राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

भयाकुल नस्ल के पावरफुल

Most Powerful Indians

अंग्रेजी के अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने देश के एक सौ सबसे पावरफुल लोगों की सूची जारी की है। यह सूची हर साल आती है और हर साल लगभग एक जैसे चेहरे होते हैं। उन्हीं की रैकिंग में थोड़ा ऊपर नीचे होता है। इस रैंकिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शीर्ष पर होते हैं और उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ आदि के नाम शीर्ष 10 में होते हैं।Most Powerful Indians

उसके बाद इस सूची में अन्य केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय जांच एजेंसियों  के प्रमुख, मुख्यमंत्री, कांग्रेस के कुछ नेता, फिल्म अभिनेता, कारोबारी, बैंकर और खेल आदि से जुड़े लोग होते हैं।

नस्ल के इन कथित पावरफुल लोगों के चेहरे देखते हुए महाभारत की मूल कहानी में क्षेपक के तौर पर कही जाने वाली एक कहानी का ध्यान आता है। सबको पता है कि युद्ध शुरू होने से पहले भगवान कृष्ण ने बरबरी का सिर काट कर एक ऊंची जगह पर टांग दिया था, जहां से वह युद्ध देख रहा था। 18 दिन का युद्ध खत्म होने के बाद कृष्ण ने बरबरी से युद्ध के बारे में पूछा तो उसने कहा- भगवन मुझे तो दोनों तरफ से आप ही लड़ते दिख रहे थे।

उसी तरह का मामला इस सूची का भी है। सभी सौ लोगों में एक ही चेहरा दिखता है और वह चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। जैसे सौरमंडल में ऊर्जा का स्रोत सिर्फ सूर्य है और बाकी सारे ग्रह उसकी रोशनी से चमकते हैं वैसे ही देश में शक्ति का एकमात्र स्रोत नरेंद्र मोदी हैं और बाकी लोगों के पास आभासी ताकत है। सब उनकी शक्ति से ताकत पाते हैं।

सोचें, जो दूसरे की रोशनी से चमकते हों या दूसरे की शक्ति से ताकत पाते हों उनको कैसे पावरफुल माना जाएगा? पर यह दिल्ली तख्त का स्थाई इतिहास सत्य है। अकबर के यहां मानसिंह, कथित नवरत्न आदि हुआ करते थे मगर वे असलियत में क्या गुलाम नहीं थे?

सो 2024 के पावरफुल चेहरों की सूची का भी लब्बोलुआब है कि एक से सौ तक नरेंद्र मोदी हैं। वैसे ही जैसे एक समय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कहा जाता था कि एक से 10 तक अमिताभ बच्चन हैं और नंबर दो की गिनती 11 से होती है। उसी तरह नंबर दो पावरफुल व्यक्ति 101वां व्यक्ति होगा। एक से सौ तक मोदी हैं या उनका सिस्टम है। तभी हैरानी की बात है कि उनके सिस्टम के जो असली पावरफुल लोग है उनका नाम ऐसी सूचियों में नहीं आता है।

मीडिया के लोगों को सूची बनाते समय कम से कम मीडिया को नचाने वाले हीरेन जोशी का नाम तो एकदम शुरू में रखना चाहिए। आखिर वे ही रोज सुबह दिन भर चलने वाली सुर्खियां तय करते है। वे देश के सुपर संपादक हैं। भगवान की बुद्धी है। प्रधानमंत्री कार्यालय के और अधिकारी, गुजरात से चले आ रहे उन चेहरों, उन लोगों को भी पॉवरफुर में रखना चाहिए जिनसे एक्सेस होती है।

जो नरेंद्र मोदी का रोजाना प्रवचन बनाते है। राज्यों में गठबंधन बदलवा रहे हैं या सीटों के बंटवारों पर सहयोगी दलों से बात कर रहे हैं। या प्रोजेक्ट भगवान के कर्ता-धर्ता है।

सोचे, क्या तुके है प्रधानमंत्री कार्यालय से आने वाले आदेश का पालन करने वाले मंत्रियों को पावरफुल बताने की। सोशल मीडिया में यह मजाक चल रहा है कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री की माला से बाहर निकाल दिया गया वे भी पावरफुल लोगों की सूची में हैं!

गौरतलब है कि दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी को सम्मानित किया जा रहा था तब बड़ी माला में राजनाथ सिंह भी थे लेकिन उनको तुरंत ही अहसास हुआ और वे खुद ही माला से बाहर निकल गए। एक हाथ से माला पकड़े रहे। दूसरी ओर जेपी नड्डा ने माला में घुसने की कोशिश की तो अमित शाह ने माला नीचे कर दी और नड्डा बाहर छूट गए। फिर भी वे सबसे पावरफुल लोगों की सूची में हैं।

यह भी पढ़ें:

गडकरी अच्छे या मोदी?

मोदी तानाशाह नहीं, हिंदू गुलाम!

मंडी में मनीष सिसोदिया नहीं बिके!

गुजरात में चिंता!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें