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विदेश दौरों का ही अब सहारा

लोकसभा चुनाव, 2024 के नतीजों के बाद क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अपने जयकारे के लिए क्या सिर्फ विदेश की धरती बची है? क्या भारत में अब कोई अवसर नहीं है? यह सवाल सोशल मीडिया में पूछा जा रहा है। हालांकि विदेश में भी अब जादू उतरता दिख रहा है। अभी प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड पहुंचे तो वारसॉ में एक बेहद छोटा समूह उनने स्वागत में पहुंचा। पांच लोगों की कुल भांगड़ा टीम थी, जिससे प्रधानमंत्री ने एक छोटे से कमरे में मिले। प्रवासी भारतीयों से भी प्रधानमंत्री की मुलाकात बहुत ही छोटे से हॉल में हुई। पहले की तरह उत्साह और कनेक्ट नहीं दिखा।

आगे प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका का दौरा हैं। वे अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्यूयॉर्क जाएंगे। वहां 22 सितंबर को प्रवासी भारतीयों के एक कार्यक्रम में उनको हिस्सा लेना है। पोलैंड में कहा जा रहा है कि भारतीयों की संख्या कम थी लेकिन अमेरिका में तो बहुत ज्यादा है। सो, बहुत ज्यादा भीड़ जुटाने की तैयारी हो रही है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी का जो कॉन्फिडेंस तोड़ देने की बात कह रहे हैं वह कॉन्फिडेंस अमेरिका में बढ़ सकता है। वहां प्रायोजित भीड़ से नारे लगवा कर भारत में अपने समर्थकों को मैसेज दिया जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी से ज्यादा लोकप्रिय कोई नहीं है। हाल ही में एक टेलीविजन न्यूज चैनल से मूड ऑफ द नेशनल सर्वे कराया गया, जिसमें मोदी को सर्वकालिक श्रेष्ठ प्रधानमंत्री बनाया गया। मोदी को 52 फीसदी ने और नेहरू को पांच फीसदी लोगों ने श्रेष्ठ माना। यह काम उसी चैनल ने किया, जो चार जून को मोदी को चार सौ सीटें दिला रहा था।

बहरहाल, अब माना जा रहा है कि भारत में जय जयकार करा कर प्रधानमंत्री मोदी वह जादू नहीं जगा सकते हैं, जो पहले था। इसलिए विदेश की धरती पर नारे लगवाने है। अमेरिका में भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण से माहौल बनाया जाएगा।

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By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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