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भारत में शोक और विलाप

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इजराइल से लड़ने के लिए बने हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह के मारे जाने का जैसा शोक पश्चिम एशिया के या दूसरे इस्लामिक देशों में है उससे कम भारत में नहीं है। भारत के मुस्लिम उद्वेलित हैं। कश्मीर के मुस्लिम नेता सबसे पहले नसरल्लाह की मौत के शोक में शामिल हुए। उसके बाद कश्मीर से कोलकाता और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर निकल कर इसका शोक मनाया। आमतौर पर मुस्लिम बिरादरान के अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के मुस्लिम शामिल नहीं होते हैं। इराक में बगदादी से लेकर अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन की गतिविधियों से भारत के मुस्लिम अपने को दूर ही रखे हुए थे। लेकिन दो कारणों से हमास और हिजबुल्लाह को लेकर भारत के मुस्लिम सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।

पहला कारण है कि ओसामा बिन लादेन या अल जवाहिरी के अलकायदा और बगदादी के इस्लामिक स्टेट जैसे हमास और हिजबुल्लाह को भारत ने आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया है। दुनिया के कई देशों ने इनको आतंकवादी संगठन घोषित किया है लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया है। भारत में अगर इनको आजादी की लड़ाई लड़ने वाला योद्धा नहीं माना जाता है तो आतंकवादी भी नहीं माना जाता है। इसलिए इनके समर्थन में उतरने या इनके नेताओं के मारे जाने में मुस्लिम जमात को कोई कानूनी या नैतिक बाधा नहीं है।

दूसरा कारण यह है कि आम मुसलमान की नजर में इजराइल हमेशा से दुश्मन रहा है और पिछले एक साल से हमास के खिलाफ चल रही उसकी जंग ने धीरे धीरे लोगों के मन में उसके प्रति दुश्मनी का भाव और बैठा दिया है। गौरतलब है कि सात अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर भीषण हमला किया था। लोगों को मारा या अगवा किया। अब भी ज्यादातर इजराइली बंधक हमास के कब्जे में हैं। दो दिन बाद इस युद्ध के एक साल हो जाएंगे। इस बीच इजराइल ने हमास के बाद हिजबुल्लाह के खिलाफ भी जंग छेड़ दी और इस जंग में ईरान भी शामिल हो गया है। तभी हिजबुल्लाह चीफ के मारे जाने पर ज्यादा विरोध प्रदर्शन हुए।

कुछ दिन पहले ही इजराइल के हमले में हमास का चीफ इस्माइल हानिया मारा गया था। लेकिन उस समय इतना विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ था। लेकिन चूंकि अभी युद्ध का दायरा फैल गया है और हमास के खिलाफ छिड़ी लड़ाई में अब हमास के साथ साथ हिजबुल्ला और हूती जैसे संगठन शामिल हो गए हैं तो सीरिया, लेबनान, यमन और ईरान जैसे मुस्लिम देश भी शामिल हो गए हैं। इसलिए नसरल्लाह की मौत का ज्यादा बड़ा मुद्दा बन गया। बहरहाल, इजराइल ने ऑपरेशन न्यू ऑर्डर के तहत एक बड़े हमले में 27 सितंबर को नसरल्लाह को मार गिराया। इसके अगले दिन 28 सितंबर को पहले हिजबुल्लाह ने बताया कि उसका चीफ नसरल्लाह मारा गया है और फिर इजराइल ने इसकी विस्तार से जानकारी दी। तब कश्मीर में सर्वाधिक असर हुआ।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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