भोपाल। बंगलोर में 26 पार्टियों की INDIA यानि मोदी के NDA के खिलाफ चुनावी मोर्चा को संबोधित करते हुए अशोका होटल में नरेंद्र मोदी का मैं और मेरी तथा हमारी सरकार से उनका यह बार –बार (60 बार से अधिक) कहना ही यह सबूत है कि उन्हें अपनी हैसियत का अंदाज़ा हो गया है। पटना में विरोधी दलों की बैठक के बाद बंगलोर में केंद्र सरकार के विरोध में आई इन दलों की मजबूती ने नरेंद्र मोदी को हिला तो दिया हैं ! इसका आधार है कि प्रचार और दिखावे के लिए मशहूर तथा खुद के अलावा किसी को भी वे कैमरे की सीमा में आने नहीं देते। इतना ही नहीं अपने भाषणों में मैं और मेरी के अलावा किसी भी अन्य को किसी प्रकार की उपलब्धि में हिस्सेदार नहीं बनाते यहां तक की अमित शाह को भी। उन्हीं नरेंद्र मोदी को अशोका होटल में 38 राजनीतिक दलों के नेताओं को संबोधित करते हुए उनके नौ 9 साल में यह पहली बार हुआ है उन्हे मोदी सरकार को एनडीए की सरकार बार-बार कहना – आखिर कुछ तो मजबूरी रही होगी। मजबूती तो नहीं हैं।
मेरी समझ से 9 साल में नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व में सहयोग – और साझेधारी से एकल नेत्रत्व की ओर गया है। अगर हम उनके फैसलों का परीक्षण करे तो नोटबंदी – और कोरोना काल में भारत बंद, ऐसे फैसलों को अगर उन्हीं की भाषा में कहे तो 140 करोड़ भारतीयों के जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, भले ही उनके भाषण के अनुसार वे गलती तो कर सकते हैं पर बदनीयती नहीं कर सकते ! अब देश ने मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में चुनी सरकारों को गिराना गलती है या बदनीयती। इसके अलावा जिस प्रकार NIA और ED के छापे सिर्फ राजनीतिक विरोधियों पर ही क्यूं? बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने बंगलोर में यही शिकायत की है। अजित पवार को मोदी जी उन्हंे परिवारवाद भ्रष्ट बताया था फिर क्या मजबूरी हुई की उन्हीं को उप मुख्य मंत्री बनाया।
विपक्षी दलों को भ्रष्टों का गठजोड़ बताने और 20 लाख करोड़ के भ्रष्टाचार के जिम्मेदार बताते है परंतु इस राशि का कोई आंकड़ा नहीं है। जिस नोटबंदी को काला धन और आतंकवाद के नाश का उपाय कहा गया था – नोटबंदी के सात दिनो के अंदर कश्मीर में आतंकवादियों के पास 2000 के नए नोट बरामद हुए थे ! काला धन के लिए ईडी और इनकम टैक्स के साथ सीबीआई भी लगातार सरकार के राजनीतिक विरोधियों पर छापे मार रही है। मतलब न तो आतंकवाद पर लगाम लगी और ना ही काला धन को नियंत्रित कर सके।