नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान रिकॉर्ड संख्या में इंटरव्यू दिए। लगभग हर न्यूज चैनल और अखबार को इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू में क्या कहा यह अहम नहीं है। लेकिन उनका इंटरव्यू देना अहम है। उनसे पूछे सारे सवाल दोस्ताना थे। सिर्फ एक पत्रकार ने पूछ लिया था कि विपक्ष के लोग आरोप लगाते हैं कि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग होता है तो प्रधानमंत्री भड़क गए। उस पत्रकार को कहा कि ऐसे कूड़ा कचरा सवाल उठ कर लाते हैं और ऐसे सवाल विपक्ष से पूछने की उनकी हिम्मत नहीं होती है। सोचें, जो मीडिया 24 घंटे सिर्फ विपक्ष से ही सवाल करता है उसके लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष से सवाल पूछने की हिम्मत नहीं है!
ऐसे ही एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने अपने को भगवान का अवतार या उनका भेजा हुई दूत बताया। उन्होंने कहा- जब मेरी माँ जीवित थीं, तो मैं मानता था कि मैं बायोलॉजिकल रूप से पैदा हुआ था। उनके निधन के बाद, अपने सभी अनुभवों पर विचार करने पर, मुझे विश्वास हो गया कि भगवान ने मुझे भेजा है। यह ऊर्जा मेरे जैविक शरीर से नहीं हो सकती है, लेकिन भगवान ने मुझे प्रदान की है…जब भी मैं कुछ करता हूं, मुझे विश्वास होता है कि भगवान मेरा मार्गदर्शन कर रहे हैं।
इस तरह नरेंद्र मोदी ने भगवान के सीधे प्रकट होने की धारणा बनवाई। सोशल मीडिया में खूब मीम्स बने। जैसे, पहले मोदी ने 2014 में अपने को लोगों का सेवक बताया। अगले चुनाव में 2019 में लोगों का चौकीदार बनाया और अब 2024 में लोगों का भगवान बता दिया।
सो नरेंद्र मोदी खुद भगवान या भगवान के अवतार हो गए वहीं महात्मा गांधी, जिनको दुनिया के अनेक लोग देवदूत की तरह देखते हैं उनके लिए कहा कि दुनिया में उनको कोई नहीं जानता था। जब ‘गांधी’ फिल्म बनी तब लोगों ने उनको जाना। सोचें, दुनिया के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के लिए कहा था- आने वाली नस्लें शायद ही इस बात पर यकीन करेंगी कि हाड़ मांस का कोई ऐसा शख्स हमारे बीच रहा था। लोग इस बात को डिकोड करने में लगे हैं कि आखिर मोदी ने गांधी के बारे में ऐसा क्यों कहा? क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता है कि वे नहीं जानते हों कि मृत्यु से पहले ही गांधी पूरी दुनिया के लिए लीजेंड बन चुके थे। फिर भी उन्होंने कहा कि गांधी को लोगों ने फिल्म के जरिए जाना तो कहीं उनका मकसद यह जतलाना तो नहीं है कि उनको लोग गांधी से ज्यादा जानते हैं और वे सबसे बड़े गुजराती और सबसे बड़े भारतीय हैं?
नरेंद्र मोदी पूरे चुनाव में थर्ड पर्सन में प्रचार करते रहे। वे सिर्फ मोदी की बात करते रहे। कई बार ऐसा लगता था कि मोदी कोई और है, जिसके लिए वे वोट मांग रहे हैं। मैंने या मेरी सरकार ने अमुक काम किया, इसकी जगह वे बोलते थे कि मोदी ने अमुक काम किया। मेरी या भाजपा की गारंटी नहीं, वे लगातार मोदी की गारंटी बोलते रहे। मेरी या भाजपा सरकार किसी को छोड़ेगी नहीं की, जगह वे कहते थे कि मोदी छोड़ेगा नहीं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 15 दिन में 758 बार अपना नाम लिया। चुनाव प्रचार 75 दिन चला। इसका मतलब है कि उन्होंने पूरे प्रचार में इसका पांच गुना ज्यादा बार अपना लिया। इस हिसाब से प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव के प्रचार में कोई 38 सौ बार अपना नाम लिया। यह भी एक रिकॉर्ड है।