कुछ साल पहले तक भारतीय फुटबाल टीम के लिए पाकिस्तान को हराना ज्यादा मुश्किल नहीं था। हालाँकि आज भी हालत जस के तस हैं, क्योंकि पाकिस्तान की फुटबाल टीम भारतीय खिलाड़ियों की तरह सुविधाओं का सुखभोग नहीं कर पा रही। भारत जीता जरूर पर चार गोलों की जीत के लिए मेजबान खिलाडियों को न सिर्फ जम कर पसीना बहाना पड़ा, कुछ एक अवसरों पर हाथ पाई की नौबत भी आई।
अपनी मेजबानी, अपने दर्शक और सब कुछ अपने पक्ष में होने के बावजूद भारतीय फुटबाल टीम सैफ चैम्पियनशिप में पाकिस्तान और कुवैत के विरुद्ध कड़े संघर्ष और धक्का मुक्की के चलते जैसे तैंसे पार पा सकी। भले ही पकिस्तान से हर खेल में मुकाबला कड़ा होता है लेकिन फुटबाल में पाकिस्तान की हैसियत हॉकी या क्रिकेट जैसी नहीं है। कुछ साल पहले तक भारतीय फुटबाल टीम के लिए पाकिस्तान को हराना ज्यादा मुश्किल नहीं था। हालाँकि आज भी हालत जस के तस हैं, क्योंकि पाकिस्तान की फुटबाल टीम भारतीय खिलाड़ियों की तरह सुविधाओं का सुखभोग नहीं कर पा रही।
भारत जीता जरूर पर चार गोलों की जीत के लिए मेजबान खिलाडियों को न सिर्फ जम कर पसीना बहाना पड़ा, कुछ एक अवसरों पर हाथ पाई की नौबत भी आई। मैच का सबसे दुखद पहलू रहा भारतीय चीफ कोच इगोर स्टिमैक को रेफरी द्वारा लाल कार्ड दिखाया जाना। रेफरी के कुछ फैसलों से इगोर नाराज नज़र आए। उनकी नाराजगी को अनुशासन हीनता माना गया और दंड स्वरुप बाकी मैच और अगले मुकाबले के लिए बाहर कर दिए गए। कोच ने मीडिया के सामने रेफरी के विरुद्ध न सिर्फ बयान दिया यह भी कहा कि वह बार बार ऐसी गलती दोहराएंगे क्योंकि रेफरी स्तरीय नहीं हैं।
संयोग से अगले ही मैच में भारतीय कोच ने रेफरी को बुरा भला कहा और पीला कार्ड देखा, जोकि एक और गलती करने पर लाल में बदल गया। अर्थात अब सेमीफइनल मुकाबले में कोच साहब टीम के साथ बेंच पर नहीं बैठ पाएंगे। हो सकता है रेफरी से चूक हुई हो लेकिन लगातार दो मैचों में दो लाल कार्ड देखने वाले कोच को अपनी गिरेबान में भी झाँक लेना चाहिए।
यह हाल तब है जबकि पकिस्तान की फीफा रैंकिंग 195 और कुवैत की 143 है। कमजोर टीमों के विरुद्ध कोच का संतुलन गंवाना हैरान करता है। इसमें दो राय नहीं कि इगोर अव्वल दर्जे के कोच हैं और भारतीय खिलाडियों को पूरी तरह समर्पित हैं। हो सकता है उन्हें हार बर्दाश्त नहीं लेकिन फीफा रैंकिंग में सौवें नंबर के आस पास की टीम का कोच यदि फ़िसड्डियों के साथ मुकाबले में संतुलन खोता है, सड़क छाप व्यवहार करता है तो बड़े मुकाबलों में टीम और खुद को कैसे कंट्रोल कर पाएगा?
कोच इगोर सैफ चैम्पियनशिप को ज्यादा महत्व नहीं देते। उनका लक्ष्य एएफसी कप में बेहतर करना है। लेकिन कोच साहब को पहले अपना मिज़ाज सुधारना होगा , कुछ पूर्व खिलाड़ियों का ऐसा मानना है। उन्हें डर है कि बार बार लाल कार्ड देखने और रेफरी लाइन्स मैन से भिड़ेंगे तो खिलाडियों को आक्रामकता दिखाने के लिए बढ़ावा मिलेगा, और ऐसा हो भी रहा है। यह भी याद रखें कि एएफसी और फीफा भी भारतीय टीम पर नज़र गड़ाए हुए हैं और इगोर स्टीमैक की सजा बढ़ सकती है। हो सकता है एआईएफएफ को भी खरी खरी सुननी पड़े।
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