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खिसकते वोटों ने बढ़ाई मायावती की चिंता

कल तक सन्नाटा पसरे बहुजन समाज पार्टी के दिल्ली दफ़्तर में अब फिर रौनक़ दिखने लगी है। यह रौनक़ लोकसभा चुनावों को लेकर हुई है या फिर या फिर मतदाताओं के बीच पार्टी का जनाधार कम हो जाने से यह बात अलग है पर यह ज़रूर है बसपा की सुप्रीमो मायावती अब चिंतित बताई जा रही हैं। कहा तो जा रहा है कि विपक्ष की पिछले दिनों बेंगलोर में हुई बैठक से मायावती ने भले खुद को अलग रखा पर इस बैठक के बाद राजनीति के बनते बिगड़ते समीकरणों से वे चिंतित ज़रूर हैं।

और तभी इस चिंता ने उन्हें पार्टी के भविष्य को लेकर फिर एक्टिव होने को शायद मजबूर किया। खबर तो यह भी चली कि मायावती ने दिल्ली में अपने पार्टी नेताओं से संपर्क किया और यूपी में भी। और लगे हाथ उन्होंने अपने सिपहसलार सतीश शर्मा सहित दो लोगों से बैठक की और इस पूरे सिनेरियो को लेकर चर्चा की।

पार्टी के दिल्ली नेताओं पर भरोसा करो तो मायावती को पार्टी में मुस्लिम और दलित वोटों के खिसकने की चिंता थी और तभी उन्होंने सतीश शर्मा से यूपी में कम होते मुस्लिम और दलित वोटों की बजह तलाशने की बात तो कही साथ ही यह भी कहा कि वे कांग्रेस से संपर्क कर यह भी तलाशें कि अगले विधानसभा चुनावों में क्या कांग्रेस से गठबंधन हो सकता है और तब सीटों का गणित क्या रहेगा।

अब भला वे लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी को लेकर अचानक इतनी एक्टिव हो गई हैं या फिर यूपी को लेकर। यह बात तो इंतज़ार की है ।और लोकसभा चुनाव अपने बूते ही लड़ती हैं तो दिल्ली में उनके ख़ाली हाथों में क्या कुछ आ पाएगा सवाल यह भी है पर दिल्ली के नेता तो मायावती की इस इच्छा को फ़िज़ूल का मानती है।

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By ​अनिल चतुर्वेदी

जनसत्ता में रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव। नया इंडिया में राजधानी दिल्ली और राजनीति पर नियमित लेखन

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