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अब सिर्फ हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव

लोकसभा चुनाव 2024 के बचे हुए तीन चरणों के प्रचार में एक ही चीज है, जिसकी गारंटी है और वह है हिंदू मुस्लिम का नैरेटिव। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों को लेकर जो भी कहा है और जितना भी सद्भाव दिखाया है उसका यह मतलब नहीं है कि वे मुसलमानों का भय दिखा कर हिंदू वोटों की गोलबंदी के प्रयास छोड़ने जा रहे हैं।

अब उन्होंने हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करने का एक नया रास्ता निकाल लिया है। जिस तरह से विज्ञापन की दुनिया में सरोगेट विज्ञापन होते हैं, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने प्रचार का तरीका निकाल लिया है। टेलीविजन पर जिन उत्पादों का विज्ञापन करने की पाबंदी है उनका प्रचार करने के लिए सरोगेट विज्ञापन का इस्तेमाल होता है। इसमें सोडा या पानी की बोतल दिखा कर शराब का प्रचार होता है और इलायची का विज्ञापन दिखा कर गुटखा बेचा जाता है। उसी तरह प्रधानमंत्री ने नया तरीका निकाला है। 

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उन्होंने कहा है कि ‘मैं हिंदू मुस्लिम कर ही नहीं सकता हूं। मैं जिस दिन हिंदू मुस्लिम करूंगा, सार्वजनिक जीवन में नहीं रहूंगा’। लेकिन इसके आगे वे अपना इरादा जाहिर कर देते हैं। वे कहते कि दूसरी पार्टियां, खास कर कांग्रेस हिंदू मुस्लिम की राजनीति करती है वे तो उसको एक्सपोज कर रहे हैं। इसी लाइन पर पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से चुनाव आयोग को जवाब भी दिया गया है। चुनाव आयोग ने पिछले महीने बांसवाड़ा में दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी किया था। बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस देश के लोगों की संपत्ति छीन कर ‘ज्यादा बच्चे वालों’ और ‘घुसपैठियों’ को दे देगी। इसके साथ ही उन्होंने 2006 के एक भाषण के हवाले से कहा कि मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। 

अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि ‘ज्यादा बच्चे वालों’ से उनका मतलब मुसलमान नहीं, बल्कि गरीब है। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस यह कह रही है कि वह अमीरों की संपत्ति लेकर गरीबों को बांटेगी और भाजपा इसका विरोध कर रही है? दूसरा सवाल यह है कि ‘घुसपैठियों’ का क्या मतलब है? बहरहाल, इसके बाद तो सबको लाइसेंस मिल गया। पार्टी के तमाम नेता कहने लगे कि कांग्रेस हिंदुओं की संपत्ति छीन कर मुसलमानों में बांट देगी। खुद प्रधानमंत्री ने बिल्कुल ग्राफिक्स डिटेल में इसका ब्योरा दिया। उन्होंने समझाया कि कांग्रेस महिलाओं का मंगलसूत्र भी छीन लेगी, स्त्रीधन पर कांग्रेस की नजर है, अगर किसी के पास दो भैंस है तो एक भैंस कांग्रेस छीन लेगी आदि आदि।  

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प्रधानमंत्री मोदी ने अब यही रास्ता पकड़ा है। वे दावा कर रहे हैं कि वे कांग्रेस के खतरनाक इरादों को एक्सपोज कर रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने कांग्रेस के कई कथित इरादों की पोल खोली है। हालांकि कांग्रेस के नेता खुद हैरान हैं ऐसी बातें जिनके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं उनकी पोल मोदी कैसे खोल रहे हैं? जिस दिन मोदी ने कहा कि वे हिंदू मुस्लिम कर ही नहीं सकते हैं उसके अगले ही दिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी बजट को हिंदू मुस्लिम में बांटना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि केंद्र और सभी राज्यों में बजट का 15 फीसदी अल्पसंख्यकों यानी मुसलमानों के लिए खर्च हो।

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हालांकि कांग्रेस के घोषणापत्र में या उसके नेताओं के भाषण में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस आई तो एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को दे देगी लेकिन वे अपने जीते जी ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि उनके रहते धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण नहीं मिल सकता है। यह भी उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पाकिस्तान के लोग उतावले हो रहे हैं। सो, यह तय मानें कि अगले तीन चरण में खास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बिहार और झारखंड के संथाल परगना इलाके में, जहां चुनाव होना है वहां सिर्फ हिंदू मुस्लिम होना है।

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By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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