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तेवर वही तल्ख.. बदला अंदाज क्या बदलेगा माहौल..!

भोपालI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वही तल्ख तेवर, जीवंत और ज्वलंत मुद्दों पर दृढ़ता और सफगोई के साथ, बिना लाग लपेट के बेबाक..कुछ ज्यादा ही सीधी, सख्त, तीखी टिप्पणी.. चुनावी राजनीति को एक नई दिशा देने वाले मोदी जिस दूरदर्शिता और विजन के लिए पहचाने जाते हैं.. वो सब कुछ मध्यप्रदेश की धरती से एक बार फिर देखने, सुनने को मिला.. मोदी ने अपनी धमक, रसूख, रूतबे का लोहा मनवाते हुए साबित किया कि फिलहाल दूर-दूर तक उनका कोई तोड़ नहीं है, और ना ही कोई विकल्प.. देश की राजनीति के केंद्र बिंदु वे बने रहेंगे..अपनी लोकप्रियता का हमेशा एहसास कराते रहे मोदी का खौफ इतना कि बीजेपी कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका पोस्टर वॉर जिसने राजधानी से लेकर दूसरे नगरों तक पैर पसार लिए थे..

वह भी प्रधानमंत्री के भोपाल पहुंचने से पहले थम गया.. व्यक्तित्व में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद मोदी बोले कि उन्हें और भाजपा को दल से ज्यादा देश की चिंता सताती रहती है..’मोदी है तो मुमकिन है’ के भरोसे के साथ उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं की नब्ज पर हाथ रखते हुए सोशल मीडिया और टीवी प्रसारण के साथ देश के मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाया.. तो विरोधियों को भी उन्होंने नहीं बख्शा.. जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने अपने विरोधियों को चिन्हित कर समूचे विपक्ष को मानो सवालों के घेरे में खड़ा कर 2024 का चुनावी एजेंडा सेट कर दिया.. जिसमें पटकथा मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों के लिए भी छुपी जिन्हें 2023 में चुनाव लड़ना है.. विपक्ष के भ्रष्टाचार, महंगाई भारत की छवि, लोकतंत्र पर विपक्षी दलों द्वारा खड़े किए जा रहे सवाल को ध्यान में रखते हुए मोदी ने इसी के इर्द-गिर्द एक नई बहस छेड़ दी कि आखिर कौन कहां खड़ा.. कौन कितना पाक -साफ और देश और जनता के प्रति जवाबदेह है.. कार्यक्रम इस बार सरकारी नहीं, बल्कि पार्टी फोरम का था..

मंच पर उनके साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और मध्य प्रदेश की मेजबानी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त तो मंच के सामने मौजूद थी भाजपा बूथ मैनेजमेंट की सबसे मजबूत कड़ी साबित होते रहे देश के दूसरे राज्यों से आए बूथ पर तैनात उसके कार्यकर्ता.. चर्चित अमेरिका दौरे के बाद मोदी का अंदाज यदि बदला नजर आ रहा था तो उसकी वजह थी मन की बात से आगे कार्यकर्ताओं से एकतरफा संवाद नहीं बल्कि सीधे सवाल-जवाब.. इस कार्यक्रम के जरिए हर सवाल का विस्तार से जवाब जिसमें सियासी संदेश छुपा हुआ था.. मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के करीब 10 सवालों के 2 घंटे के अंदर दिये जवाबों में यूं तो कई संदेश दिए लेकिन बड़ा संदेश यदि मुसलमानों के लिए.. तो इसे कर्नाटक चुनाव में इनकी भूमिका और ध्रुवीकरण से जोड़कर 2024 और उससे पहले 23 के लिए भी 24 के जातीय गुणा भाग में समस्या का समाधान माना जा सकता है.. तो सुप्रीम कोर्ट की दिलचस्पी का हवाला देकर समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बड़ा संदेश दे दिया कि मोदी सरकार इस लाइन पर आगे बढ़ रही है..

जिसे कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के बाद एक देश में दो कानून का यह मुद्दा 2024 लोकसभा चुनाव का एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा.. मोदी ने न सिर्फ नाम लेकर अपने विरोधियों और गठबंधन को चिन्हित किया.. बल्कि पटना गठबंधन बैठक में शामिल नेताओं को परिवारवाद और राजनीति में भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार बताते हुए कहीं ना कहीं संदेश यह भी दे दिया कि कानून अपना काम करेगा.. ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई और तेज.. और सख्ती के साथ आगे बढ़ेगी.. जिस तरह तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और उनके परिवार का जिक्र किया उससे संदेश यही गया कि वह एनडीए का हिस्सा नहीं बनेंगे.. यानी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के अलावा तेलंगाना में बीजेपी गंभीरता के साथ अकेले चुनाव लड़ेगी.. कांग्रेस के साथ अपने घोर विरोधी जिसमें शरद पवार और एनसीपी जो महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन का हिस्सा है ऐसे कई दलों को एक पाले में खड़ा किया.. लेकिन आश्चर्यजनक तौर पर या दूरगामी रणनीति के तहत ही माना जाए केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और अकाली दल का नाम नहीं लिया.. इसे विरोधियों को कंफ्यूज करने और दूसरे सियासी संदेशों से भी जोड़कर देखा जा सकता..

राजनीति में परिवारवाद पर बड़ा हमला कर कहीं ना कहीं मोदी जी ने सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए भी नेता पुत्रों की टिकिट की दावेदारी पर विराम लगा दिया.. या यूं कहें कि बहुत पहले भोपाल से ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिस लाइन को आगे बढ़ाया था उस पर मोदी ने मुहर लगा दी.. इसके साथ ही बड़ा संदेश यह कह कर दिया कि दल से बड़ा देश.. तो इसके साथ ही बूथ कार्यकर्ताओं की नब्ज पर बखूबी हाथ रखा.. संदेश साफ है वर्तमान बड़े पदों पर बैठे नेता चाहे सांसद मंत्री और विधायक क्यों ना हो मोदी की नजर कार्यकर्ता पर है.. इसके लिए कार्यकर्ता से आगे उन्होंने पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के महत्व को रेखांकित किया.. तो संदेश यह भी निकल कर आया की सरकार और जनप्रतिनिधि के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की चिंता जिन कार्यकर्ताओं को सता रही है वह बड़े लक्ष्य के साथ बड़ी सोच और भविष्य के भारत के निर्माण को लेकर स्थानीय विवादों को भूलकर मोदी का चेहरा देखें और जिसे पार्टी टिकट दे उसे जिताने के लिए कमल पर मोहर लगवाएं..

भाजपा ने मध्य प्रदेश से बाहर पूरे देश के बूथ कार्यकर्ताओं को जोड़कर उन्हें अपने नेता प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं के साथ जरूरी हिदायत, मशवरा और चेतावनी से आगे बड़ा संदेश दिया कि जनता के बीच क्या लेकर जाना, कैसे अपनी बात कहना और चुनाव कैसे जीता जा सकता है.. चुनाव में कार्यकर्ता की आखिर महत्वपूर्ण भूमिका क्यों होती है ..मोदी ने कार्यकर्ता को टिकट के दावेदारों, वर्तमान मंत्री, सांसद, विधायक से आगे चुनाव चिन्ह कमल को ध्यान में रखते हुए भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का आवाहन किया..पीएम मोदी ने यूं तो सवाल के जवाब में कई जीवन और ज्वलंत मुद्दों को छुआ लेकिन पुरजोर और साफगोई से अपनी बात को दृढ़ता के साथ रखा.. उसमें सबसे ऊपर मुसलमान जिसका जिक्र कई बार सामने आया..तो 3 तलाक पर भी बेबाकी से सवाल उठाया कि अगर यह इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में अमल में क्यों नहीं ? चर्चित UCC पर पीएम मोदी ने  सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर बड़ी बात कही कि कॉमन सिविल कोड लाओ, एक घर में दो कानून नहीं चलेंगे..तो मुस्लिम आबादी के एक बड़े तबके पसंमादा मुसलमानों को भी भाजपा की ताकत बनाने के लिए सबका साथ सबका विकास का संदेश दिया.. साथ ही मुसलमानों को बरगलाने वाले वर्ग को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा तुष्टिकरण नहीं बल्कि संतुष्टिकरण की राह पर चलेगी.

.पीएम मोदी ने जिस अंदाज में तमाम राजनीतिक दलों के घोटाले गिनाते हुए चेतावनी भरे लहजे में घोटालेबाजों को न छोड़ने की बात कही उसने महागठबंधन की बैठक में शामिल हुए नेताओं में सिहरन जरुर पैदा कर दी होगी..इसी के साथ उन्होंने अपने घर यानि पार्टी कार्यकर्ताओं को एकसाथ कई बड़े टास्क भी दिये..जिससे कार्यकर्ता का आम लोगों से जुड़ाव हो. तो जनता के मन में भी भाजपा कार्यकर्ता की एक अलग छवि बने. मेरा बूथ सबसे मजबूत के नारे जिसमें कार्यकर्ताओं के बीच एक प्रतिस्पर्धा, जवाबदेही वह भी पार्टी से आगे भविष्य के भारत से जोड़कर जो माहौल बनाया उस से इनकार नहीं किया जा सकता फिर भी सवाल खड़ा होना लाजमी है..कि चुनावी लक्ष्य 2024 के लिए क्या इससे विरोधी कमजोर अलग-थलग साबित करने में पार्टी की रणनीति सफल होगी ? वह भी तब जब मोदी और भाजपा के साथ एनडीए विरोधी गठबंधन की नई संभावनाएं विपक्ष द्वारा तलाशी जा रही है. तो सवाल यह भी खड़ा होता है मध्य प्रदेश से चुनावी शंखनाद को सिर्फ 2024 को जोड़कर देखा जाए या फिर विधानसभा चुनाव 2023 मध्यप्रदेश को भी इससे फायदा मिलेगा. यह सवाल इसलिए कि मोदी का तिलिस्म और जादू अभी भी पूर्ण भाजपा कार्यकर्ताओं के सिर चढ़कर बोलेगा जिनकी नाराजगी ने 2018 में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया था. क्या डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां एंटी इनकंबेंसी पर भारी साबित होंगी ? क्या मोदी के बनाए इस माहौल से कमलनाथ कांग्रेस को जो ताकत राहुल प्रियंका और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने की उम्मीद की जा रही है क्या भाजपा का निराश, हताश, नाराज कार्यकर्ताओं का गुस्सा ठंडा पड़ जाएगा ?

क्या गारंटी है कि पटना में इकट्ठा हुए मोदी विरोधियों की लाइन मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए ताकत साबित हो उससे पहले भाजपा और मोदी कोई नया फार्मूला मध्यप्रदेश के लिए सामने लाएंगे जिससे पुरानी और नई पीढ़ी के बीच टकराहट हो या फिर टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं की महत्वाकांक्षाओं पर विराम लगा दिया जाएगा. और वह सभी अब कमल चुनाव चिन्ह को ध्यान में रखते हुए अपने उन विरोधियों को भी चुनाव जिताने के लिए जुड़ जाएंगे जिनसे उनकी नाराजगी पार्टी के अंदर और बाहर गाहे-बगाहे ही सही अभी तक नजर आती रही. कुल मिलाकर मोदी ने जो मंत्र दिये हैं वो भाजपा के लिए विजय मंत्र साबित हो सकते हैं बशर्ते कार्यकर्ता और नेता उसी अंदाज में समर्पण भाव से काम करे जैसा विजन पीएम नरेन्द्र मोदी का है. पीएम ने मध्यप्रदेश के कार्यकर्ता की तारीफ अलग अंदाज में करते हुए बड़ी बात कही कि आज भाजपा जो है उसमें बड़ी भूमिका इसी प्रदेश की रही है. निश्चित तौर पर पीएम मोदी के तीखे तेवरों ने जहां विपक्ष को बैकफुट पर धकेला है वहीं भाजपा कार्यकर्ता में एक नया जोश भरा है. जो आगामी चुनाव में भाजपा की संजीवनी साबित हो सकता है..

 

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