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प्रधानमंत्री का ऐसा स्तर

लोकसभा चुनाव 2024 का प्रचार ढाई महीने चला है। और रिकॉर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बना। उन्होंने सबसे ज्यादा रैलियां कीं, सबसे ज्यादा रोड शो किए और इंटरव्यू देने का भी रिकॉर्ड बनाया। 75 दिन चले प्रचार के हर भाषण का रिकॉर्ड तो देर से सामने आएगा लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले 15 दिन का एक रिकॉर्ड पेश किया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 दिन के प्रचार में 232 बार कांग्रेस का नाम लिया।

अपना यानी मोदी का नाम 758 बार लिया। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का नाम 573 बार लिया लेकिन एक बार भी महंगाई और बेरोजगारी की बात नहीं की। खड़गे के मुताबिक मोदी ने मंदिर, मस्जिद, मुस्लिम और अन्य धर्मों का नाम 421 बार लिया और मुस्लिम, पाकिस्तान व अल्पसंख्यक का 224 बार जिक्र किया। यह आंकड़ा 15 दिन का है। सो, अगर 75 दिन का आंकड़ा निकालना हो तो इसे पांच गुना कर दिया जाए तो एक मोटामोटी आंकड़ा आ जाएगा। 

जब यह देखेंगे कि नामों का जिक्र नरेंद्र मोदी ने किस संदर्भ में किया तो पता चलेगा कि प्रधानमंत्री ने किस स्तर का प्रचार किया। उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र किया तो कहा कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को पाकिस्तान से समर्थन मिलता है, यह चिंता की बात है और इसकी जांच होनी चाहिए। पाकिस्तान को दुश्मन देश बताते हुए उन्होंने यह बात कही। क्या इससे पहले किसी प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को इस तरह से देश विरोधी ठहराने या दुश्मन देश की मदद लेने वाला बताया था? उन्होंने पूरे चुनाव प्रचार में कई बार यह बात कही।

वे परोक्ष रूप से राहुल का हवाला देकर बार बार कहते थे कि कांग्रेस के शहजादे को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पाकिस्तान के लोग उतावले हो रहे हैं। एक तो अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए ‘शहजादे’ शब्द का इस्तेमाल ही किस मानसिकता को दिखाने वाला है? राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव आदि को मुस्लिमपरस्त बताने के लिए वे बार बार ‘शहजादे’ विशेषण का इस्तेमाल करते रहे।

सबसे दिलचस्प बात प्रधानमंत्री ने प्रचार के आखिरी दिन पंजाब के होशियारपुर में कही। एक तरफ प्रचार का विश्लेषण करने वाले तमाम नेताओं और पत्रकारों का मानना है कि सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री बोले लेकिन उन्होंने होशियारपुर में कहा कि वे चुप हैं तो मोदी को समझने की गलती मत कीजिए। इतना बोलने के बाद भी उन्होंने कहा कि वे चुप हैं? सोचें, अगर बोलते तो क्या होता? बहरहाल, उन्होंने कहा- मैं इंडी अलायंस वालों को कह रहा हूं। मैं चुप बैठा हूं इसका मतलब ये…गलती मत करिए मोदी को समझने में….

अगर मोदी जिस दिन मुंह खोलेगा तुम्हारी सात पीढ़ियों के पाप निकाल कर रख देगा। सवाल है कि मोदी राहुल गांधी, उनकी मां और उनके पिता, उनकी दादी और उनके परनाना यानी चार पीढ़ी के कथित पाप तो सबके सामने रखते ही हैं, अब उसके ऊपर किस पीढ़ी के पाप निकाल कर रखेंगे? तेजस्वी के साथ साथ वे लालू प्रसाद के कथित पाप गिनाते ही हैं तो क्या उनके पास लालू प्रसाद के पिताजी के बारे में भी कोई जानकारी है, जो वे दुनिया को नहीं बता रहे हैं?

सबने सुना कि वे बिहार में आखिरी चरण के मतदान वाले क्षेत्र में प्रचार के लिए गए तो लालू प्रसाद के साथ साथ तेजस्वी के भी जेल जाने की बात कह दी। उन्होंने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर कहा- हेलीकॉप्टर में चक्कर मारने का समय जैसे ही पूरा होगा वैसे ही जेल का रास्ता तय करना होगा। बिहार को लूटने वालों को एनडीए सरकार छोड़ेगी नहीं। इस पर कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री को कैसे पता है कि कब, कौन जेल जाएगा?

इसका मतलब है कि एजेंसियां उनके हिसाब से काम कर रही हैं। उनका सवाल कानूनी था लेकिन मोदी का जवाब देते हुए तेजस्वी ने कहा, गुजराती से बिहारी नहीं डरता है। यह दिल्ली और झारखंड नहीं है, एक बार हाथ लगा कर देखिए। वैसे प्रधानमंत्री ने तो तेजस्वी और मुकेश  सहनी के हेलीकॉप्टर में मछली खाने का मुद्दा भी चुनाव में उठा दिया था और कहा था कि इससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं।  

प्रधानमंत्री जब मछली, मुस्लिम आदि का मुद्दा बना रहे थे तो वे इस हद तक चले गए कि बिहार की एक सभा में उन्होंने विपक्षी पार्टियों को मुस्लिमपरस्त बताने के लिए कह दिया कि इंडी गठबंधन वाले अल्पसंख्यक वोट के लिए ‘मुजरा’ करने को भी तैयार हैं। भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री छोड़िए, किसी साधारण नेता या मंत्री ने भी चुनाव प्रचार में वोट के लिए इस तरह के शब्द का इस्तेमाल नहीं किया होगा। उन्होंने अल्पसंख्यक वोट के लिए विपक्षी पार्टियों पर गुलामी करने का भी आरोप लगाया।  

प्रधानमंत्री मोदी का 21 अप्रैल का राजस्थान के बांसवाड़ा का भाषण प्रधानमंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति के स्तर का भाषण नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार आ गई तो वह लोगों की संपत्ति छीन कर उन लोगों को दे देगी, ‘जिनके ज्यादा बच्चे हैं’ या जो ‘घुसपैठिए’ हैं। उन्होंने साथ ही यह भी दावा किया कि मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। इस तरह उन्होंने परोक्ष रूप से लोगों को बताया कि कांग्रेस आई तो वह हिंदुओं की सपत्ति छीन कर मुसलमानों में बांट देगी। इसके बाद अगले छह चरण तक वे इस बात को दोहराते रहे। उन्होंने कहां कि संपत्ति छीन कर वोट जिहाद करने वालों को दे देंगे। कहीं कहा कि अपने वोट बैंक को दे देंगे। कहीं कहा कि घुसपैठियों को दे देंगे। 

दूसरी ओर उनकी पार्टी के लोग संपत्ति मुसलमानों में बांट देने का खुलेआम प्रचार करते रहे। फिर प्रधानंमत्री आरक्षण ले आए और कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो वह एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को दे देगी लेकिन वे अपने जीते जी ऐसा नहीं होने देंगे। उनकी पार्टी ने आनन फानन में एक विज्ञापन भी बना दिया, जिसमें दिखाया गया कि एक टोकरी में तीन छोटे छोटे अंडे हैं, जिन पर एससी, एसटी और ओबीसी लिखा हुआ है। उसमें राहुल गांधी एक बड़ा अंडा रखते हैं, जिस पर मुस्लिम लिखा है। फिर उसे अंडे से जो चूजा निकलता है उसे कांग्रेस के नेता दाना खिलाते हैं और वह बाकी तीन अंडों को निगल जाता है। ऐसा घनघोर सांप्रदायिक विज्ञापन इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। 

इसी तरह का एक बेहद आपत्तिजनक विज्ञापन प्रधानमंत्री की पार्टी ने पश्चिम बंगाल के लिए बनाया था। वह इतना आपत्तिजनक था कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। हालांकि चुनाव आयोग ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। भाजपा ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी तो सर्वोच्च अदालत ने भी विज्ञापन को अपमानजनक मानते हुए उस पर रोक को सही ठहराया। इस दौरान अदालत ने बड़ी अहम टिप्पणी की। उसने कहा कि ‘आपका प्रतिद्वंद्वी आपका शत्रु नहीं है’। अदालत ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार में बहस का स्तर गिरता गया है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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