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मोदी के भाईजान ट्रंप!

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कल्पना करें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि कमला हैरिस से बहस कर रहे होते तो क्या मोदी हूबहू ट्रंप की तरह बोलते हुए नहीं होते? जैसे नरेंद्र मोदी बोलते हैं, अहसास कराते हैं कि मैं हूं तो सब मुमकिन है। मैंने अपने बच्चों को यूक्रेन से लिवा लाने के लिए रूस से युद्ध रूकवा दिया था या ओबामा को मैने चाय पिलाई, पुतिन मेरा दोस्त है और शी जिनफिंग को मैंने झूला झुलाया है तो ठीक इसी पैटर्न में ट्रंप ने इस सप्ताह कमला हैरिस से टीवी डिबेट में अपनी महानता बताई। तभी उन्होंने कमाल हैरिस से चल कर हाथ नहीं मिलाया। कमला हैरिस को देखते हुए बात नहीं की और उनके हर वाक्य में ‘मैं’ और ‘मैं’ याकि अपनी महानता का बखान था। वैसे ही जैसे भारत में राहुल गांधी से हाथ मिलाने में मोदी कतराते हैं या उनकी और देखते हुए वे जवाब नहीं देते हैं। मगर आसमां से चांद-सितारे उतार भारत को विकसित बना देते हैं। सबका विकास कर डालते हैं।

लगता है नरेंद्र मोदी की तरह ही डोनाल्ड ट्रंप भी जल्दी में हैं कि नंवबर में वे चुनाव जीते नहीं की तुरंत पुतिन और जेलेंस्की को फोन करके युद्ध रूकवाएं। हां, कमला हैरिस के साथ बहस में डोनाल्‍ड ट्रंप की यह हवाबाजी थी कि वे चुनाव जीते तो उनकी धमक से ही रूस और यूक्रेन लड़ाई रोक देंगे। इजराइल-हमास लड़ाई का समाधान निकलेगा और अमेरिका वापिस ग्रेट हो जाएगा।

सवाल है डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी दोनों की विश्व गुरूता का गुरू कौन है? अपना जवाब है अहंकार और मूर्ख भक्त।

इसलिए डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी को सुनना दिमागी समझदारी के लिए जरूरी है। पढ़ा-लिखा देश हो या गंवार देश, लोकतंत्र की नंबर एक कमी है जो झूठ, अंधविश्वास के वायरस के खिलाफ कोई इंजेक्शन ईजाद नहीं हुआ है। तभी इस वास्तविकता पर सोचें कि डोनाल्ड ट्रंप अपनी संगत में उस एलिट जमात को ले कर घूम रहे हैं जो प्रचार करते हैं कि ट्रंप 2020 में जीते थे और न्यूयार्क पर 9/11 का आतंकी हमला अंदरूनी साजिश थी। इतना ही नहीं कमला हैरिस के साथ टीवी डिबेट में डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कह डाला कि अमेरिका में जो विदेशी घुस रहे हैं वे पालतू कुत्ते, बिल्ली चुरा कर खाते हैं!

कुछ भी बोलो! लेकिन मैंने बोला है तो विश्वास करो, की तर्ज पर डोनाल्ड ट्रंप का प्रचार बेबाक और छप्पन इंची छाती वाला है। इसलिए देखना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका जाते हैं तो अपने साथी छप्पन इंची बंधु, सखा डोनाल्ड ट्रंप के लिए वहां बसे हिंदुओं को पुराना यह मैसेज देते हैं या नहीं कि ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’!

फालतू बात है कि अमेरिका के भारतीय प्रवासी राहुलवादी हो गए हैं। वहां के उन हिंदुओं में डोनाल्‍ड ट्रंप के प्रति उन्हीं की तरह भक्तिभाव है, जिन्होंने सन् 2020 में मोदी के हुंकारे के साथ ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा लगाया था। हालांकि इस बार ट्रंप एशियाई प्रवासियों को लेकर भी झूठ बोल रहे हैं, गोरों को भड़का रहे हैं। शुक्रवार को ही ट्रंप की एक नामी प्रचारक ने सोशल मीडिया पर हल्ला बनाया है कि कमला हैरिस यदि जीत गईं तो व्हाइट हाऊस में करी, याकि दाल-सब्जी के छौंके, तड़के की बदबू मिलेगी!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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