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औरंगजेब फैन क्लब

झारखंड दौरे के अगले दिन अमित शाह महाराष्ट्र के दौरे पर गए। उन्होंने अपने पुराने सहयोगी उद्धव ठाकरे को निशाना बनाया। शाह ने कहा कि उद्धव ठाकरे औरंगजेब फैन क्लब के सदस्य हैं। उन्होंने कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी के गठबंधन महाविकास अघाड़ी को औरंगजेब फैन क्लब का नाम दिया और कहा कि उद्धव उसी क्लब के सदस्य हैं। लोकसभा चुनाव में भी महाराष्ट्र में भाजपा ने हिंदू मुस्लिम का नैरेटिव बनाने का प्रयास किया था लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। उसका गठबंधन बुरी तरह से चुनाव हारा। खुद भाजपा 23 से घट कर नौ सीट पर आ गई और दोनों गठबंधन सहयोगियों को आठ सीटें मिलीं।

पिछली बार एकीकृत शिव सेना के साथ उसका गठबंधन था तो उसे 41 सीटें मिली थीं। इस बार उसका गठबंधन महायुति 17 सीटों पर सिमट गया। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा दो साल से ज्यादा समय से सरकार चला रही है लेकिन कामकाज की बजाय औरंगजेब के नाम पर उसे वोट लेना है या ‘मुफ्त की रेवड़ियों’ की घोषणा करनी है। महाराष्ट्र सरकार ने मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना की तर्ज पर लाड़ला भाई योजना शुरू की है और युवाओं को छह से 10 हजार रुपए तक महीना देने का वादा किया है।

सोचें, प्रधानमंत्री मोदी बड़े विजनरी हैं, अमित शाह चाणक्य हैं लेकिन पार्टी को चुनाव लड़ना है कि औरंगजेब के नाम पर, बांग्लादेशी घुसपैठ के नाम पर, मुस्लिम आरक्षण कर देने का भय दिखा कर या ‘मुफ्त की रेवड़ी’ के नाम पर है! लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने इन मुद्दों पर बहुत जोर दिया था लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी। प्रधानमंत्री ने खुद ‘घुसपैठियों’ और ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ का कितना भय दिखाया था लेकिन राजस्थान में जहां से उन्होंने इसकी शुरुआत की थी वहां लेकर उत्तर प्रदेश तक में कहीं यह एजेंडा नहीं चला। फिर भी भाजपा इसी मुद्दे पर सारी राजनीति केंद्रित कर रही है।

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By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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