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‘इंडिया’ के नेता न समझें हैं, न समझेंगे!

गौर करें राहुल गांधी पर। इन दिनों क्या कर रहे है? रेलवे स्टेशन जा कर कुलियों के बीच बैठ, सिर पर सामान की पोटली उठा भरोसा दिला रहे है कि वे रेलवे को नहीं बिकने देंगे! फर्नीचर मार्केट में जाकर आरी और रंदा चला रहे हैं। समझ नहीं आता कि खड़गे, राहुल-प्रियंका व ‘इंडिया’ के नीतीश कुमार, अखिलेश, केजरीवाल आदि इन सबके कौन हैं सलाहकार। इतना भी नहीं देख-बूझ रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के नैरेटिव, प्रोपेगेंडा, झूठ के पैमाने चंद्रलोक, सूर्यलोक, विश्वगुरूता के हैं वही राहुल, नीतीश, केजरीवाल छोटी-छोटी बातों, रेवड़ियों के वादों, झूठ के सामान्य प्रोपेगेंडा से मोदी को हराने के सपने देख रहे हैं।

सुना था कि विपक्ष की बैठक में कांग्रेस और केजरीवाल की मीडिया-सोशल मीडिया टीम में कोऑर्डिनेशन और साझा रणनीति का फैसला हुआ था। पर ऐसा होता तो पिछड़ों के आरक्षण, जाति जनगणना में आरक्षण, कुलियों व रेल यात्रियों के बीच फोटोशूट जैसी बातें, जैसे झांसे, छोटे-छोटे झूठ और वादे क्या राहुल गांधी, नीतीश, केजरीवाल करते?

तुलना करें नरेंद्र मोदी के विश्व नेताओं के संग के फोटोशूट बनाम राहुल गांधी के कुलियों के संग फोटो पर? सपने देखने वाली, मुंगेरीलाल हिंदू लोगों में मोदी के फोटो सुपर हिट हुए होंगे या राहुल गांधी के? नीतीश कुमार के गुरू रहे दिवंगत शरद यादव मंडलवादी नेता थे। मेरी बड़ी अभिन्नता थी। सन् 85-86 की बात रही होगी, मैंने गपशप में उनके फिरोजशाह रोड के सरकारी मकान पर लिखा। चरण सिंह-देवीलाल के संग समाजवादी राजनीति करने वाले शरद यादव ने अपने मकान में चार-छह एसी लगवा रखे हैं, यह मेरे लिए उस वक्त न पचने वाली बात थी तो मैंने गपशप में शरद यादव को लपेटा। उन्होंने मेरे रिपोर्टर के जरिए मेरे से बात की और मुझे हिंदुओं की राजनीति का बड़ा सूत्र समझाया- आपके लिखने से तो मेरी वाह हो गई। जरा भारत के लोगों को समझें। हम गुलाम रहे हैं। हम लोग हाकिम की पूजा करते हैं। वह जितने वैभव में, तामझाम में रहेगा उतना ही जनता में उसका रूतबा बढ़ेगा। हाथी की सवारी होनी चाहिए, नौकर-चाकर हो, ठाठ-बाट के किस्से बनें। नेता बड़ी बातें करता हुआ, शान वाला हो। पता है नेहरू के किस्से चलते थे कि उनके कपड़े पेरिस से धुल कर आते हैं और वे दुनिया को जानने वाले अकेले नेता हैं। ब्रितानियों के साथ उठते-बैठते हैं। तभी नेहरूओं का आनंद भवन उत्तर भारत के लोगों में किवदंती बना। नेहरू ने जो कहा उसे लोगों ने माना।

और सचमुच मैं खुद लगातार गवाह हूं कि विदेशी हुकूमतों की गुलामी से बने हम हिंदुओं के मनोविज्ञान में नेता हमेशा वह हिट हुआ है, जिसने अपने साथ किवदंती (स्वाभाविक तौर पर महाझूठी) बनाई। नरेंद्र मोदी को ले कर किवदंती, याकि लोगों की धारणा झूठों के महाप्रोपेगेंडा से भरी वह दंतकथा है, जिसमें वे हिंदुओं में पृथ्वीराज की इमेज में हैं तो मगरमच्छ को मारने वाले, फिर कल्कि अवतार होने से लेकर चायवाले, चौकीदार, शेर, विश्वगुरू आदि के असंख्य ऐसे छापे हैं, जिनकी असलियत जानते हुए भी विपक्ष के नेता न उनके महाझूठों को काटने वाला नैरेटिव बना  सकते है और उनसे मुकाबले के लिए अपनी बड़ी किवदंती बना पाते हैं। अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी होने की छोटी सी किवदंती बनाई थी लेकिन वह अब पंक्चर है। बावजूद इसके मेरा मानना है कि झूठ को महाझूठ, वैश्विक पैमाने का बनाने में विपक्ष समर्थवान केवल केजरीवाल हैं। इसी को समझते हुए नरेंद्र मोदी ने मई 2024 के चुनावी कैलेंडर से ठीक दो-तीन महीने पहले सीबीआई से जेल में रखने का बंदोबस्त कर डाला है। ताकि ‘इंडिया’ का नैरेटिव बन ही न पाए। तय मानें कि मनीष सिसोदिया की तरह छह महीने भी केजरीवाल जेल में बंद रहे तो उनकी जगह दिल्ली को संभालते हुए भी आतिशी या राघव चड्डा वह कुछ नहीं कर पाएंगे जो केजरीवाल बाहर रह कर मोदी को ललकारते हुए करते। विपक्ष की बुलंद आवाज बनते।

सो, जगतगुरू, विश्वबाहुबली, पाकिस्तान-चीन-कनाडा सबको ठोक हिंदुओं का गौरव बढ़ाने की तमाम असत्यताओं के सुपरस्टार नरेंद्र मोदी से मुकाबले में विपक्ष की पहली जरूरत यह है कि वे लोगों को मोदी से भी बड़े सपने दिखाएं। वे पांच वर्षों में भारत भूमि पर स्वर्ग उतारने की घोषणाएं करें। वह ऐसे जोर से ढोल बजाएं कि लोग जादूगर मोदी के जादू को देखते-देखते यह सुन कर पाला बदल लें कि इधर आओ और लो हमसे सोने की ईंट। हां, राहुल-केजरीवाल व ‘इंडिया’ बाकायदा लिखित वादा करें कि हमें जिताओ तो हम सत्ता में आते ही अंबानी-अडानी की संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करेंगे। उनकी नीलामी से जो पैसा आएगा वह इतना होगा कि हर बीपीएल परिवार को छह महीने में हम सोने की ईंट देंगे। कोई माने या न माने राहुल-केजरीवाल दोनों की पुरानी जिद्दी इमेज में इस वादे को लोग खरा मानेंगे। केजरीवाल को यह भी ऐलान करना चाहिए कि मैं हनुमानजी का परम भक्त। इसलिए मोदीजी तो आडवाणी के आंदोलन में अयोध्या में राम मंदिर का झूठा श्रेय ले रहे हैं। जबकि मेरा संकल्प है कि मैं चंद्रमा पर पवनपुत्र हनुमानजी का मंदिर बनवाऊंगा। मैं आईआईटी से पढ़ा हुआ है। मैंने वैज्ञानिकों के साथ बैठ कर प्लान बना लिया है ‘इंडिया’ गठबंधन का चंद्रयान मिशन होगा हनुमानजी की मूर्ति को चंद्रमा पर ले जा कर वहां उसकी स्थापना का। ‘इंडिया’ सरकार के अंतरिक्ष अभियान में पहला लक्ष्य अब यह होगा कि हिंदुओं के सभी प्रमुख भगवानों की मूर्तियों को पहले सौर्य मंडल के हर ग्रह में स्थापित किया जाए ताकि अंतरिक्ष में हिंदुओं का पहले डंका बजे ….आदि, आदि।

हां, कल्पना के घोड़े दौड़ाते जाएं तो वायदों, घोषणाओं, रेवड़ियों का विपक्षी नेता ऐसा भूचाल बना दें सकते है कि नरेंद्र मोदी जहां सन् 2050 में भारत के विकसित देश बनने का झूठ बोलते हुए होंगे वही ‘इंडिया’ अपने घोषणापत्र में पांच वर्षों में गुजरात के दस खरबपतियों की संपत्ति के राष्ट्रीयकरण से बीपीएल कार्डधारी परिवारों को सोने की ईंट बांटने, निम्नमध्यवर्गीय परिवारों के लड़के-लड़कियों को विदेश में नौकरी की गारंटी देने, मध्यवर्गियों को अमेरिका, कनाडा याकि दुनिया भर के वीजा दिला कर उन्हें वहां बसाने की प्रतिज्ञा सुनने को मिले। सब संभव है। मोदीजी यदि चमत्कारी हैं तो राहुल, केजरीवाल तो ज्यादा पढ़े-लिखे हैं। विदेशियों से अच्छी अंग्रेजी में बात करते हैं। केजरीवाल, नीतीश इंजीनियर हैं। यदि नरेंद्र मोदी पाकिस्तान-कनाडा को औकात बतलाने वाले शेर बने हैं तो राहुल गांधी व केजरीवाल के लिए तो अमेरिका, कनाडा, सऊदी के नेता दौड़े चले आएंगे। मोदी के बिगाड़े रिश्तों को सुधारने के लिए बाइडेन और ट्रूडो से विपक्ष के इस फार्मूले को मजे से मानेंगे कि  कनाडा में भारत के एक करोड़ नौजवानों को हम बसवाने की गारंटी लेते हैं। जी-7 ग्रुप के देश भारत के दो करोड़ हिंदुओं को नौकरी देंगे। हम सत्ता में आए तो पांच वर्षों में पांच करोड़ लोगों को विदेश में बसाएंगे। पाकिस्तान का भारत में विलय कराएंगे। चुनाव जीतने के बाद सौ दिनों के भीतर पीओके को भारत में मिलाएंगे। और भारत मां के बेटे अरविंद केजरीवाल का यह वादा है कि ‘इंडिया’ गठबंधन सरकार एक साल के भीतर चीन पर हमला करके भारत की जमीन छुड़वाएगा। हमने सैनिक-सामरिक और विदेशी थिंक टैंकों से बात कर ली है और रोडमैप बनाया हुआ है। यह देखो, मेरे हाथ में जो फाइल है यह उसी प्लान की है। आदि, आदि।

मतलब नरेंद्र मोदी से विपक्ष बहुत बड़ा सोचे, बड़े वायदे करे, बड़ी फट्टेबाजी करें तब तो मुकाबला होगा नहीं तो पृथ्वी को अपने श्रीमुख से दिखलाते हुए मोदी की और पिछड़े हिंदू भी दौड़े रहेंगे तो कुली और रेल यात्री भी। बडा, विशाल झूठ, बोलो।एवरेक्ट के आकार के बड़े-बड़े झूठ बोलो, तभी चुनावी लड़ाई बनेगी। अन्यथा फिलहाल तो मामला एकतरफा है। और हां, राहुल, केजरीवाल, नीतीश कुमार, अखिलेश आदि को रत्ती भर यह नहीं सोचना चाहिए कि उनके झूठे वादों पर जनता क्या सोचेगी? क्या जनता ने हर घर को पंद्रह लाख रुपए देने के नरेंद्र मोदी के वादे पर कुछ सोचा? क्या अच्छे दिन आए? क्या नौजवानों को रोजगार मिला? क्या स्मार्ट सिटी बनी? क्या किसान की आमदनी दो गुना बढ़ी… आदि-आदि। हम हिंदू न सोचते हैं, न फील करते हैं। हम तो भक्त होते हैं, सपने देखते हैं, मुंगेरीलाल के इलहामी फितूरों में जीते हैं कि देखो, देखो, कनाडा, पाकिस्तान, चीन और दुनिया को जीत कर महाराजाधिराज पधारे हैं।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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