लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच भाजपा के कई मंत्री,पूर्व मंत्री और सांसदों की धड़कनें भी तेज हो चलीं हैं। हर दूसरा नेता अपनी रिपोर्ट कार्ड दुरुस्त करने में व्यस्त हो चला है। मंत्रियों में से जिन्हें प्रभारी बनाया है वे खुश हैं उनके दफ़्तर में रौनक़ उनकी उम्मीदों का इज़हार कर रही हैं और जिनके प्रभारी बनने की संभावना कम है उनके दफ़्तर में भी सन्नाटा सा पसरा है।
कमोवेश यही हॉल पूर्व मंत्रियों का है। कोई चार साल बाद जनता के बीच दिखने लगा है तो कोई कांवड़ियों के काँपों में जाकर फ़ोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर शेयर कर अपने काम का दिखावा करता नज़र आने लगा है तो कोंई पार्टी से हटकर अपने ग़ैर सरकारी संगठन के बैनरतले कार्यक्रम कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर टिकट की जुगत में लगा है।
चाँदनी चौक से एक सांसद और पूर्व मंत्री इलाक़े की संकरी गलियों में घूमते देखे जा सकते हैं। तो भाजपा के ही एक पूर्व मंत्री कुत्तों की बढ़ती और काट लेने की बढ़ती घटनाओं की मार्फ़त अपनी मौजूदगी दर्ज कराते घूम रहे हैं। या यूँ मानिए कि भाजपा का हर दूसरा नेता अगले लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद साध काम पर निकला हुआ है।
यही नहीं दिल्ली से बाहर के एक मंत्री तो अपने संसदीय क्षेत्र में जाकर अपना रिपोर्ट कार्ड ठीक करने में लगे थे पर जैसे उन्हें प्रभारी बनने की संभावना दिखी वे दिल्ली लौट आए।दिल्ली की एक मंत्री तो टिकट को लेकर इतनी टेंशन में लगती हैं कि बेचारी अपने संसदीय क्षेत्र के कार्यक्रम में से बीच में ही यह कहकर चल दीं कि उन्हें मीडिया से बात करनी है ,लौट कर आती हैं पर मंत्री तो नहीं लौटी अलबत्ता मंत्री को सुनने आए लोग और भाजपाई कार्यकर्ता ज़रूर उठकर चले गए।
अब लोकसभा चुनावों में कौन प्रभारी बनाया जाता और किसको मिल पाती है टिकट यह अलग बात है पर ऐसे दावेदारों को कौन बताए कि उनका रिपोर्ट कार्ड तो तैयार पहले ही पार्टी ने अपनों से तैयार करा लिया है अब तो सिर्फ़ औपचारिकता रह गई है। नसीब से किसी के काम की रिपोर्ट पर मोदी के चहेतों की निगाह पड़ गई तो टिकट की लाइन में जोड़ दिया जाएगा वरना तो अगले साल तो आराम से बीतने की उम्मीद ही मानी जा रही है।
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