दरअसल नरेंद्र मोदी और अमित शाह तिलमिलाएं हुए है। कह सकते है पूरा संघ परिवार परेशान है। इसलिए क्योंकि राहुल गांधी ने जाति जनगणना की जिद्द बना ली है। संसद के इस सत्र में जाति जनगणना पर जितना शोर हुआ वह विपक्ष की ताकत का प्रमाण है तो देश का दुर्दशा की और बढ़ना भी है। इसकी खुन्नस में ही मोदी-शाह ने राहुल गांधी की जाति का नैरेटिव बनवाया। पर राहुल गांधी को क्या फर्क पडना है। वैसे भी दुनिया जानती है कि नेहरू-गांधी परिवार ब्राह्मण है।
राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए ओबीसी राजनीति मजबूरी है। मोदी-शाह ने दस वर्षों में हिंदू राजनीति का जो ओबीसीकरण किया है उसके आगे कांग्रेस के पास दूसरा विकल्प ही नहीं है। उसे और विपक्ष को अब जात राजनीति से ही भाजपा को पंचर करना है। दस वर्षों में नरेंद्र मोदी ने हिंदुस्तान को जातिस्तान में जैसे बदला है तो जवाब में जाति जनगणना और जाति कलह भारत का भविष्य है। भारत को मोदी-शाह ने न केवल हिंदू बनाम मुसलमान में विभाजन की राजनीति का रणक्षेत्र बनाया है बल्कि देश को जातिगत सामाजिक कलह का अखाड़ा भी बना दिया है।
इसलिए तय माने कि भारत के अब तक के पंद्रह प्रधानमंत्रियों में नरेंद्र मोदी का इतिहास हमेशा धर्म और जात दोनों के नाम की राजनीति का जहर फैलाने के लिए याद रखा जाएगा। हिसाब से भाजपा का कांग्रेस पर, राहुल गांधी पर हमला यह होना चाहिए था कि नेहरू जातिविहीन समाज की बात करते थे। नाम के आगे से जाति हटाओं जैसे जन अभियान चलवाते थे। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जातिविहीन आधुनिक भारत बनाने के सपने दिखाते थे वही उस खानदान के वंशज राहुल गांधी अब जाति जनगणना की जिद्द कर रहे है तो यह समाज को और छिन्न-भिन्न करने की राजनीति है या नहीं? लेकिन उलटे भाजपा राहुल की जाति पूछ रही है।
जाहिर है मोदी-शाह की राजनीति का सरोकार सिर्फ और सिर्फ जातियो के वोटों का हिसाब है। जात नेताओं र नामों से वोटो का जुगाड़ है। इसलिए हिसाब से भाजपा को अपना नाम बदल भारत जाति पार्टी व आरएसएस को जाति स्वंयसेवक संघ नाम रख लेना चाहि्ए।