्ली से खबर आ रही थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ही नहीं बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी लंबी चली हाई प्रोफाइल बैठक में मौजूद थे.. प्रधानमंत्री की यह अपने सहयोगियों से मुलाकात उनके राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद हुई.. इसके साथ ही चर्चा जोर पकड़ रही कि जल्द संगठन का पुनर्गठन और केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार जो आने वाले समय में नई पटकथा के साथ जल्द सामने आ सकता हैं.. जिसे 2024 और उससे पहले 2023 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की जमावट और रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति से मुलाकात के पहले भोपाल से ही भाजपा के देशभर में बूथ पर तैनात कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर 2024 लोकसभा चुनाव का मुद्दा आधारित एजेंडा सेट कर दिया था.. प्रधानमंत्री की भोपाल यात्रा से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी 2 दिन मध्यप्रदेश में गुजारे.. इन तीनों भी साध्वी उमा भोपाल में मौजूद थी.. लेकिन मेल मुलाकात की कोई खबर सामने नहीं आई.. वरिष्ठ नेताओं के भोपाल छोड़ देने के बाद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात जरूर चर्चा में आ गई.. इन दोनों मुलाकातों का कोई एजेंडा सामने नहीं आया दोनों नेताओं ने अलग-अलग मुलाकात की.. इससे पहले उमा भारती अचानक प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के लिए जरूर अचानक पहुंची थी.. दिल्ली में चिंतन मंथन के बीच शिवराज का साध्वी उमाके घर वह भी करीब रात 10 बजे पहुंचना जरूर नए सवाल खड़े कर देता है..
भाजपा के अंदर ऐसे नेता मौजूद है जो इस मुलाकात को सौजन्य भेंट तक सीमित मानने को तैयार नहीं है.. मुलाकात का ब्यौरा जब सामने नहीं आया तो इन नेताओं की बॉडी लैंग्वेज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.. मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच इस मुलाकात में इस बार ट्वीट के साथ सामने आई दो में पहली तस्वीर में साध्वी के हाथ में गुलदस्ता और गले माला सामान्य शिष्टाचार से आगे कुछ नया संदेश दे रही.. यहां शिवराज द्वारा अभिनंदन किया गया.. दोनों नेताओं के चेहरे पर बिक्री मुस्कान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता इसे समझने की जरूरत है.. तो दूसरी तस्वीर में दो दिग्गज शिवराज और उमा भारती के बीच फोटो सेशन और भी गौर करने लायक है.. पिछली मुलाकातों में साध्वी कभी मुख्यमंत्री शिवराज पर फूल बरसाती तो कभी गुलदस्ता देने के साथ स्वागत में माला को उस वक्त सामान्य संदेश देती रही.. इस बार उमा के गले में ही माला और हाथ में गुलदस्ता जो शिवराज द्वारा दिया गया .. दोनों के बीच एक अलग अंडरस्टैंडिंग अघोषित संदेश दे रही.. कुछ दिन पहले ही साध्वी ने ट्वीट कर अपने बेहतर स्वास्थ्य की जानकारी सार्वजनिक की थी.. इसलिए इस मुलाकात को स्वास्थ्य की पूछ परख से जोड़कर देखना शायद ठीक नहीं हुआ..
ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि गुलदस्ता कहीं सामान्य शिष्टाचार से आधे किसी मिशन के पूरा होने के करीब पहुंचने के साथ बधाई का प्रतीक बनकर सामने तो नहीं है.. बधाई शिवराज द्वारा साध्वी को जिसे वह स्वीकार भी कर रही.. तो नया सवाल आखिर बधाई किस बात की वह भी रात 10 बजे.. जबकि शिवराज रोज की तरह कुछ घंटे बाद पौधा लगाने के लिए उमा के बंगले के सामने ही नियमित तौर पर जाते.. और उस वक्त भी वो उमा के बंगले पहुंचते रहे.. सवाल भाजपा ही नहीं प्रदेश की राजनीति की धुरी बने शिवराज क्या मिशन 2023 की जमावट में कोई महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने वाले हैं.. क्या 2024 से पहले 2023 चुनाव को ध्यान में रखते हुए साध्वी उमा भारती की कोई नई भूमिका नई पटकथा के साथ सामने आने का समय आ गया है.. राष्ट्रीय नेतृत्व और साध्वी के बीच जिस संदेश का आदान प्रदान किया जा सकता है.. क्या वह उमाकी नई भूमिका तक सीमित हो कर रह जाती है.. तो क्या अब समय आ गया है जब चुनाव की चुनौती को ध्यान में रखते हुए पार्टी के अंदर मजबूत उमासड़क की सियासत पर नई भूमिका के साथ नजर आएगी .. तो क्या हाईकमान के हस्तक्षेप से आगे निर्देश के तहत चुनाव में उनकी उपयोगिता और अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए जिस स्क्रिप्ट को आगे बढ़ाया जा रहा था.. क्या उस पर सहमति बन चुकी है.. तो सवाल पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहते हुए केंद्र में मंत्री, राष्ट्रीय महासचिव उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रह चुकी उमा भारती की कोई नई भूमिका लिखी जा चुकी है..
क्या यह भूमिका सत्ता पक्ष और सरकार से जुड़ी होगी.. तो क्या राज्यसभा चुनाव, केंद्रीय मंत्रिमंडल और संगठन की राष्ट्रीय टीम में बदलाव की सुगबुगाहट के बीच उमाको पार्टी और सरकार नई जिम्मेदारी देने जा रही है .. कर्नाटक चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले मुद्दे और प्रदेश की राजनीति में सभी नेताओं के बेहतर उपयोग को ध्यान में रखते हुए उमा भी अब मैदान में इस वक्त पार्टी को कार्यकर्ताओं में करंट लाने वाले नेता की दरकार है..तो सवाल क्या उमा भारती ने राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा सौंपीं जाने वाली जिम्मेदारी स्वीकार कर अपनी मुस्कान बिखेरी सहमति भी दे दी गई है.. उमाने शराब के मुद्दे पर मध्य प्रदेश की जनता को अपनी ओर ध्यान आकर्षित किया है.. इसके लिए उमा ने हमेशा शिवराज के नेतृत्व,और नीति की जमकर तारीफ की है.. सवाल आखिर चुनाव में साध्वी की भूमिका क्या खासतौर से जब राष्ट्रीय राजनीति में आधी आबादी और महिला नेतृत्व को भाजपा और कांग्रेस दोनों गंभीरता से लेकर अपनी रणनीति बना क्या राष्ट्रीय राजनीति में प्रियंका गांधी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सशक्त नेतृत्व का माकूल जवाब देने के लिए साध्वी को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है.. या फिर हिंदुत्व के एजेंडे चाहे फिर वह राम मंदिर निर्माण या फिर समान नागरिक संहिता को मुखरता से उठाने के लिए पार्टी उमाका भी उपयोग करना चाहेगी.. बदलती भाजपा में यह किसी के गले नहीं उतरेगा.. लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति में जिस तरह शिवराज में चुनावी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सभी दिग्गज नेताओं चाहे फिर वह ज्योतिरादित्य सिंधिया ही क्यों ना हो उनको भरोसे में लेकर राजनीति को एक नई दिशा दी है.. शिवराज ने हमेशा साध्वी उमाके सम्मान का ध्यान रख उन्हें बड़ा नेता बताया..
प्रदेश भाजपा की रोजमर्रा की राजनीति से ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति से लगभग दूरी बनाकर चल रही उमा अपने ट्वीट से प्रदेश को संदेश समय-समय पर देती रही.. उमा की नई भूमिका को लेकर सीमित विकल्प है जिन्हे तालाशा जा सकता है..सवाल का उमाको मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जा रहा है .. बहुत दूर की कौड़ी इससे पहले उमा हमेशा चुनाव जीतकर ही सदन में पहुंची है..तो इसके लिए क्या राज्यसभा में उन्हें भेजा जा सकता.. फिलहाल राज्यसभा के लिए गुजरात ,गोवा और पश्चिम बंगाल में ही संभावना बनती.. या फिर जेपी नड्डा की टीम उमाको शामिल कर राज्यों के प्रभारी के तौर पर कोई नई भूमिका सौंपी जा सकती है.. जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं उनमें तेलंगाना, राजस्थान छत्तीसगढ़ के अलावा उनका ग्रह प्रदेश मध्यप्रदेश भी शामिल है.. मध्यप्रदेश में चुनाव संचालन से जुड़ी कई समितियों के गठन का इंतजार है.. झांसी से सांसद फिर केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उन्होंने 2019 लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था..लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान बहुत पहले कर दिया है..
बदलती भाजपा खासतौर से पीढ़ी परिवर्तन के दौर में उमा को भी उससे पहले 2023 विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश में सक्रियता और जवाबदेही के साथ अपनी नई भूमिका का इंतजार जरूर होगा.. राष्ट्रीय नेतृत्व की मध्यप्रदेश पर पैनी नजर इसके बावजूद यहां कभी भाजपा के चार यार तो दूसरे दिग्गज और छत्रपों की मेल मुलाकात चर्चा का विषय बनती रही.. प्रदेश की राजनीति में अब दिल्ली का दखल मोदी शाह की दिलचस्पी और जेपी नड्डा राजनाथ सिंह की सक्रियता साफ देखी जा सकती है.. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा फिर खरगोन , तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द शहडोल मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे .. उधर संघ का शीर्ष नेतृत्व इंदौर में सक्रिय हो रहा है.. दत्तात्रेय होसबोले, मनमोहन वैद्य, अरुण कुमार और दूसरे पदाधिकारी चिंतन मंथन भी करेंगे.. जुलाई में प्रस्तावित प्रचारकों की बैठक भी इसकी एक कड़ी बनकर सामने आएगी.. यानी भाजपा और संघ दोनों चुनावी चुनौतियों से वाकिफ हैं फिर भी उन्हें जीत के फार्मूले की दरकार है..