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महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल पर दारोमदार

Lok Sabha elections 2024

भाजपा के 370 सीटों के लक्ष्य के लिहाज से सबसे बड़ा खड्डा महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में हो सकता है। इन तीन राज्यों में लोकसभा की 128 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा ने पिछली बार 76 सीटें जीती थीं। उसकी तब की सहयोगी शिव सेना और कर्नाटक की निर्दलीय उम्मीदवार सुमनलता अंबरीश को जोड़ें तो एनडीए की सीटें 95 हो जाती हैं। इस बार शिव सेना साथ नहीं है तो उसकी भरपाई के लिए भाजपा ने शिव सेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है तो एनसीपी तोड़ने वाले अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया है। इसके बावजूद भाजपा बहुत भरोसे में नहीं है। Lok Sabha elections 2024

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन और उसके विरोध में ओबीसी समूहों की गोलबंदी ने भाजपा की योजना में फच्चर डाला है। उसको लग रहा है कि शिव सेना का ज्यादातर वोट उद्धव ठाकरे के साथ है तो मराठा वोट शरद पवार के साथ। यही कारण है कि बार बार हो रहे चुनाव पूर्व सर्वक्षणों में महाविकास अघाड़ी यानी कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे गुट को ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं। भाजपा की अपनी सीटों में भी नुकसान हो सकता है। पिछली बार भाजपा और शिव सेना को 51 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस और एनसीपी को 32 फीसदी यानी 19 फीसद वोट का अंतर था। लेकिन इस बार शिव सेना व एनसीपी का वोट बंटा हुआ है। पिछली बार कम से कम आठ सीटें ऐसी थीं, जहां भाजपा और शिव सेना को एक लाख से कम वोट से जीत मिली थी।

इस बार कांग्रेस, उद्धव ठाकरे, शरद पवार ने गठबंधन के साथ प्रकाश अंबेडकर और राजू शेट्टी को भी जोड़ा है। अगर उद्धव ठाकरे शिव सेना को मिले वोट में से आधा भी हासिल कर लेते हैं तो मुकाबला बराबर का हो जाएगा। पिछली बार उनको साढ़े 23 फीसदी वोट मिला था। अगर 12 फीसदी वोट उनके साथ रहे और एनसीपी को मिले 16 फीसदी में से आठ फीसदी भाजपा के पास जाए तो भाजपा के चार फीसदी वोट कम हो जाएंगे। इससे कम अंतर वाली सीटों पर नजदीकी मुकाबला होगा।

उधर कर्नाटक में पिछली बार भाजपा ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था। उसे 28 में 25 सीटें मिली थीं और एक सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार जीती थी। दूसरी ओर कांग्रेस और जेडीएस को एक एक सीट मिली थी। पिछली बार भाजपा को 51 फीसदी और कांग्रेस व जेडीएस को 42 फीसदी वोट मिला था। लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अकेले 43 फीसदी वोट हासिल किया और भाजपा 36 फीसदी वोट ही ले सकी। तभी भाजपा ने एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस से तालमेल किया है। पिछली बार भाजपा चार सीटों पर एक लाख से कम अंतर से, तीन सीट पर 50 हजार से कम अंतर से और एक सीट डेढ़ हजार वोट के अंतर से जीती थी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए ओबीसी, वोक्कालिगा और अल्पसंख्यक का मजबूत गठबंधन बनाया है, इससे राज्य में भाजपा को नुकसान हो सकता है। Lok Sabha elections 2024

पश्चिम बंगाल की स्थिति सबसे अनोखी है। वहां 2019 के चुनाव में भाजपा को 41 फीसदी वोट मिले थे, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 43 फीसदी। भाजपा ने 18 और तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थीं। राज्य में 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यानी 70 फीसदी हिंदू आबादी में से ही भाजपा को वोट मिले होंगे। इस तरह के उसके 41 फीसदी वोट का मतलब है कि लगभग 60 फीसदी हिंदुओं ने उसको वोट दिया था। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का आंकड़ा इससे थोड़ा ही कम हुआ था। इसका मतलब है कि वहां ध्रुवीकरण की भारी गुंजाइश है। अभी संदेशखाली में हिंदू महिलाओं को लेकर जिस तरह की खबरें हैं उससे ध्रुवीकरण की संभावना मजबूत होती है। अभी तक कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में तालमेल होता नहीं दिख रहा है। लेकिन अगर होता है तो कांग्रेस को मिले छह फीसदी वोट का एक हिस्सा उसके साथ आ सकता है। पिछली बार कांग्रेस और लेफ्ट दोनों को 12 फीसदी के करीब वोट मिले थे। अगर इनका वोट बिखरता है तो उसका फायदा किसको होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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