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भाजपा 300 से ऊपर या नीचे?

12 अप्रैल 2024 का चुनावी अनुमान हाल में आए एक के बाद एक सर्वेक्षणों के बीच है। इनमें मोटा मोटी 350 से 400 पार एनडीए-भाजपा की सीटों के अनुमान है। एक चैनल ने होशियारी दिखाई जो 399 का आंकड़ा दिया। मतलब चार सौ पार और चार सौ से नीचे का आंकड़ा आए तो दोनों हाथों में अपना कहा सही के लड्डू। मगर इन सबसे अलग लोगों के सरोकार के मुद्दों के ताजा सर्वे आंकड़े भी है। इस अनुसार तो 2019 के मुकाबले लोग महंगाई, बेरोजगारी से इतने अधिक परेशान हैं कि राम मंदिर और भक्ति की बात कहीं नहीं है।

अब ऐसा है तो सवाल होना चाहिए कि भाजपा की अपनी सीटों का आंकड़ा 300 के पार होगा या नीचे? पर मेरा मानना है कि भारत के मोदी काल में लोग भला रियलिटी में कहां जीते हैं? भक्ति और नियति में जीने वाले उत्तर भारत में लोग वोट देने से पहले बेरोजगारी, महंगाई पर सोचें, यह बात जंचती नहीं। इसलिए मोटा मोटी लोकसभा चुनाव 2024 की 12 अप्रैल की अपनी राज्यवार तालिका लगभग पिछले शनिवार जैसी ही है। जरा गौर करें मेरे ताजा अनुमान पर-

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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